Ostrich in hindi इस लेख में हम शुतुरमुर्ग के बारे में काफी सारे रोचक तथ्यों के साथ-साथ इस पक्षी की पूरी जानकरी विस्तार से प्राप्त करने वाले है. तो चलिए शुरू करते है.
शुतुरमुर्ग के बारे में रोचक तथ्य – Interesting facts about ostrich in hindi
दक्षिणी अफ्रीका के नाम्बिया देश में २१ मिलियन वर्ष पुराने शुतुरमुर्ग के जीवाश्म प्राप्त हुए है. इसी वजह से इस पक्षी का मूल निवास स्थान अफ्रीका का माना जाता है.
शुतुरमुर्ग के बच्चे काफी तेजी से बढते है. ये लगभग ६ महीने के उम्र में ही वयस्क शुतुरमुर्ग के आकार समान दिखने लगते है.
शुतुरमुर्ग के शरीर में पेशाब और मल का त्याग करने के लिए. दो अलग-अलग अंग होते है. जबकि अन्य पक्षियों में इसके लिए एकही अंग से होता है.
शुतुरमुर्ग के झुंड की सभी मादाएं एकही घोंसले में अंडे देती है. इन एक जैसे दिखनेवाले सभी अंडो में से हर एक मादा अपने-अपने अंडो को पहचान सकती है.
यह भी पढे – हरियल पक्षी की सम्पूर्ण जानकारी एवं रोचक तथ्य
शुतुरमुर्ग की आंखे इसके मगज (दिमाग) के आकार से भी बड़ी होती है. इसके दिमाग का वजन ४० ग्राम होता है. जबकि इसकी सिर्फ एक आंख का वजन ६० ग्राम होता है.
नर शुतुरमुर्ग प्रजनन के लिए तैयार होने पर उसकी चोंच और पैरों का रंग लाल/गुलाबी हो जाता है. इसी प्रकार मादा शुतुरमुर्ग तैयार होते ही उसके पंखो का रंग चाँदी जैसे रंग में बदल जाता है.
शुतुरमुर्ग उड़ नही सकते लेकिन ये अपने मजबूत पैरों से छलांग मारकर १० फीट का अंतर तय कर सकते है.
इनकी दौड़ने की नियमित गति ४५ से ५० किलीमीटर प्रति घंटा तक होती है. हालाँकि, प्राण संकट की स्थिति में ये ७० से ७२ किलीमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार से भी भाग सकते है. इस तरह शुतुरमुर्ग किसी शिकारी चीते से भी पीछा छुड़ाने में सक्षम होते है.
अन्य पक्षियों की तरह शुतुरमुर्ग के गले के नीचले भाग में भोजन संग्रह करने की थैली नहीं होती. लेकिन इनके ३ पेट होते है. तथा इनके के पेट में अन्य पक्षियों की तरह पित्ताशय की थैली भी नहीं होता है.
शुतुरमुर्ग के ३ पेटों होने की वजह से इनकी की आंत (अंतड़ी) काफी ज्यादा लंबी होती है. इसीलिए शुतुरमुर्ग को खाया हुआ भोजन हजम करने के लिए ३६ घंटो का समय लगता है.
खाए हुए अन्न को पचाने के लिए शुतुरमुर्ग कंकड़ भी खाता है. कंकड़ पेट में जाकर खाने के साथ मिश्रित होकर उसे पीसने व जल्दी हजम करने में मदत करते है. एक वयस्क शुतुरमुर्ग अपने पेट में १ किलोग्राम तक कंकड़ रखता है.
शुतुरमुर्ग के पांव में सिर्फ २ उँगलियाँ होती है. जबकि अन्य पक्षियों में इसकी संख्या ३ या ४ होती है. इनकी केवल बडी वाली आगे की एक ऊँगली में ही नाखून होता है. इनके पैरों का आकार किसी जानवर के खुर सामान दिखता है. इसकी एक तस्वीर नीचे दी गई है.
बहुत बार शिकारी से बचने के लिए शुतुरमुर्ग अपना शरीर, सिर और गर्दन को जमीन से समतल कर लेता है. ऐसा करने से उन्हें देखनेवाले किसी भी परभक्षी को आभास हो जाता है की वह एक मिट्टी का ढेर है. इस तरह शुतुरमुर्ग बिना भागे भी खुदको छुपा लेता है. ऐसा वह ज्यादातर रात व संध्या के समय में करता है. जब अंधेरे की स्थिति होती है.
