यहां मैं बच्चों के लिए बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा की कहानियाँ हिंदी में साझा कर रहा हूं जो बहुत मूल्यवान हैं और आपको सुंदर जीवन जीने के सबक सिखायेंगी. जो उनकी सोच में बदलाव लाएगी और उन्हें बेहतर राह दिखाएगी. इस ब्लॉग की और भी बच्चों की नैतिक कहानियाँ जरुर पढ़े
अच्छी सोच का कमाल | baccho ki chatpati kahani
रामपुर गाँव में हिरा नाम का एक लकडहारा रहता था, वो बहुत भोला और मेहनती था. वह रोज़ सुबह जंगल में जाकर लकड़ी तोड़ता.
और शाम को उन्ही लड़कियों को बेचकर, उससे मिलने वाले पैसो से अपने परिवार का पेट भरता था. ऐसे ही एक दिन हिरा जंगल में लकड़ी तोड़ने के लिए गया गया था.
अच्छी लकडीया ढूंडते-ढूंडते वह जंगल के बहुत अन्दरतक चला गया. वहा उसे बहुतही अच्छी-अच्छी सूखी लकड़ियां मिल गई. लकड़ी काटते-काटते दोपहर को उसे भूक लगी. और वह पेड़ के निचे रखा हुआ अपना खाने का डिब्बा ढूंडने लगा, पर उसे वह नहीं मिला.
फिर उसने पेड़ पर नज़र डाली तो एक बंदर उसका डिब्बा लेकर उसमे से रोटी खा रहा था.
फिर हिरा उसी पेड़ की छाव में बैठ गया और मनमे सोचने लगा कि अगर मुझे अभी दाल चावल और आचार पेट भरके खाने को मिलता. तो कितना अच्छा होता.
तभी अचानक से उसके सामने एक थाली में दाल चावल और अचार आ जाता है. फिर हिरा पेट भरके खाना खाता है.
थोड़ी देर बाद उसके मन में एक और विचार आता है. की अगर यहाँ कोई जंगली आदिवासी आके मुझे पीटेंगे तो फिर अचानक वहा जंगली आदिवासी आजाते है. और उसे बहुत पिटते है. और फिर गायब हो जाते है.
नैतिक शिक्षा :तो बच्चो इससे आपको यह सिख मिलती है की आपको अपने मनमे सिर्फ अच्छी चीजो की बारे में सोचना चाहिये. अच्छे विचारों से आपका जीवन अच्छा ही होगा.
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बुद्धिमान मोटू चतुराई | baccho ki chatpati kahani
विष्णुपुर गाँव में मोटू और छोटू नाम के दो पक्के दोस्त रहा करते थे. उनके दोस्ती के चर्चे पूरे गाँव में होते थे. वह हर रोज़ एक साथ ही स्कूल जाते और आते थे. और पूरा दिन साथ में ही खेलते थे.
एक रविवार के दिन दोनों ने कही घुमने जाने का प्लान बनाया. और उन्होंने घरसे सैंडविच और फल बैग में भर लिए और चलपड़े दोनों जंगल में पिकनिक मनाने.
घूमते-घूमते वह जंगल में बहुत अंदर अगये. फिर उन्होंने एक पेड़ के निचे बैठेके सैंडविच और फल खाये और पेड़ के छाव में खेलने लगे.
तभी उन्हें अचानक से शेर की दहाड़ सुनाई दी दोनों बहुत डर गए. छोटू शरीरसे पतला था. वो फटा फट पेड़ पर चढ़ गया.
छोटू को पेड़ पे चढ़ते हुए देख. मोटू भी उसेक पीछे पीछे पेड़ पर चढ़ने के कोशिस करने लगा. पर वो मोटा होने के कारण पेड़ पे चढ़ नहीं पा रहा था.
पर मोटू डरा नहीं. उसे एक उपाय सुझा उसने छोटू से कहा की तुम डरना मत और आवाज भी मत करना. वो पेड़ के निचे आराम से साँस रोकके पड़ा रहा.
और फिर शेर उसके पास दौड़ते हुए आया. उसने मोटू को सुंघा उसे लगा की ये कोई पत्थर है.
फिर वो जंगल की दूसरी तरफ तेजी से दौड़ते हुए चला गया. तो इस तरह मोटुने साहस और बुधिमानी से खुदकी जान बचाई. और दोनों हस्ते हस्ते घर चले गए.
नैतिक शिक्षा : तो बच्चो आपको इस कहनी से ये सीख मिलती है की मुसीबत में आपको बिना डरे साहस और चतुराई से संकट का सामना करना है.
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बुद्धिमान चिरंजीवी | baccho ki chatpati kahani
यह कहानी बहुत पुराणी है. चिरंजीवी नाम का एक लड़का अपने दोंस्तो के साथ गुरुकुल में रहता था. चिरंजीवी सभी छात्रों में सबसे अधिक बुद्धिमान था. और सबसे अधिक मेहनती भी.
इसलिए सभी शिक्षक गुरु उसकी तारीफ करते थे.
उसकी बुद्धिमानी और सफलता को देख कुछ छात्र उससे चिढ़ते भी थे. और हमेशा उसे निचा दिखाने की कोशिस करते रहते.
पर चिरंजीवी उनसे कभी भी लढता नहीं था. वो हमेशा पढाई और अपने गुरु के आदेशो पर ध्यान देता था.
बारिश के मौसम में एक दिन सभी छात्र नजदीक के दुसरे गुरुकुल में गायन स्पर्धा के लिए गए थे. श्याम को स्पर्धा से गुरुकुल लौटते वक्त.
अचानक बारिश बहुत तेज होने लगी. और नदी का पानी भी तेजीसे बढ़ने लगा.
उसदिन भी सभी छात्र चिरंजीवी की तारीफ कर रहे थे. और वही लड़के जो चिरंजिवि से हमेशा चिढ़ते थे. वो चिरंजीवी की बुराई करते हुए टोली बनाकर सबसे आगे चल है थे.
तभी अचानक उनमेसे तीन लड़के फिसल के नदी में गिर गए.
पर अच्छी किस्मतसे पानी में उन तिनोको एक बड़ी लकड़ी का सहारा मिलता है. नदी का पानी तेजी से बढ़ रहा था.
किसी को कुछ सुझ नहीं रहा था. तभी चिरंजीवी की नजर बरगद के पेड़ पर पड़ी और उसे एक कल्पना सूझी.
उसने सभी बच्चो की मदत से बरगद के पेड़ की लटकी हुई जड़े तोड के एक लंबी रस्सि बनाई.
और उसे पानी में डालकर उन तीनो लडको को पानी से सुरक्षित बहार निकला.
बादमे सभी ने गुरुकुल में पहुंचकर ये घटना शिक्षक गुरुजन और दुसरे छात्रों को बताई.
सभी ने चिरंजीवी प्रशंसा की और चिरंजीवी से चिढने वाले छात्र भी उसके प्रशंसक और दोस्त बन गए.
नैतिक शिक्षा : तो बच्चो इस कहानी से आपको ये सीख मिलती है की. आप आपके विरोधको को जवाब अपने अच्छे काम से दे अच्छे बर्ताव से दे. नाकि उनकी ही तरह आपभी बातूनी और बडबोले बने.
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