नागिन पिशाच का कहानी | Sachi Darawni Kahaniya
मेरा नाम है चंन्दन. मै एक सरकारी बैंक में कैशियर के पद पर काम करता हूँ. यह उस वक्त की बात है. जब बुरानगर गाँव में बैंक की नई शाखा खुलने की वजह से मेरा तबादला हुआ था. शुरुवात में रहने की व्यवस्था ना होने के कारण मै अकेले ही बुरा नगर में आया था.
श्याम को छुट्टी होने के बाद. किराये पर घर ढूंडने के लिय में गाँव के सरपंच जिसे मिला उनसे बातचीत हुई. उन्होंने बताया की उनके पास तो कोई घर खाली नहीं है जिसे वह किराये पर दे सके. सरपंचजी ने मुझे कुंतल नाम के मारवाड़ी के बंगलो का पता दिया.
मे उस मारवाड़ी से जाके मिला. उनसे कहा की कुंतलभाई मेरे परिवार में बूढ़े माँ बाप मेरी गर्भवती बीवी और मैं कुल मिलाके 5 लोग है. हमें रहने के लिये किराये पर घर चाहये. और मेरी नौकरी भी सरकारी है. तो आपको किराया भी समय पर दिया करूँगा.
उन्होंने कहा की उनके पास एक पुराणी हवेली है. जो बहुत सालो से वीरान पड़ी है. मैने कहा कुंतल भाई मुझे परिवार के साथ रहना हे ख़ानदान के साथ नहीं वह बोले की मेरे पास अब यही एक खाली जगह हे. जो मैं तुम्हे दे सकता हु. तुम भले आदमी लगते हो तो तुम्हे में ये हवेली थोड़े से ही ज़्यादा किराये पर दूंगा.
किराये पर ली पुराणी हवेली
मेरे पास समय कम था इसलिए मैने उस हवेली के लिए हाँ कहा और करता भी क्या बैंक मेनेजर ने मुझे जल्द से जल्द नया ठिकाना धुंडने के लिये कहा था. क्योंकि मैं रातको बैंक में ही सोता था.और फिर परिवार को भी तो लान था. मैंने अगले ही दिन पिताजी को फ़ोन करके बोला की मैंने एक पुराणी हवेली किराये पर ली हे.
आनेवाले 2 दिनों में आप सब लोग बुरानगर आजाव. अगले ही दिन मेनेजर से आधे दिन की छुट्टी लेकर कुंतलभाई से हवेली की चाबी ली. और उनकी पहचान का ही एक मजदुर ले कर साफ़ सफ़ाई करने हवेली ली पर पहुँचा. जब मैंने हवले का मेनगेट खोला तब मुझे एक अजीब नजारा दिखा हवेली के आंगन और बगीचे में जगह-जगह किसीने बड़े-बड़े गड्डे खोदे हुए थे.
जैसे की कोई ज़मीन में कुछ ढूंड रहा है. और गड्डे के बाजु में तांत्रिक पूजा विधि का सामान था. और सबसे विचीत्र चीज थी गेहु के आटे से बना हुआ नाग. जो हर गड्डे के पास रखा हुआ था. उस मज़दूर को मैंने सब गड्डे भरके उस सामान को कचरे में फकने को कहदिया और मैं हवेली के कमरे देखने लगा.
हवेली की अजीब चीजे
हवेली में कुल मिलाके 16 बड़े-बड़े कमरे थे. और एक रसोईघर तो मैंने जब पहला कमरा खोला तो मुझे दिखा की फ़र्श पर बहुत सारे सापो की केंचुलीया और वही गेहु के आटे से बने हुए नाग थे. रसोई छोडके सभी कमरों का यही हाल था. वो कमरे साफ़ करने में मुझे रात होगइ थी.
फिरभी रात को बैंक जाते-जाते घरके मालिक को जो देखा वह सब बताया. वो बोले की किसी बच्चे या पियक्कड़ गाँववाले ने अन्दर घुसके कोई शरारत की होगी. उसने यह कहकर मेरी बात को टाल दिया. पर मेरा मन मुझे कुछ और ही संकेत दे रहा था. पर करता भी क्या. और कोई घर भी तो नहीं मिल रहा था.
घर में पिशाच होने की भनक लगी
अगले ही दिन रविवार था. मेरा परिवार बुरानगर आने वाला था. सुबह में बस स्टॉप से परिवार को सामान सहित उस हवेली पर ले गया. उस हवेली में हमारी पहली रात थी. सभीने बहुत दिनों बाद एक साथ खाना खाया सब बहुत खुश थे. खाना होने के बाद माँ और पिताजी उनके कमरे में चले गए. मध्यरात्रि में पिताजी को नीदं नहीं आ रही थी. तो पिताजी आंगन में टहले लगे. टहलते वक़्त अचानक से बिजली चली गयी और फिर उन्हें एक स्त्री की आवाज़ सुनीई दी.
