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मैना पक्षी की सम्पूर्ण जानकारी एवं रोचक तथ्य | Myna bird information in hindi

इस लेख में हम मैना पक्षी की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करनेवाले है. जिसमे हम मैना के रोचक तथ्यों के साथ साथ भारत में पायी जानेवाली “मैना” प्रजातियों की जानकारी भी देखनेवाले है. इस लेख को अंत तक जरुर पढे ताकि आपको Maina pakshi की पूरी जानकारी मिल सके.

मैना पक्षी के रोचक तथ्य

  • मैना पक्षी का स्वाभाव काफी आक्रामक एवं निडर होता है. कौवा और गिद्ध जैसे चालाक शिकारी पक्षी भी इनसे भिडने से डरते है.
  • प्राचीन काल में ग्रीस देश में मैना पक्षी को सबसे बेहतरीन एवं कुलीन पालतू पक्षी के रूप में देखा जाता था.
  • मैना पक्षियों के झुंड में काफी बेहतर तालमेल होता है. अपने झुडं का पेट भरने के लिए आपस में ये खाने पीने के स्रोतों की सूचनाओं का आदान प्रदान भी करते है.
  • मैना अपने इलाके की सुरक्षा बडीही सख्ती से करते है. ये अपने चुने हुए क्षेत्र के भीतर पाए जानेवाले किसी भी अन्य पक्षियों के अंडे व घोंसलों को नष्ट कर सकते है.
  • इन पक्षियों का उपयोग कीड़ों से खेतों की सुरक्षा करने के लिए भी किया जाता है. इसी खास वजह से 18 वीं शताब्दी में मैना पक्षियों को पांडिचेरी से मॉरीशस कीड़ों को नियंत्रित करने के उद्देश्य विस्थापित (migrate) किया गया था.
  • यह पक्षी अपनी एक खूबी के लिए दुनियाभर में मशहूर है. किसी मैना को अगर पिंजरे में या किसी और तरीके से मनुष्य के सानिध्य में रखा जाता है. तो यह इंसानों की भाषा के शब्द बोलना भी आसानी से सीख सकती है.
  • मैना एक समूह में रहनेवाला पक्षी है. ये अकसर ५ से १० के समूह में रहते है,और अनुकूल जगह पर इनका बडा समूह (बसेरा) ५०० से १००० मैना पक्षियों का भी हो सकते है.
  • “बाली मैना” नामकी मैना प्रजाति बेहद दुर्लभ होती है. पक्षी विशेषज्ञों अनुसार साल २०१८ में धरतीपर इसकी १०० से भी कम आबादी बची थी. इसकी एक तस्वीर नीचे दी गई है.

bali myna

  • क्या आप जानते है? मैना खुदका घोंसला तो बनाती है लेकिन अपने अंडे वह किसी और पक्षी के घोसलें में देती है.
  • ऑस्ट्रेलिया में मैना पक्षी एक समस्या बन चुके है. क्योंकि वहां पर मैना की आबादी काफी बड़े पैमाने पर बढ़ चुकी है. इसीलिए ऑस्ट्रेलिया में इनकी आबादी को संतुलित करने के लिए. काफी सारे प्रयास किये जा रहे है.
  • मैना पक्षी को गलती से भी हैं एवोकैडो और चॉकलेट खाने में नहीं देना चाहिए, क्योंकि यह खाद्य पदार्थ उनके लिए विष सामान होते है.  इसके अलवा इनको डेयरी प्रोडक्ट के सेवन से भी इन्हें दूर रखना चाहिए. क्योंकि मैना दूध से बने हुए पदार्थों हजम करने सक्षम नहीं होती.
  • मैना पक्षी खुद के लिए एवं अपने झुंड के लिए बेहद सतर्क होते है. इनके नजदीक किसी भी परभक्षी या अन्य शिकारी की भनक लगते ही ये जोर जोर से शोर मचाकर झुंड को आगाह कर देते है.
  • इन पक्षियों के झुंड की एक आदत होती है. ये श्याम एवं सुबह-सुबह सांप्रदायिक रूप से बडी- बडी आवाजों में शोर मचाते है. जंगल, पहाड़ी इलाके और गांव के नजदीक इन आवाजों को सुना जा सकता है.
  • मैना को एशिया की देसी चिडिया कहा जाता है.
  • मैना पक्षी पानी काफी पसंद होता  है. यह पक्षी पानी में काफी देर तक खेलते रहते है.
  • आपको जानकर हैरानी जरुर हो सकती है की नर और मादा मैना पक्षी दोनों काफी कुछ एक जैसे दीखते है. इनमें भेद करना काफी मुश्किल काम होता है.
  • श्रीलंका के १० रुपए के डाक टिकिट पर Sri Lanka Hill myna का चित्र छपा गया है. Sri Lanka Hill myna की तस्वीर नीचे दी गई है

