इस स्तोत्र में भगवान दत्तात्रेय जी के पावन गुणों का वर्णन तथा उनकी शुभ स्तुति की गई है. इसकी रचना स्वयं देवर्षि नारद जी ने भगवान दत्तात्रेय की कृपा से ही की है. इस लेख में हमने श्री Datta Stotra हिंदी अर्थ सहित दिया है.
श्री दत्तात्रेय स्तोत्र | Dattatreya Stotram
जटाधरं पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम् ।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ।।
अर्थ: पीले वर्ण की आकृति वाले, जटा धारण किए हुए, हाथ में शूल लिए हुए, कृपा के सागर एवं सभी रोगों का शमन करने वाले. देवस्वरूप श्री दत्तात्रेय जी का मैं आश्रय लेता हूँ.
विनियोग
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य
भगवान् नारद ऋषि: ।
अनुष्टुप् छन्द: ।
श्रीदत्त: परमात्मा देवता
श्रीदत्तप्रीत्यर्थं जपे विनियोग: । ।
अर्थ: इस दत्तात्रेयस्तोत्ररूपी मन्त्र के ऋषि भगवान नारद हैं, छन्द अनुष्टुप है और परमेश्वर-स्वरूप दत्तात्रेय जी इसके देवता हैं. श्री दत्तात्रेय जी की प्रसन्नता के लिए पाठ में विनियोग किया जाता है.
जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहारहेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।1।।
अर्थ: संसार के बंधन से सर्वथा विमुक्त तथा संसार की उत्पत्ति, पालन और संहार के मूल कारण-स्वरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।
दिगम्बर दयामूर्ते दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।2।।
अर्थ: जरा और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करने वाले, देह को बाहर और भीतर से शुद्ध करने वाले स्वयं दिगम्बर-स्वरुप, दया के मूर्तिमान विग्रह आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।3।।
अर्थ: कर्पूर की कांति के समान गौर शरीर वाले, ब्रह्माजी की मूर्ति को धारण करने वाले और वेद्-शास्त्र का पूर्ण ज्ञान रखने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
हृस्वदीर्घकृशस्थूलनामगोत्रविवर्जित ।
पंचभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।4।।
अर्थ: कभी ठिगने, कभी लंबे, कभी स्थूल और कभी दुबले-पतले शरीर धारण करने वाले, नाम-गोत्र से विवर्जित, केवल पंचमहाभूतों से युक्त दीप्तिमान शरीर धारण करने वाले, आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
यज्ञभोक्त्रै च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।5।।
अर्थ: यज्ञ के भोक्ता, यज्ञ-विग्रह और यज्ञ-स्वरूप को धारण करने वाले, यज्ञ से प्रसन्न होने वाले, सिद्धरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा प्रणाम है.
आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देव: सदाशिव: ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।6।।
अर्थ: सर्वप्रथम ब्रह्मारूप, मध्य में विष्णुरूप और अन्त में सदाशिव स्वरूप – इन तीनों स्वरूपों को धारण करने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा प्रणाम है.
भोगालयाय भोगाय योग्ययोग्याय धारिणे ।
जितेन्द्रिय जितज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।7।।
अर्थ: समस्त सुख्-भोगों के निधानस्वरूप, सभी योग्य व्यक्तियों में भी उत्कृष्ट योग्यतम रूप धारण करने वाले. जितेंद्रिय तथा जितेन्द्रियों की ही जानकारी में आने वाले. आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपधराय च ।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।8।।
अर्थ: सदा दिगम्बर वेषधारी, दिव्यमूर्ति और दिव्यस्वरूप धारण करने वाले, जिन्हें सदा ही परब्रह्म परमात्मा का साक्षात्कार होता रहता है, ऎसे आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
जम्बूद्वीपे महाक्षेत्रे मातापुरनिवासिने ।
जयमान: सतां देव दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।9।।
अर्थ: जम्बूद्वीप के विशाल क्षेत्र के अन्तर्गत मातापुर नामक स्थान में निवास करने वाले. संतों के बीच में सदा प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।10।।
अर्थ: हाथ में सुवर्णमय भिक्षापात्र लिए हुए, ग्राम-ग्राम और घर-घर में भिक्षाटन करने वाले तथा अनेक प्रकार के दिव्य स्वादयुक्त भिक्षा ग्रहण करने वाले आप दत्तात्रेय जी को मेरा प्रणाम है.
