रामायण चौपाई हिंदी लिरिक्स | RAMAYAN CHAUPAI 101 LYRICS IN HINDI | RAMAYAN CHAUPAI IN HINDI LYRICS

रामायण चौपाई हिंदी लिरिक्स | ramayan chaupai 101 lyrics in hindi | ramayan chaupai in hindi lyrics

जय राम सिया राम, सिया राम सिया राम,
जय राम सिया राम, सिया राम सिया राम,
जय जय राम,
मंगल भवन अमंगल हारी,
द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

हरि अनंत हरि कथा अनंता,
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे,
दूर करो प्रभु दुःख हमारे,
दशरथ के घर जन्मे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

विश्वामित्र मुनीश्वर आये,
दशरथ भूप से वचन सुनाये,
संग में भेजे लक्ष्मण राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

वन में जाये ताड़का मारी,
चरण छुए अहिल्या तारी,
ऋषियों के दुःख हरते राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

जनकपुरी रघुनन्दन आये,
नगर निवासी दर्शन पाए,
सीता के मन भाये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रघुनन्दन ने धनुष चढाया,
सब रजो का मान घटाया,
सीता ने वर पाए राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

परशुराम क्रोधित हो आये,
दुष्ट भूप मन में हर्षाये,
जनक राय ने किया प्रणाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

बोले लखन सुनो मुनि ज्ञानी,
संत नहीं होते अभिमानी,
मीठी वाणी बोले राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रामायण से संबंधित –  राम रक्षा स्तोत्र अर्थ सहित

 Ramayan ji ke dohe | रामायण के दोहे | ramayan chaupai in hindi lyrics

रामायण जी के दोहे जो करेंगे बेड़ा पार ।। जय श्री राम हर संकट को करे दूर

लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो,
जो कुछ दंड दास को दीजो,
धनुष तुड़इया मैं हु राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

लेकर के यह धनुष चढाओ,
अपनी शक्ति मुझे दिखाओ,
चुअत चाप चढ़ाये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

हुई उर्मिला लखन की नारी,
श्रुतिकीर्ति रिपुसुधन पियारी,
हुई मांडवी भरत के वाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अवधपुरी रघुनन्दन आये,
घर घर नारी मंगल गाये,
बारह वर्ष बिताये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

गुरु वशिष्ट से आज्ञा लीनी,
राजतिलक तैयारी कीनी,
कलको होंगे राजा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

कुटिल मंथरा ने बहकाई,
कैकई ने यह बात सुनायी,
दे दो मेरे दो वरदान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

मेरी विनती तुम सुन लीजो,
भरत पुत्र को गद्दी दीजो,
होत प्रातः वन भेजो राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

धरनी गिरे भूप तत्काल,
लागा दिल में शूल विशाला,
तब सुमंत बुलवाए राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम पिता को शीश नवाए,
मुख से वचन कहा नहीं जाए,
कैकई वचन सुनायो राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राजा के तुम प्राण पियारे,
इनके दुःख हरोगे सारे,
अब तुम वन में जाओ राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

वन में चौदह वर्ष बिताओ,
रघुकुल रीती निति अपनाओ,
आगे इच्छा तेरी राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सुनत वचन राघव हर्षाये,
माताजी के मंदिर आये,
चरण कमल में किया प्रणाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

माताजी मैं तो वन जाऊँ,
चौदह वर्ष बाद फिर आऊँ,
चरण कमल देखू सुख धाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सुनी शूल सम जब यह बानी,
भू पर गिरी कौशल्या रानी,
धीरज बंधा रहे श्री राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सीताजी जब यह सुन पाई,
रंगमहल से नीचे आयी,
कौशल्या को किया प्रणाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

मेरी चूक क्षमा कर दीजो,
वन जाने की आज्ञा दीजो,
सीता को समझाते राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

मेरी सीख सिया सुन लीजो,
सास ससुर की सेवा कीजो,
मुझको भी होगा विश्राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

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मेरा दोष बता प्रभु दीजो,
संग मुझे सेवा में लीजो,
अर्धांगिनी तुम्हारी राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

समाचार सुनि लक्ष्मण आये,
धनुष बाण संग परम सुहाए,
बोले संग चलूँगा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम लखन मिथिलेश कुमारी,
वन जाने की करी तैयारी,
रथ में बैठ गए सुखधाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अवधपुरी के सब नर नारी,
समाचार सुनि व्याकुल भारी,
मचा अवध में अति कोहराम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

