success love story in hindi

सच्चे प्यार की चाहत Success Love Story In Hindi

Success Love Story In Hindi- ये कहानी एक लड़के की है. जो अपने सच्चे प्यार की तलाश रहा है. और वह उसे अपने पिताजी के गाँव में मिलता है. जहाँ पर वो पहले कभी गया नहीं था. इस कहानी में एक पानीपूरी के ठेले का किस्सा है. वो आपको बहुत पसंद आयेगा. तो हमारी कहनी के हीरो को उसके सच्चे प्यार में तलाश सफलता कैसे मिलती है! जरुर पढ़े आपको यह प्यार के जीत की कहानी जरुर पसंद आयेगी.

सच्चे प्यार की चाहत Success Love Story In Hindi

दिनेश मुंबई शहर की एक बड़ी नामचीन कंपनी में अकाउंटेंट का जॉब करता था. वो अपने माता पिता के साथ वहीपर एक सुंदर से घर में रहता था. शहर की उस चक चौंध करने वाली जिन्दगी में दिनेश को आज तक एक भी लड़की पसंद नहीं आयी थी.

एक दिन उसके पिताजी ने दिनेश को उनके गाँव गंगापुर जहाँ वो पले बड़े वहा जाने के लिए कह दिया. क्योंकि उनके नाम पर गंगापुर में एक जमिन का टुकड़ा और एक पुरना घर था.

वह उसे वहां के एक जमीनदार को बेचना चाहते थे. पिताजी के कहनेपर दिनेश दुसरे दिन ही गंगापुर गाँव में पहुँच गया था. वहां पहुचने पर दिनेश को पता चला की जमीनदार किसी काम से बाहरगाँव गए है. उन्हें लौटने के लिए ७ दिनों का वक्त लगेगा.

अब दिनेश को पुरे सात दिनों के लिए उस गाँव में रहनाने वाला था. दिनेश का बचपन शहर में गुजरा था. तो उस गाँव में उसके कोई दोस्त थे नही. इसलिए वहां समय बिताने के लिए उसके पास कोई साधन नहीं था.

गाँव के ही एक बच्चे से उसे पता चला की पुराने मंदिर के पास मेला लगा हुआ है. तो दिनेश अपना समय बिताने के लिए मेले में जा पहुचं.

सच्चे प्यार की चाहत Success Love Story In Hindi

वह मेले में एक बड़े से झूले के नजदीक हंसते खेलते बच्चों को देख रहा था. पर वह गाँव के मेले की उस रंगीन भीड़ में भी खुदको अकेला महसूस कर रहा था.

उसका मन सच्चे प्यार की तलाश में था.जो उसे आज तक शहर की किसी भी लड़की में नहीं दिखा था. तभी उसके कानो पर एक लड़की की आवाज पड़ी. उस आवाज ने दिनेश के दिल की गहराई को मानो छुसा लिया.

दिनेश वह आवाज किस लड़की की है. यह पता लगाने के लिए अपने आस पास नजर दौड़ाने लगा. फिर उसे बगल में ही लगे एक पानीपूरी के ठेले पर कजरारे नयनों वाली एक साँवली लड़की दिखी.

जिसे दखते ही दिनेश को पहली बार अपने दिल की धडकने सुनाई दने लगी. उसे पहली बार प्यार एक एहसास होने लगा.उस अप्सरा ने हरे रंग की रेशमी साड़ी पहनी हुई थी.

वह इतनी खुबसूरत थी. की दिनेश कुछ ही पलों में उसके रूप का कायल हो गया. उसके कजरारे नयन दिनेश के जेहन में किस सुनहरी याद की तरह बस गए थे.

सच्चे प्यार की चाहत Success Love Story In Hindi

दिनश वहीपर स्तब्ध खड़ा रहकर कुछ पल उसे देखता ही रहा. फिर एक छोटे बच्चे की रोने की आवाज से वह होश में आया.उसने मन ही मन ठान लिया की कुछ भी करके अभी इस लड़की से बात करके ही रहूँगा.