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।11।।
अर्थ: ब्रह्मज्ञानयुक्त ज्ञानमुद्रा को धारण करने वाले और आकाश तथा पृथ्वी को ही वस्त्ररूप में धारण करने वाले. अत्यन्त ठोस ज्ञानयुक्त बोधमय विग्रह वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
अवधूत सदानन्द परब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।12।।
अर्थ: अवधूत वेष में सदा ब्रह्मानन्द में निमग्न रहने वाले तथा परब्रह्म परमात्मा के ही स्वरूप, शरीर होने पर भी शरीर से ऊपर उठकर जीवन्मुक्तावस्था में स्थित रहने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
सत्यरूप सदाचार सत्यधर्मपरायण ।
सत्याश्रय परोक्षाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।13।।
अर्थ: साक्षात सत्य के रूप, सदाचार के मूर्तिमान स्वरूप और सत्य भाषण एवं धर्माचरण में लीन रहने वाले, सत्य के आश्रय और परोक्ष रूप में परमात्मा तथा दिखायी न पड़ने पर भी सर्वत्र व्याप्त आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
शूलहस्त गदापाणे वनमालासुकन्धर ।
यज्ञसूत्रधर ब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।14।।
अर्थ: हाथ में शूल तथा गदा धारण किए हुए, वनमाला से सुशोभित कंधों वाले, यज्ञोपवीत धारण किए हुए ब्राह्मणस्वरूप आप दत्तात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।15।।
अर्थ: क्षर (नश्वर विश्व) तथा अक्षर (अविनाशी परमात्मा) रूप में सर्वत्र व्याप्त, पर से भी परे, स्तोत्र-पाठ करने पर शीघ्र मोक्ष देने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
दत्तविद्याय लक्ष्मीश दत्तस्वात्मस्वरूपिणे ।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।16।।
अर्थ: सभी विद्याओं को प्रदान करने वाले, लक्ष्मी के स्वामी, प्रसन्न होकर आत्मस्वरूप को ही प्रदान करने वाले, त्रिगुणात्मक एवं गुणों से अतीत निर्गुण अवस्था में रहने वाले आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम्
सर्वपापशमं याति दत्तात्रेय नमोsस्तु ते ।।17।।
अर्थ: यह स्तोत्र बाह्य तथा आभ्यन्तर (काम, क्रोध, मोहादि) सभी शत्रुओं को नष्ट करने वाला, शास्त्रज्ञान तथा अनुभवजन्य अध्यात्मज्ञान दोनों को प्रदान करने वाला है. इसका पाठ करने से सभी पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं. ऎसे इस स्तोत्र के आराध्य आप दतात्रेय जी को मेरा नमस्कार है.
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ।।18।।
अर्थ: यह स्तोत्र बहुत दिव्य है. इसके पढ़ने से दत्तात्रेय जी का साक्षात दर्शन होता है. दत्तात्रेय जी के अनुग्रह से ही शक्ति संपन्न होकर नारदजी ने इसकी रचना की है.
इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
इस प्रकार श्रीनारदपुराण में निर्दिष्ट देवर्षि नारदजी द्वारा रचित दत्तात्रेय स्तोत्र समाप्त हुआ.
shree datta stotra | dattatreya stotram
भगवान श्री दत्तात्रेय जी श्री महाविष्णु का अवतार है. उन्हें ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों का रूप माना जाता है. इनके पिता का नाम महर्षि अत्रि और माता जी का नाम देवी अनुसूया है. dattatreya stotram
इस लेख में दिए गए dattatreya stotram के विषय में. आपके विचार हमें जरुर बताएं. यहांपर और भी लेख संबंधित लेख की लिंक निचे दी गे गई है. वो भी जरुर पढ़ें.
- शिव कृपा प्राप्ति के लिए पढ़ें पाशुपतास्त्र स्तोत्र
- श्री पार्श्वनाथ स्तोत्र
- श्री नारायण कवच अर्थ सहित हिंदी में
- गोपाल सहस्त्रनाम
- एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि लिरिक्स
- काली कमली वाला मेरा यार है लिरिक्स
- आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

नमस्कार दोस्तों मै हूँ संदीप पाटिल. मै इस ब्लॉग का संस्थापक और लेखक हूँ. मैने बाणिज्य विभाग से उपाधि ली है. मुझे नई नई चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाना बहुत पसंद है. हमारे इस ब्लॉग पर शेयर बाजार, मनोरंजक, शैक्षिक,अध्यात्मिक ,और जानकारीपूर्ण लेख प्रकशित किये जाते है. अगर आप चाहते हो की आपका भी कोई लेख इस ब्लॉग पर प्रकशित हो. तो आप उसे मुझे [email protected] इस email id पर भेज सकते है.