कक्षा 8 के लिए लघु नैतिक कहानियाँ | Short moral stories in hindi for class 8

short moral stories in hindi for class 8 इस में लिखी गई सभी कहानियां नई है. जो बच्चों को प्रेरित करने के साथ साथ उन्हें अच्छे और सच्चे जीवन के लिए मूल्यवान सबक भी सिखाती है.

बुलंद हौसले की कहानी | short moral stories in hindi for class 8

वह सबसे उंची जगह का घोंसला था. उसमे दो अंडे थे. वह घोंसला इतनी उंची और छुपी जगह पर था की उस जगह किसी और पशु का पहुंच पाना असंभव था. क्योंकि वह घोंसला एक बाज का था.

वह बाज अपने अंडो से चूजे निकलने का. बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी. और वह दिन आ ही गया. जब अंडो से दो नन्हे शक्तिशाली चूजे निकले.

कुछ महीनों के बाद जब वह चूजे उड़ने के काबिल हुए. तब उनकी माँ ने उन्हें उड़ना सिखाना शुरू किया. चूजे धीरे-धीरे तेज हवा से लढते-लढते उड़ना सीख रहे थे. तभी अचानक तेज बारिश शुरू हो गई.

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दोनों चूजे बारिश से डर कर. एक चट्टान के कोने में जाकर बैठ गए. पर उनकी माँ वह अभी भी उस बारिश में उड़ रही थी. चूजो ने माँ से कहा. माँ-माँ बारिश में तुम्हारे पंख भीग जाएंगे. आओ यहां हमारे साथ बैठ जाओ.

माँ ने कहा नहीं मेरे प्यारे बच्चों तुम भी मेरे साथ आसमान में चलो. मै तुम्हें आज एक बाज होने का असली मतलब समझती हूँ. फिर वह बच्चों को लेकर बादल के भी ऊपर उड़ने लगी. जहाँ पर बारिश का पानी नहीं था.

माँ बोली बच्चों बाज कभी बारिश या आंधी से डरते नहीं. बल्कि वह बादल के भी ऊपर उड़ते है. यही हमारे बुलंद हौसले को दर्शाता है. और हमे एक बाज बनाता है.

मोरल : दोस्तों इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है. की जीवन में आने वाली किसी भी कठिनाई, या संकट से हमे डरना नहीं है. सिर्फ लक्ष की ओर बढ़ते रहना है. हमारा बुलंद हौसला ही एक दिन हमें पहचान देता है.

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सफलता की सलाह | short moral stories in hindi for class 8

कुमार नाम के नौजवान ने नया-नया व्यापार शुरू किया था. उसे व्यापार के विषय में कुछ भी अनुभव नहीं था. इसलिए वह काफी नुकसान झेल रहा था.

एक दिन उसे एहसास हुआ की मुझे किसी अन्य व्यापारी से सलाह लेनी चाहिए. जिससे मुझे मेरे व्यापार में फायदा मिल सके. तभी कुमार को याद आया की उसके मित्र संपत ने भी उसके साथ ही व्यापार शुरू किया था.

क्यों ना उससे ही सलाह ली जाए. फिर कुमार उसी दिन संपत के घर पहुचं गया. संपत एक बड बोला इंसान था. उसने कुमार के साथ बहुत सी इधर-उधर की बाते की और अंत में व्यापार के विषय में कुछ सलाह दी.

कुमार ने संपत की व्यापारी सलाह पर अमल भी किया. पर व्यापार अभी भी घाटे में ही चल रहा था. अब कुमार को कुछ समझ में नहीं आ रहा था.

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फिर उसे अपने एक पुराने दोस्त शिरीष की याद आयी. जो वही व्यापार 10 साल से कर रहा था. और एक सफल व्यापारी भी था.

कुमार ने ज्यादा समय न गंवाते हुए. शिरीष की सलाह ली.  शिरीष ने बडी ही आसान और सरल भाषा में कुमार को व्यापारी सफलता के नुस्खे बताये.