श्रीन्घ्वेरपुर रघुवर आये,
रथ को अवधपुरी लोटाये,
गंगा तट पर आये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

केवट कहे चरण धुलवाओ,
पीछे नौका में चढ़ जाओ,
पत्थर कर दी नारी राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

लाया एक कठोरा पानी,
चरण कमल धोये सुख मानी,
नाव चढ़ाये लक्ष्मण राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

उतराई में मुद्रि दिनी,
केवट ने यह बिनती किनी,
उतराई नहीं लूँगा रामराम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

तुम आये हम घाट उतारे,
हम आएंगे घाट तुम्हारे,
तब तुम पार लगईयो राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भारद्वाज आश्रम पर आये
रामलखन ने शीश नवाएँ,
एक रत कीन्हा विश्राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भाई भरत अयोध्या आये,
कैकई को कटु वचन सुनाये,
क्यूँ तुमने वन भेजे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

चित्रकूट रघुनन्दन आये,
वन को देख सिया सुख पाए,
मिले भरत से भाई राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अवधपुरी को चलिए भाई,
यह सब कैकई की कुटिलाई,
तनिक दोष नहीं मेरा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

चरण पादुका तुम ले जाओ,
पूजा कर दर्शन फल पावो,
भरत को कंठ लगाये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

आगे चले राम रघुराया,
निशाचरों का वंश मिटाया,
ऋषियों के हुए पूरण काम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अनसुइया की कुटिया आये,
दिव्य वस्त्र सिया माँ ने पाए,
था मुनि अत्री का वह धाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

मुनिस्थान आये रघुराई,
शूर्पनखा की नाक कटाई,
खरदूषण को मारे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

पंचवटी रघुनन्दन आये,
कनक मृग मारीच संग धाये,
लक्ष्मण तुम्हे बुलाते राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रावण साधू वेश में आया,
भूख ने मुझको बहुत सताया,
भिक्षा दो यह धर्म का काम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भिक्षा लेकर सीता आई,
हाथ पकड़ रथ में बैठाई,
सूनी कुटिया देखि राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

धरनी गिरे राम रघुराई,
सीता के बिन व्याकुलताई,
हे प्रिये साईट चीखे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

लक्ष्मण सीता छोड़ नहीं आते,
जनक दुलारी नहीं गँवाते,
बने बनाये बिगड़े काम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

कोमल बदन सुहासिनी सीते,
तुम बिन व्यर्थ रहेंगे जीते,
लगे चांदनी जैसे गाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सुनरी मैना सुन रे तोता,
मैं भी पंखो वाला होता,
वन वन लेता ढूंढ़ तमाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

श्यामा हिरणी तू ही बतादे,
जनक नंदिनी मुझे मिला दे,
तेरे जैसी आँखें श्याम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

वन वन ढूंढ़ रहे रघुराई,
जनक दुलारी कही न पाई,
गिद्धराज ने किया प्रणाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

चख चख कर फल शबरी लायी,
प्रेम सहित खाए रघुराई,
ऐसे मीठे नहीं है आम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

विप्र रूप धरी हनुमत आये,
चरण कमल में शीश नवाए,
कंधे पर बैठाये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सुग्रीव से करी मिलाई,
अपनी सारी कथा सुनाई,
बाली पहुचाया निज धाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सिंघासन सुग्रीव बिठाया,
मन में वह अति हर्षाया,

वर्षा ऋतू आयी है राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

हे भाई लक्ष्मण तुम जाओ,
वानारपति को यूँ समझाओ,
सीता बिन व्याकुल है राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

देश देश वानर भिजवाये,
सागर के तट पर सब आये,
सहते भूख प्यास और घाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सम्पाती ने पता बताया,
सीता को रावण ले आया,
सागर कूद गए हनुमान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

कोने कोने पता लगाया,
भगत विभीषण का घर आया,
हनुमान ने किया प्रणाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अशोक वाटिका हनुमत आये,
वृक्ष तले सीता को पाए,
आंसू बरसे आठो याम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रावण संग निशाचर लाके,
सीता को बोला समझाके,
मेरी ओर तो देखो भाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

मंदोदरी बनादू दासी,
सब सेवा में लंका वासी,
करो भवन चलकर विश्राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