Sri Lanka hill myna

भारत में पायी जाने वाली मैना पक्षी की प्रजातियां एवं उनकी तस्वीरें

भारत में  मैना की 6 प्रजातियाँ  काफी प्रसिद्ध है

१) गुलाबी मैना : यह अपनी मीठी आवाज के कारण मधुसारिका नाम से भी प्रसिद्ध है. अंग्रेजी साहित्य में इसे पहाड़ी Myna की तरह अपना एक विशेष स्थान प्राप्त है. २४ मई २००४ इस तारीख को भारतीय डाक विभाग ने गुलाबी मैना के चित्र का एक डाक टिकट भी जारी किया है. गुलाबी मैना की तस्वीर नीचे दी गई है.

Rosy starling

२) किलहँटा, देसी अथवा आम मैना : यह मैना हमारे आस पास देखने वाली आम मैना है. इसकी तस्वीर नीचे दी गई है.

maina pakshi

३) गंगई मैना, हरिया मैना : मैना की यह प्रजाति अकसर छोटे छोटे जलाशय एवं गाय,बैलों व बकरियों के झुडं के आस पास देखि जाती है. गंगई मैना की तस्वीर नीचे दी गई है.

Bank myna

४) अबलक मैना : इस मैना के पंख व सिर काले रंग का होता है आँखों के नजदीक लगभग पीछे सफेद अर्धगोलसफ़ेद तथा छाती व पेट का भाग भी सफेद होता है इसकी चोंच नारंगी व सफेद होती है. यह भी जलाशय के नजदीक पायी जाती है. अबलक मैना की तस्वीर नीचे दी गई है.

Indian pied myna

५) ब्राह्मणी मैना, पवई मैना : यह Maina प्रजाति खुले मैदानी इलाको में छोटे छोटे झुंड में पायी जाती है. यह दिखने में काफी सुदंर होती है. इसकी आवाज भी काफी सुरीली होती है. ब्राह्मणी मैना की तस्वीर नीचे दी गई है.

Brahminy Starling

६) पहाड़ी मैना : इस मैना प्रजाति को सारिका नाम से भी पहचाना जाता है. यह मैना इंसानों की भाषा बोलने के लिए काफी प्रसिद्ध है. इसी वजह से काफी सारे लोग इसे पालना पसंद करते है. पहाड़ी मैना छत्तीसगढ़ और मेघालय का राज्य पक्षी है. यह मैना प्रजाति लुप्त होने की कगार पर खडी इसके बचाव के लिए सरकार काफी सारे उपक्रम कर रही है. पहाड़ी मैना की तस्वीर नीचे दी गई है.

hill myna

नोट : आपकी अधिक जानकारी के लिए. हमने यहां पर इन ६ मैना प्रजातियों की जानकारी शामिल की है. हालाँकि, इस लेख में दी जानेवाली मैना पक्षी की जानकारी “आम मैना” के बारे में है. जो हमारे आस पास दिखती है. जिसे भारत की देसी चिडिया भी कहा जाता है.

मैना पक्षी क्या खाते है – Maina pakshi

Myna पक्षी सर्वाहरी होती है. यह कीड़े, मकोड़े, सरीसृप, छोटे स्तनपायी प्राणी, बीज, अनाज, फल और फुल जैसी चीजों के साथ साथ मनुष्यों का खाना भी खाते है. मैना फूलों का रस भी बहुत पीती है.

कीड़ों में मैना को टिड्डे खाना सबसे अधिक पसंद होता है. इनका झुडं मिलकर टिड्डों से पूरा भरा मैदान एवं खेत आसानी से साफ कर सकते है. इसी वजह से मैना को “टिड्डा शिकारी” भी कहा जाता है.

मैना पक्षी का प्रजनन, बच्चें एवं घोंसला

मैना पक्षी १ साल के भीतर प्रजनन के लिए यौन रूप से परिपक्व हो जाते है.

ये पक्षी जीवनभर के लिए सिर्फ एकही साथी चुनते है. लेकिन अगर किसी कारण इनके साथी की मौत हो जाती है. तो ये नया साथी चुन सकते है. मैना पक्षी पुरे साल भर में कभी भी प्रजनन कर सकते है. यह उनके रहने के स्थान की अनुकूलता पर निर्भर करता है.