कही उससे बात करने के लिए देर न होजये. इसलिए दिनेश तुरतं ही उसकी के बगल में जाकर खड़ा होगया. और उसने अपने लिए भी एक प्लेट पानी पूरी बोल दी.

वह लड़की शायद अकेली ही थी. इसलिए आस पास खड़े लोंगो में से कोइ भी उससे बात नहीं कर रहा था. ठेलेपर प्लेट रखने के लिए काम जगह बची थी इसलिए पनिपुरिवाले ने दोनों की प्लेट जरसी करीब यानिकी नजदीक रख दी थी.

इसबीच दिनेश उस सुंदरी की तरफ छुप छुप कर देख रहा था. वह लड़की जरसी शर्मीली थी. इस तरह दिनेश को अपनी तरफ देखता महसूस कर वह थोडासा घबरा गई थी.

पर दिनेश पर तो जैसे उससे बात करने का खुमार चढ़ा था. तभी पानी पूरी वाले ने दोनों की प्लेट में बारी-बारी पानीपूरी रखना शुरू किया. दोनों एक-एक करके पानीपूरी खतम कर रहे थे.

जब पानीपूरी वाले दिनेश के प्लेट में आखरी पानीपूरी रखी. तब दिनेश की उस अप्सरा से बात करने की तम्मना पूरी हो गई. उस लड़की ने कही और देखते-देखते दिनेश की प्लेट से पानिपुरी उठाके खाली.

और दिनेश किसी छोटे बच्चे जैसे मुंह बनाकर उसे देखता रहा. उस लड़की को जब समज में आया की उसने दूसरी प्लेट से पानीपूरी खायी है. तब वह दिनेश और अपनी प्लेट में रखी आखरी पानीपूरी को देखकर. अपना मुह दबाकर हंसने लगी.

उसे हसंता देख देनेश की रूह को एक अलग ही सुकून मिलरहा था. फिर उसने दिनेश से सॉरी बोलके बात शुरू कर दी. वह बोली की आप को कभी मैंने इस गाँव में देखा नहीं मैंने.

सच्चे प्यार की चाहत Success Love Story In Hindi

दिनेश मौका पाकर दो मिनट में वो कहा से आया है? क्यों आया है? अपने बारे में सब कुछ बता दिया. और आखिर में उसका नाम पूछा. फिर लडकी ने बताया.की उसका नाम “लक्ष्मी “है. फिर लक्ष्मी को घर जाना था.

इसलिए वह दिनेश को अलविदा कहकर घर चली गई. दिनेश को वह लडकी उसी गाँव की ही है. यह तो पता चल चूका था. पर वो कहा रहती है.और वह उससे फिर कब मिल कर अपने दिल की बात बता सकता है?

यह उसे अभी खुद पता करना था. उस रात मेले से लौटा हुआ. दिनेश हमेशा की तरह चुप और गंभीर स्वभाव वाला दिनश नहीं रहा था. वह अब बदल गया था.

उसे रात भर नीदं नहीं आ रही थी. वह करवट बदल-बदल कर लक्ष्मी के साथ बात किये हुए वह सुनहरे लम्हे याद कर रहा था. दिनेश यह भी भूल चूका था. की वो उस गाँव के किस लिए आया है.

उसे तो अब बस हर जगह लक्ष्मी दिख रही थी. रातको को देर की सोनो की वजह से सुबह उसकी आंख देर से खुली. उठने के बाद उसका खुद से यह सवाल था की. अब लक्ष्मी से दुबारा मुलाकात कैसे हो पायेगी.

यह सोचते-सोचते नहा धोकर वह सुबह का नाश्ता करने गाँव के अन्नपूर्णा भोजनालय में जा पंहुचा. उसने नाश्ते के लिए. पोहा और चाय का आर्डर दिया.