जिस पर अमल करने से कुमार को कुछ ही महीनों में व्यापार में फायदा होने लगा.

मोरल : दोस्तों सफलता की सलाह हमेशा सफल और अनुभवी लोगों से ही लेने चाहिए. बड़बोले लोग हमे भटकाते है. और हमारा समय भी बर्बाद करते है.

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आलस की सजा | short moral stories in hindi for class 8

एक रात बिरजू किसान देर से घर लौटा था. वह बहुत ही थका हुआ था. इसलिए घर आते ही वह सोने चला गया. बिरजू की नींद रात को उसकी कुतिया सुंदरी के भौंकने की आवाज से टूटी.

कुतिया बहुत ही तेज आवाज में भौंक रही थी. लेकिन बिरजू गहरी नींद में था. इसलिए उसने सुंदरी के भौंकने का कारण जानने की कोशिश भी नहीं की.

मगर उसकी नींद बार-बार खराब हो रही थी. इसलिए गुस्से में आकार उसने ने पास ही पड़ी कुल्हाड़ी उठाई. और आवाज की दिशां में सुंदरी को दे मारी.

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थोडी देर में ही सुंदरी खामोश हो गई. बाद में जब सुबह बिरजू की नींद खुली. तब घर की हालत देखकर वह दंग रह गया.

क्योंकि उसके घर की सारी कीमती चीजें रात को ही चोरी हो गई थी. और उसके सामने ही सुंदरी मरी पड़ी थी. जिसे रात को बिरजू ने ही कुल्हाड़ी फेंक कर अपने हाथों से मारा था.

मोरल: कोई भी जरुरी काम करने में कभी आलस नहीं करना चाहिए. आलस की बुरी आदत से एक ना एक दिन हमे बड़ा नुकसान झेलना ही  पडता है.

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स्वर्ग और नरक में अंतर | class 8 hindi moral stories

त्रिलोक का भ्रमण कर आये अपने गुरु से एक शिष्य ने पूछा की गुरूजी. क्या आपने स्वर्ग और नरक देखा. कृपया करके हमें बताएं. वह कैसा दीखता है. और वहां के लोग कैसे होते है. गुरुजी ने अपने शिष्यों की आतुरता और उत्साह देखते हुए. उन्हें अपना अनुभव बताना शुरू किया.

गुरूजी बोले: मै जब त्रिलोक भ्रमण कर रहा था. तब सबसे पहले मै नरक में गया था. उस वक्त वहाँ पर भोजन का समय चल रहा था. मैंने देखा की एक बड़े से पात्र में खीर रखी थी. और उसे खाने के लिए वहां के लोग को बहुत बड़े और लंबे लंबे चम्मच दिए गए थे.

जिस वजह लोग खीर नहीं खा पा रहे थे. खाने के समय में बड़ी मुश्किल से वह एक दो चमच खीर पी सके. और बाद में नरक निवासी भगवान को दोष देते हुए चले गए.

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उसके बाद जब मै स्वर्ग में पहुंचा. तब मै स्वयं उनके खाने के समय तक रुका था. तब मैंने देखा की वहां पर भी सभी लोगों को एक बड़े से पात्र में खीर परोसी गई थी और सबको वही बड़े लंबे लंबे चम्मच दिए थे.

लेकिन स्वर्ग निवासी उस चम्मच से खुद खाने के बजाय. सामने वाले को खिला रहे थे. जिस वजह से अंत में सभी ने पेट भर के खीर खायी और अंत में श्री हरी को धन्यवाद देते हुए चले गए.

मोरल: अगर हम में एक दूसरे के प्रति सम्मान और आदर भाव रखते है. तो उसी से यह धरती स्वर्ग बन जाएगी. और खुद से पहले अन्य लोगों की सहायता करना तथा मिलजुल कर काम करना न भूले.