चाहे मस्तक कटे हमारा,
मैं नहीं देखू बदन तुम्हारा,
मेरे तन मनं धन है राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

ऊपर से मुद्रिका गिराई,
सीताजी ने कंठ लगाई,
हनुमान ने किया प्रणाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

मुझको भेजा है रघुराया,
सागर कूद यंहा मैं आया,
मैं हु रामदास हनुमान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भूख लगी फल खाना चाहू,
जो माता की आज्ञा पाऊँ,
सब के स्वामी है श्री राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सावधान होकर फल खाना,
रखवालो को भूल न जाना,
निशाचरों का है यह धाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

श्री हनुमत ने वृक्ष उखाड़े,
देख देख माली ललकारे,
मार मार पहुचाया धाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अक्षयकुमार को स्वर्ग पहुचाया,
इन्द्रजीत फँसी ले आया,
ब्रह्म फ़ास में बंधे हनुमान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सीता को तुम लोटा दीजो,
उनसे क्षमा याचना कीजो,
तीन लोक के स्वामी राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भगत विभीषण ने समझाया,
रावण ने उसको धमकाया,
सन्मुख देख रहे हनुमान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रुई तेल ग्रित बसन मंगाई,
पूँछ बांध कर आग लगाई,
पूँछ घुमाई है हनुमान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सब लंका में आग लगाई,
सागर में जा पूँछ बुझाई,
ह्रदय कमल में राखे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सागर कूद लौट कर आये,
समाचार रघुवर ने पाए,
जो माँगा सो दिया इनाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

वानर रीछ संग में लाये,
लक्ष्मण सहित सिन्धु तट आये,
लगे सुखाने सागर राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सेतु कपि नल नील बनावे,
राम राम लिख शिला तैरावे,
लंका पहुँचे राजा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अंगद चल लंका में आया,
सभा बीच में पाँव जमाया,
बाली पुत्र महा बलधाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रावण पाँव हटाने आया,
अंगद ने फिर पाँव उठाया,
क्षमा करे तुझको श्री राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

निशाचरों की सेना आयी,
गरज गरज कर हुई लड़ाई,
वानर बोले जय सिया राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

इन्द्रजीत ने शक्ति चलाई,
धरनी गिरे लखन मुरझाई,
चिंता करके रोये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

जब मै अवधपुरी से आया,
हाय पिता ने प्राण गँवाया,
वन में गई चुराई भाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भाई तुमने भी छिटकाया,
जीवन में कुछ सुख नहीं पाया,
सेना में भारी कोहराम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

जो संजीवनी बूटी लाये,
तो भाई जीवित हो जाए,
बूटी लायेगा हनुमान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

जब बूटी का पता न पाया,
पर्वत ही लेकर के आया,
कालनेम पहुँचाया धाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भक्त भरत ने बाण चलाया,
चोट लगी हनुमत लँगड़ाया,
मुख से बोले जय सिया राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

बोले भरत बहुत पछताकर,
पर्वत सहित बाण बैठाकर,
तुम्हे मिलादु राजा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

बूटी लेकर हनुमत आया,
लखन लाल उठ शीश नवाया,
हनुमत कंठ लगाये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

कुम्भकरण उठकर तब आया,
एक बाण से उसे गिराया,
इन्द्रजीत पहुचाया धाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

दुर्गा पूजन रावण कीन्हों,
नौ दिन तक आहार न लीनो,
आसन बैठ किया है ध्यान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रावण का व्रत खंडित किना,
परम धाम पहुँचा ही दीना,
वानर बोले जय सिया राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सीता ने हरी दर्शन किना,
चिंता शोक सभी तज दीना,
हँसकर बोले राजा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

पहले अग्निपरीक्षा पाओ,
पीछे निकट हमारे आओ,
तुम हो पतिव्रता है बाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

करी परीक्षा कंठ लगाई,
सब वानर सेना हर्षाई,
राज विभीषण दीन्हा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

फिर पुष्पक विमान मंगाया,
सीता सहित बैठे रघुराया,
दंडक वन में उतरे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

ऋषिवर सुन दर्शन को आये,
स्तुति कर वो मनं में हर्षाये,
तब गंगा तट आये राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

नंदीग्राम पवन सुत आये,
भगत भरत को वचन सुनाये,
लंका से आये है राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