वह टेबल के पर रखा अख़बार पढ़ रहा. तभी दिनेश को सामनेसे नाश्ता लेकर लक्ष्मी अति दिखी. उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था. की जिसेकी याद में उसे पूरी रात नींद नहीं आ रही थी.

वह लक्ष्मी सुबह उसके सामने थी. दिनेश बस उसकी सुंदरता को निहारता ही रहा. वह पास आयी और नाश्ता दिनेश के सामने रखदिया. दिनेश बोला लक्ष्मी तुम यहाँ.

वह बोली यह भोजनालय मेरे पिताजी का है. उसके आगे दिनेश कुछ बोल पाता इससे पहले ही. लक्ष्मी अपनी सुंदर जुल्फें लहराते हुए वहां से चली गई.

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अब दिनेश को लक्ष्मी का पता तो मिल गया था. पर वह ये सोच रहा था.उससे अपने प्यार का इजहार कैसे करूँ. तब तक भोजनालय में सुबह के नाश्ते के लिए. लोंगो की भीड़ लगने लगी थी.

दिनेश अपना नाश्ता खतम करके. कुछ ही देर में वहां से चला गया. चलते चलते उसे याद आया की मेला खतम होने में अभी दो दिन बाकि है. शायद मेले में लक्ष्मी आज फिरसे मिल जाये.

तो वही वो उससे अपनी मोहब्बत का इजहार कर सकता है. लक्ष्मी को मिलने के लिए. बेकरार दिनेश की दोपहर बडी बेचैनी में गुजरी. श्याम होते ही समय से पहले तैयार होकर वह मेले में उसी जगह जाकर बैठ गया.

जिस जगह वह लक्ष्मी से पहली बार मिला था. उसे इस बात का डर सता रहा था की आज लक्ष्मी आये गी की नहीं आयेगी? दिनेश अब सिर्फ उपरवाले के भरोसे था. पर कहते है ना.

अगर आप का प्यार सच्चा है. तो वह किसी न किसी बहाने आपकी तरफ खिंचा चला आता है. उसी रह कुछ देर इंतजार करने के बाद लक्ष्मी उसी ठेलेपर पानीपूरी खाने आ ही गई.

लक्ष्मी को ठेले के पास देखकर. दिनेश की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. उसने मन ही मन ईश्वर का धन्यवाद किया.और वो भी उसकी बगल में जाकर खडा हुआ. दिनेश को दखते ही. लक्ष्मी मुस्कुराई जिसे देखने के लिए दिनेश तरस गया था.

दिनेश बोला लक्ष्मी मै तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था. वह बोली क्यों ऐसा क्या काम था. फिर दिनेश ने बडे प्यार से लक्ष्मी को अपने दिल हाल सुनना शुरू किया.

वह बोला लक्ष्मी मैंने जबसे तुम्हे देखा है. मुझे हर जगह बस तुम ही तुम नजर आरही हो. हर किसी की आवाज में बस तुम्हारी ही आवाज सुनाई देती है. ना दिन में चैन मिलता है.और न रात में नींद अति है. बस अब इस जन्म का एकही सपना है. की तुम्हे अपना बनाना है.

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मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ लक्ष्मी. क्या तुम मुझ अपना जीवन साथी बनाना पसंद करोगी? दिनेश एक एकदम से इस तरह शादी के लिए प्रोपोस करते ही. लक्ष्मी घबरा गई. और बिना कुछ जवाब दिए ही वहा से चली गई.

दिनेश बस उसे देखता ही रहा. पर आगे कुछ बोल नहीं पाया. वह रातको यह सोचता रहा की. मैंने शायद सीधा शादी की बात करके गलती की. पहले मुझे दोस्ती करनी चाहिए थी.

वह रातभर उसीके बारे में ही सोचता रहा. और सुबह उसी वक्त भोजनालय में हाजिर हुआ. जिस वक्त उसे भोजनालय में लक्ष्मी मिली थी. वह यह सोचकर वहां गया था.