शुतुरमुर्ग अपने बचाव में अथवा लड़ने के लिए पैरों का इस्तेमाल बखूबी करते है. लेकिन ये पक्षी हमेशा आगे की ओर लाथ मारते है. क्योंकि इनके पैर सिर्फ आगे की तरफ मुड़ने के लिए बने है.
यह भी पढे –मैना पक्षी की सम्पूर्ण जानकारी एवं रोचक तथ्य
shuturmurg कोई शिकारी या आक्रामक पक्षी नहीं है. पर अपने बचाव में ये पैरों से हमला कर सकते है. इनके पैरों के वार से शेर और तेंदुआ जैसे घातक शिकारी की भी मौत भी हो जाती है.
शुतुरमुर्ग के झुंड में २ से ७ मादाएँ होती है. जिनसे संभोग करने के लिए. नर शुतुरमुर्ग आपस में घातक युद्ध भी करते है. इस युद्ध में एक से अधिक शुतुरमुर्गों की मौत भी हो सकती है.
इनके पंख रोयेंदार अर्थात किसी कंबल की तरह होते है. जो किसी भी मौसम में एक रोधक जैसे शुतुरमुर्ग को सुरक्षित रखते है.
अकाल के समय में यह पक्षी समूह बनाकर खाना एवं पानी की तलाश में भटकते है. इनके समूह में शुतुरमुर्ग संख्या ५ से १०० तक भी हो सकती है. जिसका नेतृत्व एक मादा शुतुरमुर्ग करती है, इनके समूह चारा खाने वाले प्राणी जैसे जेबरा याफिर हिरण के झुंड के साथ घूमते है, या कहो उनके आस पास रहते है.
शुतुरमुर्ग बिना पानी पिए बहुत दिनों तक जिंदा रहते है. ऐसा इसलिए मुमकिन होता है, क्यों ये अनेक प्रकार के हरे पौधे, पेड़ के तने, फल एवं फुल खाते है. जिस वजह से इनके शरीर के भीतर पानी की मात्रा संतुलित रहने में मदत मिलती है. लेकिन शुतुरमुर्ग को जब भी पानी का स्त्रोत मिलता है, तब यह उसमे स्नान कर लेता है.
शारीरक तौर पर पूरी तरह से विकसित एक वयस्क शुतुरमुर्ग का कद (ऊंचाई) लगभग 9 फीट तक हो सकती है. इसके कद में तकरीबन आधा हिस्सा ऊंचाई गर्दन की ही होती है.
शुतुरमुर्ग धरती पर पाए जानेवाले किसी भी अन्य पक्षियों के मुकाबले सबसे बडे आकार का पक्षी है.
पुरे जीव जंतु जगत में शुतुरमुर्ग सबसे बड़े आकार के अंडे देता है. हालाँकि, “शुतुरमुर्ग पक्षी ( मादा ) के आकार” की तुलना में अन्य पक्षियों के मुकाबले यह सबसे छोटे अंडे देती है.
शुतुरमुर्ग दिन में भोजन की तलाश करनेवाले जीव है. लेकिन एक अध्यन के मुताबिक इन्हें चांदनी रात के समय भी खाने की तलाश करते हुए देखा गया है.
इजिप्त की पुरातन सभ्यताओं में शुतुरमुर्ग के अस्तित्व के प्रमाण वहां की प्राचीन कलाकृतियों में आज भी मिलते है. इजिप्त के देवता शू (Deity Shu) की कलाकृति में उन्होंने अपने सिर पर शुतुरमुर्ग के पखों को सजाया है. तथा न्याय की देवी “Ma’at” के सिर पर शुतुरमुर्ग का सिर सजा हुआ दिखाई देता है.
शुतुरमुर्ग की शारीरिक बनावट तापमान में होने वाले विकट उतार चढ़ाव को सहन करने के लिए बनी होती है. इनके रहने योग्य निवास स्थानों में रात के वक्त तापमान में ४०° डिग्री सेल्सियस तक बदलाव देखने मिलते है.
shuturmurg के अंडे के आकार की तरह इसकी जर्दी की कोशिकाओं का आकार भी काफी बडा होता है.
