shri hari stotram lyrics in hindi : इस पोस्ट में हिन्दू भगवान श्री विष्णु जी की स्तुति दी गई है. श्री हरी जी सृष्टि के पालनहार है. जो सभी जीवों का पालन पोषण करते है. उनके अस्तित्व से ही जीव सृष्टि कायम रहती है. पुराणों के अनुसार भगवान महाविष्णु सभी जीवों में स्तिथ है. श्री हरी की आज्ञा से धरती पर जीवनचक्र चलता है. इस सृष्टि पर जब भी प्राण घातक संकट आता है. उस समय श्री हरी ही अवतार लेकर उस संकट का निवारण करते है. आसन भाषा में श्री हरी हमारे माता और पिता है. जो हमारा खयाल रखते है. और इसी भगवान श्री हरी की स्तुति में यह स्तोत्र Sri Swami Brahmananda जी ने लिखा है. इस स्तोत्र को पढने से हमारे कष्टों का निवारण होता है.
श्री हरि स्त्रोतम लिरिक्स | shri hari stotram lyrics in hindi | jagajjalapalam lyrics in hindi
|| अथ श्री हरी स्त्रोतम ||
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं
शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं
नभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ||
सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं
जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं
हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ||
रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं
जलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं
ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ||
जराजन्महीनं परानन्दपीनं
समाधानलीनं सदैवानवीनं
जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं
त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ||
कृताम्नायगानं खगाधीशयानं
विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं
निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ||
समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं
जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं
सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ||
सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं
गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं
सदा युद्धधीरं महावीरवीरं
महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ||
रमावामभागं तलानग्रनागं
कृताधीनयागं गतारागरागं
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं
गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ||
फलश्रुति
इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:
स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं
जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो||
sri hari stotram lyrics in english | jagajjalapalam lyrics in english
Jagajjalapalam kachad kanda malam,
Sarahandraphalam mahadaithyakalam,
Nabho neelakayam duravaramayam,
Supadmasahayam Bajeham Bajeham.
Sadambhodhi vasam galathpushpahasam,
Jagatsannivasam sathadhithyabhasam,
Gadhachakra sastram lasad peetha vasthram,
Hasacharu vakthram Bajeham Bajeham.
Ramakantaharam sruthivrathasaram,
Jalantharviharam dharabharaharam,
Chidanandaroopam manogna swaroopam,
Druthaneka roopam Bajeham Bajeham.
Jarajanma Heenam parananda peetham,
Samadana leenam sadaivanaveetham,
Jagajjanma hethum suraneeka kethum,
Trilokaika sethum Bajeham Bajeham.
Kruthamnayaganam khagadhisayanam,
Vimukthernidhanam hararadhimanam,
Swabakthanukoolam jagadvrukshamoolam,
Nirastharthasoolam Bajeham Bajeham.
Samasthamaresam dwirephabha klesam,
Jagat bimba lesam hrudakasa desam,
Sada divya deham vimukthakhileham,
Suvaikuntageham Bajeham Bajeham.
Suralibalishtam Trilokivarishtam,
Gurannangarishtam swaroopaikanishtam,
Sadyudhadheeram mahaveeraveeram,
Bhambhoditheeram Bajeham Bajeham.
Ramavamabhagam thalanagna nagam,
Kruthadeethayagam gatharagaragam,
Muneendrai sugeetham surai sapareeham,
Ganougairaathetham Bajeham Bajeham.
Phalasruti
idam yastu nityam samadhaya chittam
pa thedashtakam kanthaharam murareh
sa vishnorvishokam dhruvam yati lokam
jarajanmashokam punarvindate no
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shri hari stotram lyrics video in hindi | jagajjalapalam lyrics video in hindi
कई बार भक्तों के मन में यह सवाल आता है. भगवान महाविष्णु को श्री हरि क्यों कहते है. इसका उत्तर कुछ इस प्रकार है. “हरि” नाम का जन्म “हर” से हुआ है. भगवान श्री के बारे में कहा जाता है. “हरि हरति पापानि” अर्थात भगवान श्री हरि भक्तों के जीवन में आनेवाली बाधाएं, समस्याएँ तथा पापों को हर लेते है. इसी कारण भगवान विष्णु को श्री हरी कहा जाता है. सच्चे भक्ति भाव से जो भी श्री हरि को बुलाते है. उनकी मदत के लिए वह हमेशा आते है. इंसान के जीवन में कितने भी दुःख, दर्द तथा आपदा हो श्री हरी सबकी नैया पार लगाते हैं.
सभी भगवानों को कोई ना कोई दिन समर्पित होता है. जिस दिन उनकी विशेष आराधना होती है. श्री हरि को बृहस्पतिवार का दिन अर्थात गुरुवार समर्पित होता है.
भगवान श्री हरि को पीला रंग प्रिय है. इसलिए उन्हें पीले रंग के पुष्प चढ़ाएं जाते है.
श्री हरि की पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करना ना भूले.
श्री हरि स्त्रोतम की रचना श्री आचार्य ब्रह्मानंद जी ने की है. इस स्तोत्र में श्री हरि का आकार, स्वरूप, उनका पितृ गुण, पालनहार गुण तथा उनके रक्षक गुण के बारे बताया है. श्री हरि स्त्रोतम के पठन से श्री हरि के साथ देवी लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है.
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