शामलाल शामलाल अरे ओ शामलाल तुम मुझे सिर्फ एक बलि दे दो और पूरा सोना तुम्हारा होगा. सिर्फ एक बलि और तुम सोने के भंडार के स्वामी बन जाओगे . यह आवाज उन्हें बार-बार सुनाई देने लगी. वो डर के मरे बौखला गये. और इधर उधर नज़र घुमाने लगे. और फिर वह सामने आयी उसकी आंखे लाल थी. माथे पर नाग का चिह्न था. उसने हरे रंग की चमकने वाली साडी पहनी थी.
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नागिन ने दिखाया भयानक मंजर
ये भयंकर मंज़र देखकर पिताजी बेहोश होगये. फिर सुबह जब माँ ने उन्हें देखा तो ज़ोर जोर से आवाज़ देके हम सबको बुलाया. हमने पिताजी को बेडरूम में लेटा दिया. कुछ समय बाद पिताजी को होश आया. उन्होंने जो हुआ वह सब बताया. माँ के चेहरे का तो रंग ही उड़ गया.
बाद में-में ऑफिस चला गया. पूरा दीन मेरे मन में शुरुवात से देखी और पिताजी ने बताई हुई सभी बाते एक के बाद एक दस्तक दे रही थी. मैं श्याम को जब घर आया तब सब नार्मल था. पिताजी रेडियो पर पुराने गाने सुन रहे थे. सास बहु रसोई घरमे गप्पे लड़ते हुए खाना पका रही थी.
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दहशत में परिवार
फिर में भी रात की घटना को पिताजी का वहम मानके भूल गया. पर मुसीबत तो अब आनेवाली थी. रात को जब सब खाना खाके सो गए तब सभी कमरों के फर्शे के निचे कुछ भारी वज़न वाली चीज सरकने की आवाज़ आने लगी. लग रहा था कि कोई बड़ी भारी चीज ज़मीन के अन्दर इधर उधर सरका रहा हो.
हम सब डरके आंगन में इकठा हो गये थे. कुछ समय बाद जब वह आवाज़ आणि बंद हो गई. फिर हम सब कमरे के अन्दर गए और सबने एक ही कमरे में रात बिताई. पर किसी को नींद नहीं आयी थी. सुबह माँ और पिताजी गाँव में कोई मंत्र तंत्र वाले बाबा को तलाशने लगे. और खुश किस्मती से उन्हें बजरंगबलि के मंदिर में साधू मिले.
पिशाच से छुटकारा पाने की कोशिश
उन्हे जब पिताजी ने अबतक की पूरी दुर्घटना की सच्चाई बताई तब बाबा बोले की उस हवेली में एक नागिन का पिशाच है. और उसे पिशाच योनी से मुक्ति चाहिए. पर उसे वह तब ही मिल सकती है. जब तुम नागिन को उस खजाने की रखवाली से आजाद करदो. और ये तब ही मुमकिन है. जब तुम उसे एक इंसान बलि चढाओ फिर वह खजाना तुम्हारे हवाले कर के उस पिशाच योनी से मुक्त होगी.
जब तक तुम उस हवेली में रहोगे तब तक वह तुम्हे पूछती रहेगी और होसकता अपनी बात मनवाने के लिए वह तुम्हारे परिवार को नुक़सान भी पंहुचाए. माँ ने जमींन के निचे आने वाली आवाजो के बारे में पूछा साधू महराज बोले की नागिन खजान एक जगह नहीं रखसकती क्यों की उसे तांत्रिक और मंत्रीको का भय रहता है. वह खजाने के साथ उसे क़ैद कर सकते है फिर उसे कभी मुक्ति नहीं मिलेगी.
वह पिशाच नागिन बहुतही शक्तिशाली है. वही खजाने को जमींन के अन्दर से सरकाते हुए जगह बदलती रहेगी. फिर बिनाबोले ही साधूबाबा ने परिवार की रक्षा के लिये अभिमंत्रीत की हुई 4 अंगुठिया दी और वह हवेली जल्दी छोड़ने की सलाह भी. माँ ने मेरे घरके अंदर क़दम रखते ही मुझे अंगूठी पहने को दी.
नागिन ने दिया खजाने का लालच
फिर उसी रात उस नागिन ने मुझे भी खजाने के नाम से लचाया. जब मैं रात को पेशाब करके लोट रहा था तब उसने मुझे पीछे से आवाज़ दी चंन्दन-चंन्दन मुझे सिर्फ़ एक बलि दे दो और पूरा सोना तुम्हारा. तुम्हे अपनी पूरी ज़िन्दगी किसीकी गुलामी करने की ज़रूरत नहीं. बस सिर्फ़ एक बलि दे दो और पूरा खजाना तुम्हारा.
क्या मिलेगा नागिन पिसाच से छुटकारा?
उसकी आवाज़ से वह गुस्से में लग रही थी. और वह मुझे शायद मार भी देती पर मैंने पीछे मुडके नहीं देखा. और साधू महाराज की अंगूठी जिसपर हनुमान जी का आशीर्वाद था वह मेरे पास थी. इसलिये वह मुझे हानी पंहुचा न सकी. और अगले ही दिन बढ़िया क़िस्मत से मुझे नज़दीक के गाँव में दूसरा घर मिलगया. और अब में मेरे परिवार के साथ वहा रहता हु और मेरी गर्भवती बीवी को लड़का हुआ है.
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