आमतौर पर शुतुरमुर्ग के अधिकतम चूजों के जिंदा बचने का दर काफी कम होता है. एक घोंसले मे से लगभग एक ही चूजा वयस्क अवस्था तक जिंदा बच पाता है.
बडी-बडी आँखों की वजह शुतुरमुर्ग की द्रष्टि काफी पैनी होती है. यह लगभग २ से ३ किलोमीटर दूर तक साफ-साफ देख पाते है. इनकी सुनने की क्षमता भी बेहद तेज होती है. आस पास मौजूद शिकारी कि छोटीसी हलचल भी शुतुरमुर्ग साफ साफ सुन सकते है.
आज से लगभग १५५ साल पहले दक्षिण अफ्रीका में शुतुरमुर्ग की खेती (ostrich farming) की शुरवात हुई थी. और आज के समय में १०० देशों में शुतुरमुर्ग की खेती का विकास हो रहा है. जिसमे भारत भी शामिल है.
पक्षी अध्यन में पता चला है की चमकीली चीजें शुतुरमुर्ग को आकर्षित करती है. जंगल के आस पास या किसी पर्यटक स्थल के नजदीक किसी चमकीली वस्तु के मिलनेपर. यह पक्षी उसे उठाकर ले जाते है और उससे खेलते रहते है.
प्राचीन काल में शुतुरमुर्ग के पंखों का ईस्तेमाल अमीर घराने की महिलाएं सजावट में किसी प्रतिष्ठा के प्रतीक की तरह करती थी. मध्ययूग में युद्ध वीर पुरुष भी शुतुरमुर्ग से बने आभूषण पहना करते थे.
अरब शुतुरमुर्ग यह प्रजाती २० वी शताब्दी में शिकार की वजह से विलुप्त हो चुकी है.
शुतुरमुर्ग की शारीरिक रचना – shuturmurg
नर शुतुरमुर्ग का रंग काला एवं पूंछ के सिरे के पंख सफेद होते है. तथा मादा शुतुरमुर्ग का रंग स्लेटी-भूरे एवं इनके पंखों के सिरे पर भी सफेद रंग होता है. नर और मादा दोनों का सिर गंजा होता है.
इनकी गर्दन और पैर काफी लम्बे होते है. सामान्यता शुतुरमुर्ग का वजन ६० से १३० किलोग्राम होता है. हालाँकि, कई नर १६० किलोग्राम वजनी भी हो सकते है.
इनके पैरों में सिर्फ दो उंगलिया होती है जो किसी जानवर के खुर सामान प्रतीत होती है. और शायद यही शुतुरमुर्ग के तेजी से दौड़ने का मूल कारण हो सकता है.
शुतुरमुर्ग अपने पंख दो मीटर तक फैला सकते है. इनका इस्तेमाल वे अपने अंडो को ढकने के अलवा, बच्चों को (चूज़ों को )धुप व शिकारियों से सुरक्षित रखने के लिए करते है. इनकी पूंछ में ५०-६० पंख होते हैं.
तेजी से दौड़ते वक्त संतुलन बनाने के लिए shuturmurg अपने पंखों इस्तेमाल करते है. जिसे दौड़ते समय ये उन्हें बाहर निकालते है.
इनकी लंबी व मजबूत टांगों पर पंख या बाल नहीं होते. घुटनों से निचे इनके पैरों की त्वचा पर शल्कनुमा धारियाँ होती है. शुतुरमुर्ग नर की धारियों का रंग लाल और मादाओं की काली होती है.
लंबी गर्दन और पैरों की वजह से इनका कद (लंबाई) १.८ से २.७५ मीटर तक हो सकता है.
शुतुरमुर्ग की आँखें किसी भी अन्य जमीनी कशेरुकी जीवों में सबसे बडी होती है. इनकी आँखों का आकार ५ मि॰मी॰ तक हो सकता है. इनकी आँखों की ऊपरी पलकें काफी घनी होती है, जिस वजह से तेज धुप से आँखों की सुरक्षा होती है. इसकी एक तस्वीर निचे दी गई है.
इनकी चोचं चपटी, चौड़ी होती है. जिसका सिरा गोल आकार का होता है. निचे तस्वीर में आप देख सकते है.
नए जन्मे shuturmurg के चूजे हर महीने औसत रूप में २५ सेंटीमीटर के दर विकसित होते है. १ साल उम्र के भीतर बच्चों का वजन लगभग ४५ किलोग्राम का हो सकता है.