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चुटकुले बाज तोता | class 8 hindi moral stories

एक दिन एक धनवान सावकार बाजार में घुमने गए थे. वहां पर उन्हें एक तोता बहुत पसंद आया. सावकार ने उसे तुरंत खरीद लिया.

वह तोता बहुत ही मजाकिया था. सावकार को हमेशा कोई न कोई चुटकुला सुनकर हँसता था.

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एक रात सावकार की हवेली में डाकू घुस गए. वह सावकार को मारकर उसकी संपत्ति हडपना चाहते थे.

घर में डाकुओं की भनक लगते ही. सावकार उसके सोने के कमरे में ही बने. एक गुप्त तहखाने में छुप गया. उस वक्त मेरा भी वहां पर था. इसलिए सावकार ने छिपते समय. उसे चुप रहने के लिए कह दिया था.

कुछ ही मिनटों में डाकू सावकार के कमरे में दाखिल हुए. पर उन्हें सावकार नहीं दिखा. तभी एक डाकू ने तोते को देखकर. उससे बात करना शुरू किया.

उसने सहज ही मजाकिया अंदाज में तोते से पूछ लिया की सावकार कहा है.

तभी तोता बोला…. सावकार ने कहा है….. की मै गुप्त तहखाने में छुपा हूँ. यह बात किसी को भी नहीं बताना.  सावकार के ठिकाने का पता चलते ही. डाकुओं ने कमरे में छुपा तहखाना ढूंढ निकाला. और सावकार से तिजोरी की चाबी लेकर उसे लूटकर चले गए.

मोरल: मूर्ख की अपेक्षा विद्वान शत्रु बेहतर होता है.

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अनुभव से सीखो | class 8 hindi moral stories

चिंटू एक समझदार लड़का था. एक दिन वह तेज बुखार की वजह से स्कूल नहीं जा पाया. उसके पिताजी उसे शहर के एक अस्पताल में ले गए.

डॉक्टर ने बताया. चिंटू को मलेरिया हुआ है. फिर उसे कुछ दिनों के लिए. अस्पताल में ही भर्ती कराया गया. जब चिंटू अस्पताल से घर लौट रहा था. उसने डॉक्टर से सवाल पूछा. मलेरिया फैलने के क्या-क्या करना है?.

फिर डॉक्टर ने उसे मलेरिया फैलने के सभी कारण ठीक से समझा दिए. स्वस्थ होकर घर आने के बाद चिंटू ने. उसकी कॉलोनी के सभी दोस्तों को इकट्ठा किया. और पूरी कॉलोनी की सफाई की जिसमे उन्होंने छोटे छोटे पानी के गड्ढे. मिट्टी से भरने का काम भी किया.

कूडा कचरा, गाड़ी के टायर सभी बेकार चीजे. कचरे वाली गाड़ी में डाल दिए. और आखिर में चिंटू ने सभी बच्चों के साथ मिलकर. मलेरिया पर रोक लगाने के नारे लगाए.

चिंटू की मेहनत और समझदारी देख. कॉलोनी के सभी लोगों ने उसके लिए तालियां भी बजाई.

इस तरह समझदार चिंटू ने एक बार बीमार पडने पर. समाज में मलेरिया पर रोक लगाने का संदेश दिया.

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मोरल: इंसान को हमेशा अपने पूर्व अनुभव से सीखना चाहिए.

साहस का परिचय | short moral stories in hindi for class 8

एक जंगल में पिंटू नाम का एक छोटा खरगोश रहता था. पिंटू की माँ उसकी रोज-रोज की शरारतों से तंग आ गई थी. एक दिन श्याम को पिंटू घूमते-घूमते घर से काफी दूर चला गया था.

और शाम होते ही जब उसे घर की याद आयी. तब वह वापस लौटने का रास्ता ही भूल गया. अब वह डरा सहमा सा एक पेड़ के निचे बैठकर रोने लगा. तभी पिंटू को उसकी माँ की आवाज सुनाई दी. उसे सुनकर वह खुशी के मारे उछलने लगा.