प्रजनन के बाद मादा मैना २ से ६ अंडे देती है. इन अंडो का रंग हलका नीला हरा होता है. अंडो को नर और मादा मैना दोनों मिलकर १७ से १८ दिनों तक सेते हैं.

अंडों से बाहर आने के पश्चात मैना के बच्चों को उडना सीखने के लिए २२ से २४ दिन लगते है. हालांकि, चूजे अगर जल्दी उडना नहीं सीखते हैं. तब भी मादा और नर मैना बच्चों की देखभाल करते रहते है. जब तकी बच्चे खुद का ध्यान रखना सीख जाते नहीं.

एशियाई कोयल से मैना पक्षी के अंडे एवं बच्चों को सबसे अधिक खतरा रहता है. यह पक्षी घोंसला बनाने के लिए बिल्डिंग के खाली खांचे, ड्रेन पाइप, पेड, घरों के ऊपर की छोटी व खाली  जगहों का इस्तेमाल करते है.

यह बात तो आपको पताही है की मैना पक्षी खुदका घोंसला तो बनाते है लेकिन वे अंडे किसी और के घोसलें में देते है. घोंसला बनाने के लिए वे पेड़ों की टहनियाँ, पत्तियां, टिशु पेपर, टिन और प्लास्टिक की पन्नी के साथ-साथ सांप की केंचुली तक का उपयोग करते है.

मैना पक्षी कठफोड़वा एवं तोते जैसे पक्षियों के घोसलों का भी इस्तेमाल करते है. पक्षी निरिक्षण में बहुत बार यह भी देखा गया है की मैना अन्य पक्षियों के घोसलों से उनको खदेड़कर भगा देते है एवं उनके बच्चों को भी घोसलों से बाहर फैंक देते है. और उनके घोसलों पर हक जमाते है. यह बात इनके आक्रामक स्वभाव को दर्शाती है.

पक्षी निरिक्षण में यह भी देखा गया है की मैना पारंपरिक घोंसला के बजाय कृत्रिम संरचनाओं से बने घोसलों को ज्यादा चुनते है. अर्थात बिल्डिंग के खाली खांचे.

मैना पक्षी की उम्र इसकी प्रजाति व अनुकूलता पर निर्भर होती है. यह कम से कम ५ और अधिकतम २५ वर्षं भी जीवित रह सकते है.

मैना पक्षी की शारीरिक बनावट

हमारे आस पास दिखनेवाली आम मैना की लंबाई लगभग २0 से २५ सेंटीमीटर होती है. आम मैना का रंग भूरा होता है. इसका सिर, पूंछ और गर्दन काले रंग की होता है.

इनकी दोनों आँखों के नजदीक का रंग और पैर एवं चोंच का रंग चमकीला पीला होता है. मैना पक्षी के पखों की किनार सफेद रंग की होती है. इसके पैर काफी मजबूत होते है. उनकी मदत से यह पक्षी तेजी से और सीधी दिशा में उडान भरते है.

मैना पक्षी का आबादी क्षेत्र एवं सीमाएं

Maina pakshi का मूल स्थान दक्षिण एशिया है इसके सबसे अधिक तादाद भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और म्यांमार में पायी जाती है.

मैना की कई प्रजातियाँ दुनियाभर के निम्नलिखित स्थानों पर कृत्रिम तरीके से विस्थपित किया गया है.

कनाडा,ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल, न्यूजीलैंड, न्यू कैलेडोनिया, फिजी, दक्षिण फ्लोरिडा, दक्षिण अफ्रीका, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज़्बेकिस्तान, इन स्थानों पर मैना को विस्थपित (migrate) किया गया है

मैना एक एस पक्षी है जो शहरी और उपनगरीय वातावरण में अपनी आबादी को आसानी से बढाते है. उदाहरण के लिए हम किये गए एक प्रयोग के विषय में जान लेते है. साल १९६८ और १९७१ के भीतर ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में ११० (संख्या)  आम मैना को छोड़ा गया था.

उसके बाद साल १९९१ में जब उसी क्षेत्र में इस पक्षी की आबादी निरिक्षण हुआ, तभी 15 मैना पक्षी प्रति वर्ग किलोमीटर के हिसाब से पाए गए थे, इसी निरिक्षण के ३ वर्ष बाद जब फिरसे मैना आबादी का परिक्षण हुआ तभी उसी क्षेत्र में  75 मैना पक्षी प्रति वर्ग किलोमीटर के हिसाब से अपनी आबादी को बढ़ा चुके थे. तो अब आप समझ चूके होंगे की इनकी आबादी कितनी तेजी से बढती है.