नर शुतुरमुर्ग २ से ४ साल की आयु तक करीब १.८ से २.८ मीटर, तथा मादा १.७ से २ मीटर की ऊंचाई तक विकसित हो जाते है.
आमतौर पर shuturmurg की आयु ४० से ४५ वर्ष तक होती है. लेकिन कई शुतुरमुर्ग ५० साल तक भी जीवत रहते है.
शुतुरमुर्ग का प्रजनन, बच्चे एवं घोंसला
शुतुरमुर्ग २ से ४ साल की उम्र में प्रजनन के लिए परिपक्व हो जाते है. ज्यादातर मादा शुतुरमुर्ग नर से ६ महीने पहले ही परिपक्व हो जाती है. यह पक्षी इनके पुरे जीवनकाल में इंसानों की तरह पुनः पुनः (लगातार) प्रजनन कर सकते है.
शुतुरमुर्ग के प्रजनन का समय मार्च या अप्रैल के महीने में शुरू होकर सितम्बर महीने की शुरुआत में खतम होता है.
इस विशेष काल में इलाके के मुखिया नर शुतुरमुर्ग अपने झुंड और क्षेत्र की २ से ७ की मादाओं के लिए झुण्ड अन्य सदस्यों के साथ से युद्ध करते है.
जो कुछ मिनिटों के लिए हो सकता है. इस युद्ध के दौरान एक से अधिक शुतुरमुर्ग की मौत भी हो सकती है. मौत का कारण अधिकतर सिर पर पैरों से किया गया घातक हमला होता है.
युद्ध में सफल नर उस क्षेत्र की बहुत सी मादाओं के साथ प्रजनन करता है. लेकिन जोडा सिर्फं मुख्य मादा के साथ ही संबंध बनाता है.
नर शुतुरमुर्ग मादाओं को आकर्षित करने के लिए. अपने पंखों का प्रदर्शन करता है. वह एक विशेष ताल में बारी-बारी पहले १ उसके बाद दूसरा पखं फड़ फडाता है. यह क्रिया नर तब तक करता है. जब तक की वह किसी मादा को रिझा नहीं लेता.
मादा आकर्षित होने के बाद वह जोडा प्रजनन क्षेत्र में प्रवेश करता है. नर शुतुरमुर्ग उस क्षेत्र में मौजूद अन्य नरों को खदेड देता है.
फिर नर और मादा उस क्षेत्र में चरने लगते है. इस दौरान नर मादा को रिझाने के लिए अपने पंख बारी-बारी फड़ फडाने की क्रिया चालू रखता है. यह दृश्य किसी रस्म की तरह प्रतीत होता है. मादा को रिझाने की इस रस्म के दौरान नर अपनी मजबूत चोंच को जमीन पर मारता है. और उसी जगह अपने पखं भी बेहद तेजी से फड़फड़ाता है. ताकि वह जगह साफ होकर घोंसले के लिए नया स्थान बना सके. इस क्रिया या रस्म के अंत में जब मादा अपने पंख निचे करके, नर के गोल- गोल चक्कर काटकर निचे बैठती है. तब में नर शुतुरमुर्ग उसके साथ सहवास करता है.
शुतुरमुर्ग का घोंसला – about ostrich nest
जिस घोंसले (गड्डे) को मुख्य नर ने अपनी चोचं से खोद कर बनाया होता है. वहीपर झुण्ड की मादाएं सामूहिक रूप से अपने अंडे देती है. यह घोंसला लगभग ३० से ६० सेंटीमीटर गहरा एवं ३ मीटर चौड़ा होता है. इस घोंसले में मुख्य मादा सबसे पहले अपने अंडे देती है. जब इन सभी अंडों को सेने का समय आता है. तब मुख्य मादा कमजोर मादाओं के अंडों को उस घोंसले से बाहर धकेल देती है.
अंत में इस सामूहिक घोंसले में अंडों की संख्या २० के करीब रह जाती है.
अंडो को नर और मादा दोनों मिलकर बारी- बारी सेते है. मादा दिन के समय में और नर रात के समय में अंडो पर बैठते है. ऐसा वे अंडो को शिकारियों से सुरक्षित रखने के लिए करते है. क्योंकि मादा का रंग भूरा होता है. जो रेत से काफी कुछ मेल खाता है. और नर शुतुरमुर्ग का रंग काला होता है. जिसे रात के समय में देख पाना मुश्किल होता है. इस तरह वे शिकारी व परभक्षियों को चकमा देते है.