पिंटू की माँ उसे घर लेजाने आयी थी. तभी अचानक वहां पर एक लोमड़ी आ गई. और वह अब बस दोनों को मारने ही वाली थी की. पिंटू की माँ ने लोमड़ी के पैर पर कसकर काट लिया.

जिस वजह से लोमड़ी कराह उठी. खरगोश के काटने से लोमडी अब और गुस्से में आ गई थी. अब वह बस दोनों पर फिरसे झपटने ही वाली  थी की.

तभी वहां पर खरगोश का झुंड. पिंटू और उसकी माँ को ढूंढते हुए आ गया. इतने सारे खरगोश को गुस्से में देखकर. वह चालाक लोमड़ी दुम दबाकर भाग गई. इस तरह एक छोटे से खरगोश के झुंड ने अपने साहस का परिचय दिया.

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सीख: साहस दिखाने के लिए सिर्फ एक निडर सोच की जरूरत होती है. बड़े आकार का शरीर कुछ नहीं होता.
सीख: एकजुट होकर कौन सी भी मुसीबत का सामना कर सकते है.

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चिंकू की होशियारी | short moral stories in hindi for class 8

सुंदरबन के घने जंगल में, मिंकू, पिंकू, और चिंकू नामके 3 नटखट बंदर रहते थे. वे तीनों घनिष्ट मित्र थे. जहाँ भी जाते साथ मिलकर ही जाते थे. जो भी फल मिलता आपस में मिल बाट कर खाते थे.

जंगल के सभी प्राणी उनकी दोस्ती की तारीफ किया करते थे. एक दिन तीनो दोस्त फल खाने के लिए. जंगल की सबसे बड़ी पहाड़ी पर गए थे. सुंदरबन की वह पहाड़ी अपने दल-दल (कीचड़) के लिए भी मशहूर थी.

उसी दल-दल के ऊपर के पेड़ों पर तीनो दोस्त फल तोड़ रहे थे. तभी अचानक मिंकू डाल टूटने की वजह से दल-दल में जा गिरा. मिंकू को दल दल में गिरा देख. पिंकू उसे हाथ देने के लिए. पेड़ की डाल से झूल गया.

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पर डाल इतनी कमजोर थी. की वह थोड़े से वजन से ही टूट गई. और पिंकू भी दल-दल में गिर गया. वह दोनों डर गए और बाहर निकलने के लिए. झट पटाने और शोर मचने लगे.

तेज हल चल की वजह से वे दोनों दल-दल में और ज्यादा धंस रहे थे. चिंकू उम्र में उनसे बड़ा था. और समजदार भी. उसने सबसे पहले दोनों को शांत रहने के लिए कहा. ताकि वह दोनों कीचड़ में और ज्यादा ना धंसे.

कुछ पल सोचने के बाद. चिंकू को  एक उपाय सुझा. उसने नजदीक के एक पेड़ से मजबूत बेल तोडकर. उनके पास डाल दी. और मिंकू, पिंकू ने उसे कसकर पकड़ लिया. फिर उसने दोनों को धीरे-धीरे ऊपर खींच लिया.

इस तरह चिंकू की होशियारी और धीरज की वजह से दोनों की जान बच गई.

मोरल: सकंट समय में हमेशा धीरज और होशियारी से काम लेना चाहिए.

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केशव और जंगली पशु | short moral stories in hindi for class 8

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ताडोबा के जंगल में केशव नाम का एक चरवाहा. रोज अपनी गाय चराने जाता था. केशव को गाय चराते वक्त. बांसुरी बजाना अच्छा लगता था.

वह प्रति दिन बांसुरी पर नइ नइ धुन बजता था. और उसके बांसुरी की धुन सुनकर गाय के साथ-साथ. जंगल के अन्य जानवर भी उसके पास आकर बैठ जाते थे.

