कंजूस चंपकलाल | Bachon ki rochak kahaniyan
एक शहर में चंपकलाल नामका एक तेल का व्यापारी रहता था. वह बहुत ही कंजूस आदमी था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी. फिर भी वह अपनी खुशीसे बच्चो के लिये मिठाई या कोई भी खाने की चीज नहीं लता था.
यहाँ तक की अपने घर का राशन किराना भी वह खराब दर्जे का भरता था. उसकी बीवी उसके इस स्वभाव से परेशान थी. आम के सीज़न में एक रविवार के दिन बच्चो ने चंपकलाल को आम लाने जिद्दकी. और उसकी पत्नी ने भी ज़ोर दिया इसलिय वह भी मान गया.
वह सुबह-सुबह ही आम लेने निकला. उसके घर के नाजिद्क ही एक ठेले पर एक आदमी आम बेच रहा था चंपकलाल उस आम वाले के पास गया और उससे पूछा भाईसाहब ये आम का क्या भाव है.
ठेले वाला बोला कि आम 150 रुपया डजन.चंपकलाल बोला ये तो बहुत मेहेंगा है. मुझे तुम ये आम 110 रुपये में दे दो.आम वाला बोला मुझे परवडेगा नहीं आप बड़े बाजारमें जाके आम लेलो शायाद वहा कम भाव में मिलजाए.
चंपकलाल बड़े बाज़ार में जाता है. और वहा एक बड़ी आम की दुकान वाले से पूछता है.आम का क्या भाव है. दुकानदार बोलता है. आज आम का भाव 120 रुपये है. चंपकलाल बोला येतो बहुतही महंगा है.
तुम मुझे ये आम 70 रूपये में दे दो. दुकानदार ने कहा आप एक काम करिये यहाँ से 5 किलोमीटर दूर एक आम का बाग़ है. आप वहा जाके मुफ्त में आम क्यों नहीं तोड़ते.
मुफ्त ये शब्द सुनते ही चंपकलाला उस आम के बगीचे की और निकलपडा. जब वह आम के बाग़ में पंहुचा वहा कोइ नहीं था. उसने सोचा यही मौका है. मुफ्त में आम की थैला भर लेता हु. वह कोई आने से पहले फटा फट पेड़ पर चढ़ गया.
आम का पेड़ काफ़ी ऊँचा था. चंपकलाल एक डाली पर खड़े होकर आम तोड़ने लगा अचानक उसके वज़न से आम की डाली टूट गयी. और वह धडाम से निचे गिरगया और उसुके दोनों पैर फ्रैक्चर होगए थे.
और उसके चिलाने की आवाज़ सुनके बाग़ में रहने वाले पालतू कुत्तो ने भी आके उसे काट लिया. फिर बाग़ के मालिक ने उसे हॉस्पिटल पोहोचाया.
कुछ दिनों बाद जब चंपकलाला के हात में हॉस्पिटल का 50000/- का बिल आया तो वह सिर पकड कर बैठ गया. और सोचने लगा कि अपने कंजूस स्वभाव की वज़ह से उसने बड़ा नुक़सान करवालिया.
नैतिक सीख: तो बच्चो इससे आपको ये सीख मिलती है की आपको अपनी जिंदगी खुले मनसे जिनी चहिये ज्यादा कंजूसी करना भी अच्छा नहीं होता.
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