की लक्ष्मी को अगर उसकी बात से कुछ तकलीफ हुई होगी. तो उससे माफ़ी मांग लेगा. पर हुआ कुछ अलग ही जब दिनेश भोजनालय में लक्ष्मी का इंतजार कर रहा था. तभी वहां एक छोटी बच्ची आयी और दिनेश के हाथ में एक चिठ्ठी थमकर भाग गई.

तब तक भोजनालय में नाश्ते के लिए लोग आना शुरू हो गया था. दिनेश हाथ में थमाई उस चिठ्ठी को ही देख रहा था. तभी भोजनालय से लक्ष्मी बाहर निकली.

उसने वही हरे रंग की साड़ी पहनरखी थी. उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी. वह दिनेश के पास आयी और उसके सामने नाश्ता रखा.और धीमी आवाज में उसे वह चिट्ठी बाहर जाकर पढना.इतना कहकर चली गई.

लक्ष्मी के ओठो को की मुस्कान और चेहरे की रौनक ने दिनेश को उसके सवाल का आधा जवाब तो दे दिया था. फिर उसने जल्दी चिट्ठी पढने के चक्कर में . सालो से भूके आदमी की तरह नाश्ता खतम किया.

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और वह प्रेम पत्र लेकर एक मंदिर की सीढ़ी पर भगवान के दर्शन करके बैठ गया. दिनेश ने वह पत्र खोला और पढ़ा उसमें लिखा था. दिनेश मै ने जब तुम्हे पहली बार देखा था. तब ही मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई थी.

पर मै कुछ कह न पाई. और कल तुमने जब मुझे अचानक इस तरह शादी के लिए पूछ लिया. तो में थोडा घबरा गई थी.

इसलिए जवाब उसवक्त नहीं दे सकी. हाँ मुझे भी आपसे प्यार है. आज श्याम मेले में मिलना आपकी लक्ष्मी. अपने प्यार का जवाब हाँ में मिलने के बाद.

दिनेश ने जैसे पूरी दुनिया जीत ली थी. उसे अब बस श्याम होने का इंतजार था. दिनभर बेसब्री से इंतजार करने के बाद आखिर कार वह पल अहि गया. जब दोनों प्रेमी मेले की उस भीड़ में कही एक साथ खो गए.

और इसी तरह जब तक दिनेश गाँव में था. वो दोनों छुप छुप कर मिलते रहे. जब वापस शहर जाने की बारी आयी. तब दिनेश लक्ष्मी से यह वादा करके. शहर लौटा की वह अगली बार अपने माता पिता को साथ लेकर ही लौटे गा.

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और लक्ष्मी के माता पिता से शादी के लिए उसका हाथ मांगे गा. जाते वक्त अपनी गाँव की जमीन बेचने का इरादा भी दिनेश ने बदल दिया. क्योंकि उस गाँव में उसे अपने होने का वजूद भी मिल गया था.

उसके बाद कुछ महीने ना दिनेश आया ना उसका कोई संदेशा. उसकी याद में अकेले में रो रो कर लक्ष्मी का बुरा हाल होगया था.

पर एक दिन अचानक सुबह-सुबह दिनेश भोजनालय में नाश्ता करने आया. अपने पहले प्यार को फिरसे देखकर लक्ष्मी के आसूओं ने पलकों का दामन छोड़ दिया. पर वह ख़ुशी के आसूं थे.

उसी दोपहर दिनेश के माता पिता लक्ष्मी के परिवार से मिले और संजोग की बात तो यह निकली की लक्ष्मी के पिताजी और दिनेश के पिताजी बचपन के लंगोटिया यार निकले.

फिर कुछ ही महीनो में सफलता से दोनों की शादी हो गई. और दोनों एक एक दुसरे के सच्चे प्यार में हमेशा के लिए एक हो गए और सुखी दांपत्य जीवन बिताने लगे.

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