बांसुरी की मीठी धुन की वजह से केशव. जंगल के सभी जानवरों का अच्छा दोस्त बन चूका था. केशव अपना खाना भी रोज जंगल के प्राणियों में बांटकर खाया करता था.

इस तरह जंगल के बहुत से पशु उससे प्रेम करने लगे थे. एक दिन केशव जंगल में गाय चरा रहा था.

तभी उसे प्यास लगी और वह तालाब पर पानी पिने के लिए चला गया. बहुत देर हुई केशव पानी पीकर लौटा नहीं. यह देखकर कुछ हिरण और गाय उसे ढूंढने तालाब की ओर चल पड़े.

जाते-जाते रास्ते में उन्हें दिखा की केशव बेहोश पड़ा था. और उसके पैर पर सांप के डसने का निशान थे. यह देखकर एक हिरन ने तुरंत. चिड़िया को भेजकर बंदरों के वैद्य को बुलाया. बंदरों के वैद्य ने आते ही केशव के जख्म पर. पेड़ के पत्तों की जड़ी बूटी लगाई. जिससे वह कुछ ही मिनटों में होश में आ गया. और सांप का जहर भी उतर गया.

इस तरह जंगल के प्राणियों ने कुदरत के सहारे केशव की जान बचाई.

मोरल : इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की अगर हम कुदरत का सम्मान करेंगे तो कुदरत भी हमारा रक्षण करेगी.

सच्चे दोस्त का महत्व

यह बहुत सालों पहले की बात है. रामनाथ नाम के एक जंगल में एक बंदर और उल्लू रहा करते थे. वे दोनों बहुत ही गहरे दोस्त थे. उनका बचपन साथ में खेल कूद करते हुए गुजरा था. वे दोनों हमेशा साथ में ही रहते थे.

एक दिन अचानक जंगल में कही से एक मोर आ गया. आते ही उसने पुरे जंगल में के बारे में पता करने के लिए. बंदर के साथ मित्रता कर ली. और अपने फायदे के लिए. उसका इस्तेमाल करने लगा.

बंदर अब अपने नए मोर दोस्त के साथ समय बिताने लगा. दिनभर वे दोनों जंगल में एक साथ घूमते, खाना खाते और बहुत सारा मजा करते. दूसरी तरफ बंदर का पुराना दोस्त उल्लू अब अकेला पैड गया था.

धीरे-धीरे बंदर अपनी पुरानी दोस्ती को भूल सा गया. इसलिए उल्लू को अहसास हुआ कि वह अब बंदर के लिए कुछ खास नहीं रहा. जिससे वह बहुत उदास रहने लगा.

एक दिन जंगल में बहुत बड़ी आग लगी. जंगल के सभी प्राणी अपनी जान बचाकर भाग ने लगे. उन सब के साथ दौडते-दौडते बंदर एक दल दल में फस गया. उस समय उसका नया दोस्त मोर भी साथ में था. लेकिन सहायता करने के बजाय. वह भाग खड़ा हुआ.

उस समय बंदर को एक सच्चे दोस्त की मदद की बहुत आवश्यकता थी.  कुछ समय बाद उल्लू ने मोर को अकेले भागते हुए देखा. तभी उसे अपने दोस्त बंदर की याद आयी. इसलिए वह उसे इधर उधर ढूंडने लगा. जंगल के अन्य जानवरों से पूछताछ करणे  पर.

उसे किसी ने बंदर की मुसीबत के बारे में बताया. वह सुनते ही उल्लू ने जाकर बंदर को दल-दल से बाहर आने में मदद की. अंत में बंदर समझ गया कि.

उसका असली दोस्त उल्लू ही है. जो हमेशा उसका साथ देता है. अपनी हरकत के लिए बंदर ने उल्लू से माफी भी मांगी.

सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्ची दोस्ती अपने दोस्तों की भावना समझने से होती है, न कि दिखावे से. और नया दोस्त मिल भी गया. तो पुराने दोस्त को कभी नहीं भूलना चाहिए.

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