कहो विप्र तुम कहा से आये,
ऐसे मीठे वचन सुनाये,
मुझे मिला दो भैया राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अवधपुरी रघुनन्दन आये,
मंदिर मंदिर मंगल छाए,
माताओ को किया प्रणाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

भाई भरत को गले लगाया,
सिंघासन बैठे रघुराया,
जग में कहाँ है राजा राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सब भूमि विप्रो को दीनी,
विप्रो ने वापस दे दीनी,
हम तो भजन करेंगे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

धोबी ने धोबन धमकाई,
रामचंद्र ने यह सुन पायी,
वन में सीता भेजी राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

वाल्मीकि आश्रम में आयी,
लव व कुश हुए दो भाई,
धीर वीर ज्ञानी बलवान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अश्वमेघ कीन्हा राम,
सीता बिन सब सुने काम,
लव कुश वहाँ लियो पहचान,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सीता राम बिना अकुलाई,
भूमि से यह विनय सुने,
मुझको अब दीजो विश्राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सीता भूमि माई समाई,
देख के चिंता की रघुराई,
बार बार पछताए राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

राम राज में सब सुख पावे,
प्रेम मगन बोले हरी गुण गावे,
दुःख कलेश का रहा न नाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

ग्यारह हज़ार वर्ष परियानता,
राज कीन्हा श्रीलक्ष्मीकांता,
फिर वैकुण्ठ पधारे राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

अवधपुरी बैकुंठ सिधाई,
नर नारी सब ने गति पाई,
शरणागत प्रतिपालक राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

सब भक्तों ने लीला गाई,
मेरी भी विनय सुनो रघुराई,
भूलूँ नहीं तुम्हारा नाम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम,

रामायण की कहानी| ramayan ki kahani | ramayan chaupai in hindi lyrics

भगवान राम महाविष्णु के सातवे अवतार है. जिनका जन्म सत्य यूग हुआ था. उनके अवतार के कई कारण थे. जैसे की आततायी रावण के वध एवं मानव और अन्य जीवों उद्धार.

भगवान विष्णु द्वारा राम अवतार को साथ देने के लिए. माता लक्ष्मी ने भी सीता के अवतार में जन्म लिया था.

भगवान श्रीराम, श्रीदशरथसुतजी , श्रीकौशल्यानंदनजी , श्रीसीतावल्लभजी , श्रीरघुनन्दनजी , श्रीरघुवरजी के साथ अन्य नामों से भी पहचाने जाते है.

सत्य युग में होने वाले राम रावण के महायुद्ध में प्रभु का साथ देने लिए. भगवान राम के प्रिय भक्त भोलेनाथ महादेवजी ने भी महाबली हनुमानजी के रूप में ग्यारहवां रुद्रावतार लिया था.

जो आगे चलकर राम भगवान के सबसे प्रिय भक्त बने. भगवान राम के पिता का नाम सूर्यवंशी राजा दशरथ और माता का नाम देवी कौशल्या था.

राम भगवान की एक सगी बड़ी बहन भी थी. जिसका नाम था शांता. इसका उलेख काफी कम जगह मिलता है. इसके आलावा प्रभ राम के तीन छोटे भी थे.

जिनका नाम था भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न. जो उनकी सौतेली माताओं का नाम सुमित्रा और कैकेयी था.

रामायण में उनकी सौतेली माता कैकेयी ही उनके 14 वर्ष के वनवास का कारण बनी. राम लक्ष्मण और सीता अपने 14 वर्ष वनवास में बिताने के लिए. वन विहार करते हुए पंचवटी पहुंचे थे.

वहाँपर आतताई राक्षस राजा रावण ने माता सीता का धोके से अपहरण कर लिया. उसके पश्चात प्रभु रामचंद्र अपनी पत्नी को ढूंडते हुए.

वनों में हर जगह भटकने लगे. सीता खोज के दौरान ही प्रभ राम की भेट. अपने सबसे बड़े भक्त और साथी भगवान हनुमानजी से हुई.

अपने प्राणप्रिय प्रभु से उनकी दुविधा को सुनते ही हनुमानजी उन्हें अपने मित्र सुग्रीवजी के पास ले गए.

वानरराज सुग्रीव से भेट होने के बाद. प्रभु राम ने सुग्रीव का भी कल्याण कर दिया. उन्होंने सुग्रीव के उत्पति भाई बलि का वध करके सुग्रिवजी को उनका राज पाठ लौटाया.

