आत्मा इस शब्द को लेकर अधिकतर लोंगो के पास सिर्फ तर्क होते है. जिससे वह लोग आत्मा के होने का या न होने के दावा करते है. पर इस दुनिया में बहुत से लोग ऐसे भी है. जो एक “आत्मा ” से रूबरू हो चुके है. यह कहानी ऐसी ही एक सत्य घटना पर आधारित है. यह Sacchi bhutiya kahani हमे विवेक ने भेजी है.
प्रेतआत्मा से रूबरू होने की सत्य घटना Sacchi Bhutiya Kahani
कहानी :- यह सत्य अनुभव कथन विवेक दुबे का है. जो उसने हमे ट्विटर पर मेसेज किया था. विवके ठाणे में रहता है. और एक कॉल सेण्टर में टीम लीडर के तौर पर काम करता है. २०१७ में उसे अपने गाँव उत्तर प्रदेश गए हुए
लगभग ढाई साल होगये थे. इसलिए वह 2017 की दिवाली में छुट्टियां लेकर अपने गाँव गया था. उत्तर परेश के एक पूरी तरह दिहती. इलाखे में वह रहता है. जहा बीजली के खम्बे तो है.
मगर गाँव में बिजली जाती रहती है. उसे बचपन से ही छत पर मछर दानी लगाकर सोने की आदत है. जो बड़े होने के बाद भी नहीं छुटी. उस रात भी वह छत पर अकेले ही सोया था.
रातको उसकी नींद किसी अजीब से आवाज से खुली. जो उसे घर से थोड़ी दूर घनी झड़ियों वली बस्ती से अति हुई महसूस हुई. वह मछर दानी खोलके बाहर निकला और छत की रेलिंग के पर जाकर आस पास नजर घुमाई.
तो उसे पीपल के पेड़ के गोल गोल चक्कर लगता हुआ एक साया नजर आया. उसने सोचा की होगा कोई परेशान आदमी. जो रात में घर में बाहर टहल रहा होगा. हमेशा की तरह बिजली नहीं थी.
इस लिय चाँद से आने वाली टीम टिमाती रौशनी में विवेक को दुरसे कुछ ठीक देख नहीं पाया. उसने तो सिर्फ दिखने वाली आकृति के सहारे अंदाजा लगाया था.अपने मन में उठने वाले डर को खामोश करके.
विवक अपनी मछार दानी में जाकर सो गया.पर कुछ ही मिनीटो में उसकी नीदं फिरसे उसी अजीब आवाज से खुली. पर इस बार वह आवाज दूर से नहीं.
कही नजदीक से आरही थी. विवेक फिर से उठा और छत की रेलिंग के पा गया. और उसे घर के आंगन में जो नजारा दिखा. उसे देखने के बाद विवेक के बदन में दौड़ रहा खून मानो भयरस बनगया.
उसके कान ठंडे होकर सुन्न होगये. क्योंकि वहां एक 6 फूट का लम्बा डरावना साया खड़ा था.जो छत पर आने वाली सीढियों की तरफ देख रहा था. उसे देखकर विवेक निचे बैठ गया.
पर कुछ ही पालो में. वह साया बाहर से ऊपर आने वाले छत के दरवाजे में खड़ा था. विवके उसके आर पार देख सकता था. वह साया धीरे धीरे विवक की तरफ बढ़ रहता.
विवक ने जरा सभी समय न गवाते हुए. हनुमानजी का जाप करना शुरू कर दिया. हनुमानजी का नाम लेते ही. वह साया कुछ ही पलो में हवे में ही अंतर्ध्यान होगया.
वह क्या था.वहां किस प्रकार के इरादे से आया था. कुछ भी पता नहीं. पर विवेक के कहने अनुसार उस साये को कोई चेहरा नहीं था.बस के अजीब आकार जिसके आर पर देखा जा सके एसा कुछ था.
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Sacchi Bhutiya Kahani- आत्मा के बारे में धारणा
आत्मा भटकती क्यों है? जब तक कोइ भी इंसान शरीर के साथ जीवित होता है. तो उसकी कुछ इच्छाए होती है. और अपने जीते जी वह उन इच्छाओं को को पूरा करना चाहता है.और जब कोई इंसान उस इच्छाओं को पूरा किये बिना मरता है. तो उसे अकाल मृतु भी कहते है.
मतलब समय से पहले मौत. यह मौत बडि ही दर्दनाक होती है. और कहते है की जिसकी अकाल मृतु हुई है. उसकी आत्मा उसका समय पूरा होने तक इसी संसार में भटकती रहती है.
और इस समय में वह आत्मा कभी कभी अपनी इच्छापूर्ती के लिए. किसी और मानव शरीर का सहारा लेने का प्रयास भी कर सकती है.
हमारी ब्लॉग पोस्ट Sacchi Bhutiya Kahani पूरी पढने के लिए धन्यवाद. इस ब्लॉग पर इसतरह के कई . भूत प्रेत के सच्चे अनुभव मौजूद है. आप उन्हें भी पढ़ सकते है. और यह Sacchi Bhutiya Kahani आपको कैसी लगी हमे कमेंट करके जरुर बताये.
Thank you for reading Sacchi Bhutiya Kahani .your can read many stories like this Sacchi Bhutiya Kahani which is available in Hindi. Please comment after reading this horror story in the Hindi language. and Do not forget to share with your friends and family. thank you
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