शुतुरमुर्ग के अंडों में से चूजे (बच्चे) बाहर आने के लिए ३५ से ४५ दिनों का कालावधि लगता है. शुतुरमुर्ग के चूजे अपने पहले साल दौरान प्रति माह लगभग 25 सेंटीमीटर के दर से विकसित होते है. शुतुरमुर्ग के बच्चों की तस्वीर निचे आप देख सकते है.
प्रायः नर शुतुरमुर्ग को बच्चों को खाना खिलाते एवं उनकी रक्षा करते हुए देखा गया है. लेकिन नर और मादा दोनों मिलकर ही बच्चों की देखभाल करते है.
ostrich के चूजे जब १ महीने के हो जाते है. तब वह वयस्क शुतुरमुर्ग के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की शुरवात करते है. नर शुतुरमुर्ग अपने बच्चों को शिकारियों से बचना भी सीखाते है.
शुतुरमुर्ग के बारे में गलत मिथक
यहां पर हम शुतुरमुर्ग के बारे एक पुराने मिथक को भी गलत बताना चाहेंगे. हमारी तरह शायद आपने भी सुना होगी की मुसीबत के समय शुतुरमुर्ग अपना सिर जमींन में गाड लेते है. तो दोस्तों यह मिथक पूरी तरह से गलत है.
ऐसा करने से शुतुरमुर्ग का दम घुटकर उनकी मौत हो सकती है. इसके बजाय वे अपने आप को जमीन से पूरी तरह समतल कर लेते है. अथवा वहां से भाग जाते है. इसके विषय में हमने इसी लेख के रोचक तथ्यों में विस्तार से समझाया है.
शुतुरमुर्ग के अंडे की जानकारी
प्रजनन मौसम के दौरान मादा शुतुरमुर्ग, हर दो दिन में एक अंडे का उत्पादन करती है.
सालभर में मादा शुतुरमुर्ग औसतन ६० अंडे देती है. लेकिन इसे १०० अंडे भी देते हुए देखा गया है.
शुतुरमुर्ग के अंडे का आकारमान लगभग १५ सेंटीमीटर लंबा, १३ सेंटीमीटर चौडा और इसका वजन औसतन १.४ किलोग्राम तक होते हैं. अंडों का रंग चमकीले क्रीम कलर का होता है. शुतुरमुर्ग के अंडो की तस्वीर निचे दी गई है.
इनके अंडो की बाहरी परत २ मिमी तक मोटी होती है. जोकि काफी मजबूत होती है. शुतुरमुर्ग के अंडे पर लगभग २२० किलोग्राम का भार रखा जा सकता है. अर्थात अगर मनुष्य भी इसपर खडा रहेगा तब भी यह नहीं टूटेगा.
शुतुरमुर्ग के १ अंडे में २००० कैलोरीज होती है. जिसे खाने से १ वयस्क महिला की १ दिन के कैलोरीज की जरुरत पूरी हो सकती है.
इस पक्षी का १ अंडा मुर्गी के २५ अंडो समान होता है. जिसे खाने हेतु उबालने के लिए १ से १.५ घंटे का समय लगता है.
Soft boil – 1 hr
hard boil – 1.5 hrs
दुनियाभर में शुतुरमुर्ग को इनके अंडे, मांस, चमडी एवं पंखों के लिए पाला जाता है. इनके अंडे एवं मासं खाने में पौष्टक होता है. शुतुरमुर्ग के चमडे से काफी सारी उपयोगी चीजे बनाई जाती है. तथा पंखो से झाडू, एवं सजावट कि चीजे भी बनाई जाती है.
भारत में शुतुरमुर्ग का रोचक इतिहास
अगर आप इस लेख को यहाँ तक पढ़ रहे है. तो शुतुरमुर्ग के बारे में आपका एक सवाल जरुर होगा.
क्या पुरातन काल में भारत की भूमि पर शुतुरमुर्ग का अस्तित्व था?