अपना राज पाठ और वानर सेना के मिलते ही. वानरराज सुग्रीव प्रभु राम की मदत के लिए आगे आए.

उन्होंने अपनी विशाल वानर सेना को चारो दिशाओं में माता सीता के शोध कार्य में भेज दिया.

सबसे महत्वपूर्ण दक्षिण दिशा में सेना के साथ हनुमानजी को भेजा गया. जब पूरी वानर सेना दिक्षिण दिशा के आखिर में. रामेश्वर के समुद्र तट पर पहुंचे.

तब हनुमानजी एक ही छलांग में रामेश्वरम से श्रीलंका तक का अंतर पार लिया था. लंका में दाखिल होने के बाद रामभक्त हनुमानजी जी की भेट रावण के भाई विभीषण से हुई.

वह रावण के भ्राता थे. विभीषण खुद भी श्री रामजी के परम भक्त थे. उन्होंने ही महाबली हनुमानजी को लंका में माता सीता का ठिकाना बताया.

माता सीता से मिलकर हनुमानजी ने. ऊन्हे प्रभु राम की अंगूठी देकर. उनका विश्वास जित लिया. उसकेबाद हनुमानजी ने राम का नाम लेकर रावण पुत्र अक्षय कुमार और अन्य दैत्यों का संघार किया.

उसके पश्चात रावण की राजसभा में स्व इच्छा से बांधकर गए. और उसे प्रभ राम का सन्देश दिया. और माता सीता को प्रभु राम के पास भेजने की सलाह दी.

लेकिन अपनी शक्ति के घमंड में अंधे हुए रावण ने ऐसा नहीं किया. बल्कि उसने महाबली राम भक्त हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी.

परिणाम स्वरुप बजरंगबली ने लंका को ही जला दिया. लंका दहन के पश्चात प्रभुराम के निकट जाकर हनुमानजी ने सीतामाता का संदेशा सुनाया.

सीता के स्थान का पता चलते ही. प्रभुराम अपनी पूरी वानर सेना के साथ. लंका पर चढ़ाई करन के लिए रामेश्वरम पहंचे.

अब सवाल था की रामेश्वरम से लंका तक इतनी विशाल सेना को कैसे पहुंच सकती है? तब वानर भाई नल और नील की मदत से एक पुल बनाने का काम शुरू हुआ.

लेकिन पूल बनाने दिकत यह थी की. इतने विशाल समुन्द्र में पूल बनाये तो बनाये कैसे. तब हनुमान जी ने राम नाम की शक्ति का उपयोग किया.

उन्होंने हर के पत्थर पर राम राम लिखा और राम की महिमा से सभी पत्थर पानी पर तैरने लगे.

फिर उस पूल को रामसेतु नाम दिया गया. जिसके सहारे प्रभु राम अपनी वानर सेना के साथ लंका पहुंचे.

वहा पहुचने के बाद श्री राम और रावण के बीच सत्य यूग का सबसे भयानक युद्ध हुआ. इस युद्ध में रावण के अमरता का राज नाभि में है. यह बताकर रावण के भाई विभीषण ने प्रभु राम का साथ दिया.

फिर श्री राम भगवान ने रावण के नाभि में बान मारकर उसका वध किया. और असुरों का संघार करके माता सीता को छुड़ाया. रावण की मृत्य के बाद राम प्रभु ने विभीषण को लंका का राजा बनाया.

उसके बाद वह समय आया जिसका इतंजार पूरा ब्रह्मांड कर रहा था. राम और सीता का मिलन.

लेकिन मिलन से पहले माता सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा.

माता सीता के पवित्रता की परीक्षा होने के बाद. प्रभु राम और माता सीता का मिलन हुआ. उस वक्त आकश से देवी देवता पुष्प बरसा रहे थे.

और तब तक 14 वर्ष वनवास का समय बीत चूका था. और फिर राम लक्ष्मण और सीता सहित हनुमानजी भी अयोध्या लौट गए. यह थी राम और रावण युद्ध की कथा.

गोस्वामी तुलसीदास ने विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की है. भारत के साथ साथ थाईलैण्ड और इण्डोनेशिया जैसे और भी देशो में राम भगवान का पूजन होता है. और रामायण

चौपाई हिंदी लिरिक्स के साथ राम के दोहे भी गाये जाते है.

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