मैना नाम का अर्थ एवं मैना पक्षी के उपनाम

मैना शब्द का अर्थ हिंदी भाषा में है “भगवान का दूत ऐसा होता है. अंग्रेजी भाषा में मैना को मैना ही कहा जाता है. मैना यह शब्द हिंदी भाषा से लिया गया है. जो असल में संस्कृत शब्द मदना से पाप्त किया गया है. इस शब्द का अर्थ होता है “रमणीय और मजेदार.”

भारतीय साहित्य में मैना पक्षी को निम्नलिखित नामों से भी पहचाना जाता है

  • कालाहप्रिय : अर्थ – जिसे बहस करना पसंद है.
  • चित्रनेत्र : अर्थ – सुरम्य आंखे.
  • पीटनेत्र : अर्थ – पिली आँखों वाले.
  • पीतापाद : अर्थ – पीले पैरों वाले.

Myna को हिमालय के क्षेत्र में शा:ड़ी या श्रे:टी नाम से भी संबोदित किया जाता है. गंगई मैना तलाब, नदी एवं छोटे-छोटे जलाशयों के नजदीक अपना घोंसला बनाती है. इसीलिए इसे दरिया मैना नाम से भी पहचान प्राप्त हुई है.

मैना पक्षी का वैज्ञानिक वर्गीकरण

मैना पक्षी “स्टर्निडे” पक्षियों के परिवार का निकट सदस्य है. हमारे आस दिखनेवाली आम मैना का वैज्ञानिक नाम “Acridotheres tristis” है.

Myna के आक्रामक स्वभाव के विषय में अब तक हमने काफी कुछ पढ़ा है. Species survival commission -IUCN द्वरा मैना पक्षी दुनिया की 100 सबसे खराब आक्रामक प्रजातियों में से एक घोषित किया गया है.

मैना पक्षी की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

मैना कोई खतरनाक पक्षी तो नहीं हैं, लेकिन वे साल्मोनेला और बर्ड माइट्स जैसे रोगों को फैला सकते हैं। कभी कभी maina pakshi का झुडं खेत में लहरा रही फसल को नष्ट भी कर सकते हैं.

यह पक्षी कीट और पतंगों को खाते हैं, लेकिन वे ऐसे कीड़े भी खाते हैं. जो खेती और इंसानों के लिए फायदेमंद होते हैं.

मैना की फल, फुल खाने की आदत के कारण हमारे पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र को काफी फायदा मिलता है. इनके द्वरा खाए हुए फल व फूलों के बीज पर्यावरण में भिन्न-भिन्न स्थान पर बिखेर जाते है. जिस वजह से हर जगह फल व फूलों के पेड़ उगते है.

कई बार मैना शहर की इमारतों के लिए मुसीबत खड़ी करती है. इनके बनाये हुए घोसलों की वजह से गटर और ड्रेनपाइप बुरे तरीके से ब्लॉक हो सकते है. जिससे काफी गंदगी फैल सकती है.

आम मैना या भारतीय मैना को ही आमतौर पर “मैना” नाम से ही पहचान मिली है.

FAQs about myna bird in hindi मैना पक्षी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1) दुनिया की सबसे दुर्लभ मैना प्रजाति कौन सी है?
A – “बाली मैना” यह दुनिया की सबसे दुर्लभ मैना प्रजाति है. पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार साल २०१८ में इस प्रजाति की संख्या सिर्फ १०० थी. बाली मैना की खुबसुरत तस्वीर इस लेख में दी गई है.

Q2) मैना की उम्र कितनी होती है?
A – मैना पक्षी का औसत जीवनकाल ५ से २५ वर्ष तक हो सकता है. उम्र इनकी प्रजाति एवं अन्य कारणों पर निर्भर करती है.

Q3) मैना पक्षी का भोजन क्या है?
A – Myna पक्षी सर्वाहरी होता है. यह कीड़े, मकोड़े, सरीसृप, छोटे स्तनपायी प्राणी, बीज, अनाज, फल फुल और इंसानों का खाना भी खाते है.

Q4) मैना पक्षी को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
A – मैना पक्षी को इंग्लिश में “Myna” ही कहते हैं.

हमारा लेख myna bird information in hindi पढने के लिए आपका धन्यवाद इस लेख में दी गई  maina pakshi की जरुरी जानकारी अन्य लोगों के साथ भी जरुर शेयर करे. इस लेख के बारे में आपको क्या लगता है. यह हमें कमेंट करके जरूर बताएं. इसी लेख की तरह महत्वपूर्ण जानकारी से भरे और भी बहुतसे लेख की लिंक निचे दी गई है उन्हें  भी जरुर पढे.

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