उत्तर – महाराष्ट्र राज्य के पटने नाम के गाँव में भारी संख्या में शुतुरमुर्ग के अंडों के कवच मिले है. उनपर किये गए अध्ययन से पता चला है की पुरापाषाण काल में भारत में शुतुरमुर्ग का अस्तित्व मौजूद था. इसके अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी प्राचीनकाल में शुतुरमुर्ग अस्तित्व में होने के प्रमाण मिले है. इस तरह यह सिद्ध होता है की प्राचीन काल में भारत में भी शुतुरमुर्ग निवास करते थे.
शुतुरमुर्ग की शिकार कौन करता है
शुतुरमुर्ग के विशाल आकार व मजबूत पैरों के बावजूद भी, इनको कई प्रकार के मांसाहारी जानवरों से खतरा बना रहता हैं. जिनमें शेर, चीता, तेंदुए, लकड़बग्घा, मगरमच्छ और अफ्रीकी शिकार कुत्तों भी शामिल हैं. लेकिन इनके शिकारियों में मनुष्य का नाम सबसे उपर आता है. जंगली सूअर, सियार एवं नेवले जैसे छोटे मांसाहारी प्राणी भी शुतुरमुर्ग अंडों को अपना भोजन बनाने की फीराक में रहते है.
शुतुरमुर्ग क्या खाते है – shuturmurg
ostrich सर्वहारी है, लेकिन इनका मुख्य आहार शाकाहारी होता है. shuturmurg का मुख्य भोजन बीज, घास, छोटे पेड़-पौधे व उनके तने, फल और फूल होता है. कभी कभार ये छोटे कीड़े एवं अन्य प्राणी भी खा लेते है. जिसमे छोटे कछुए, छिपकलियां, छोटे कृंतक (चूहे), सांप और मेंढ़क इत्यादि शामिल है.
शुतुरमुर्ग क्यों नहीं उड़ सकते। सही कारण
उडने वाले सभी पक्षियों के पैरों में छोटे हुक होते है. जिसके इस्तेमाल से वे उडते वक्त अपने दोनों पैरों को एकबद्ध करते है. लेकिन यही हुक शुतुरमुर्ग के पैरो में नही होते. यह भी उनके न उड़ने का एक कारण है. इसके आलावा इनका भारी वजन भी उडने में बडी रुकावट है.
शुतुरमुर्ग का वैज्ञानिक वर्गीकरण
शुतुरमुर्ग अफ्रीका के निवासी है. यह पक्षियों के स्ट्रुथिओनिडि कुल का एकमेव जीवित पक्षी है. जो उड नहीं सकता. इनका मूल वंश स्ट्रुथिओ है.
शुतुरमुर्ग वैज्ञानिक नाम Struthio camelus है. यह शब्द ग्रीक भाषा से लिए गया है. camelus का अर्थ ऊंट होता है. शुतुरमुर्ग के कई दिनों तक ऊंट की तरह बिना पानी पिये जिंदा रहने की खूबी की वजह से उसे यह नाम दिया गया है.
शुतुरमुर्ग की प्रजातियाँ
कुल ९ शुतुरमुर्ग प्रजातियों में से अब सिर्फ दो मुख्य प्रजातियां बची है. उनके नाम कुछ इस प्रकार है.
१) सामान्य शुतुरमुर्ग
२) सोमाली शुतुरमुर्ग
शुतुरमुर्ग में प्रजातियों में सोमाली शुतुरमुर्ग शिकार की वजह से विलुप्त होने की कगार पर खडे है. सामान्य शुतुरमुर्ग की आबादी संतुलित है.
शुतुरमुर्ग की अन्य जानकारी – ostrich in hindi
- शुतुरमुर्ग झुण्ड के मुखिया नर का इलाका २० वर्ग कि॰मी॰ तक का हो सकता है.
- अफ्रीका के वुडलैंड्स और सवाना क्षेत्रों में काफी सारे जंगली शुतुरमुर्ग भारी संख्या में पाए जाते हैं. वर्षों पहले इस पक्षी का अस्तित्व एशिया, और अरब प्रायद्वीप के जंगलों में भी होता था. लेकिन मनुष्य के अतिक्रमण व शिकार की वजह से उनकी संख्या बुरे तरके से घटती चली गई और बहुतसी प्रजातीय कहो नष्ट भी हो गई.
- इंग्लिश में नर शुतुरमुर्ग को Rooster और मादा को Hen कहते है. इनके बच्चों को chick कहा जाता है. शुतुरमुर्ग के झुण्ड को flock कहा जाता है.
- शुतुरमुर्ग की दौड़ दक्षिण अफ्रीका व संयुक्त राज्य अमेरिका में विशेष रूप से चांडलर और एरीजोना में होती है.
- शुतुरमुर्ग ना उडने वाले पक्षियों की श्रेणी में आते है. इसीलिए उन्हें “ratites” नाम से पहचाना जाता है.
- दुनियाभर में दक्षिण अफ्रीका के “Oudtshoorn” शेहर में सबसे अधिक शुतुरमुर्ग की खेती ( ostrich farming )होती है.
यह भी पढ़ें – चकोर पक्षी के बारे में रोचक तथ्य एवं सम्पूर्ण जानकारी
FAQs About ostrich in hindi – शुतुरमुर्ग के बारे में अक्सर पूछे जानेवाले सवाल
Q1) शुतुरमुर्ग कंकड़ क्यों खाते है?
A- शुतुरमुर्ग के ३ पेट होते हैं तथा उनकी अंतड़ियां भी काफी लंबी होती है. इन्हें अपना भोजन हजम करने के लिए ३६ घंटो का समय लगता है. खाए हुए उन्हें अन्न को हजम करने लिए ये पक्षी कंकड़ खाते है. जिससे इनके पेट में खाना पीसने एवं उसे हजम करने में मदत मिलती है.
Q2) शुतुरमुर्ग के अंडे का वजन कितना होता है?
A- शुतुरमुर्ग के अंडे का वजन औसतन १.४ किलोग्राम तक होते हैं. और यह चमकीले क्रीम कलर का होता है.
Q3) शुतुरमुर्ग कहाँ पाया जाता है?
A- मुख्यतः शुतुरमुर्ग अफ्रीका के वुडलैंड्स और सवाना क्षेत्रों में पाए जाते है. लेकिन अब शुतुरमुर्ग की खेती के कारण यह दुनियाभर के १०० देशों में पाए जाते है.
Q4) शुतुरमुर्ग मादा एक साल में कितने अंडे देती है?
A- शुतुरमुर्ग मादा १ साल में लगभग ६० अंडे देती है. लेकिन कई बार यह पक्षी १०० अंडे भी देते है.
Q5) शुतुरमुर्ग कितने समय में अंडे देना शुरू करते हैं?
A- शुतुरमुर्ग पक्षी २ से ४ साल के भीतर अंडे देणे में सक्षम हो जाते है.
आपको हमारा लेख Ostrich in hindi कैसा लगा यह हमे कमेंट बॉक्स में जरुर बताये. आपको अगर किसी पक्षी की जानकारी विस्तार से चाहिए. तो उस पक्षी अथवा जानवर का नाम भी कमेंट बॉक्स में लिखे. Shuturmurg के इसे बेहतरनी लेख को दूसरों के साथ भी जरुर शेयर कीजिये. हमने और भी जानकारी से परिपूर्ण लेख की लिंक निचे दे रहे है उन्हें भी जरुर पढ़े.
पक्षियों पर हमारे बेहतरीन लेख पढे.
- कबूतर की संपूर्ण जानकारी
- उल्लू के बारे में १०० जानकारियां
- गौरैया के बारे में 100 रोचक तथ्य
- मोर पक्षी की जानकारियां
- तोते की २१ प्रजातियों की जानकारी
- नेवला की ३९ जबरदस्त जानकरियां
- नीलकंठ पक्षी का पौराणिक महत्व, रोचक तथ्य एवं सम्पूर्ण जानकारी
- पपीहा के बारे में रोचक तथ्य एवं सम्पूर्ण जानकारी

नमस्कार दोस्तों मै हूँ संदीप पाटिल. मै इस ब्लॉग का संस्थापक और लेखक हूँ. मैने बाणिज्य विभाग से उपाधि ली है. मुझे नई नई चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाना बहुत पसंद है. हमारे इस ब्लॉग पर शेयर बाजार, मनोरंजक, शैक्षिक,अध्यात्मिक ,और जानकारीपूर्ण लेख प्रकशित किये जाते है. अगर आप चाहते हो की आपका भी कोई लेख इस ब्लॉग पर प्रकशित हो. तो आप उसे मुझे [email protected] इस email id पर भेज सकते है.