नमस्कार दोस्तों hindi story writing for class 5 इस लेख में हमने कक्षा ५ के छात्रों के लिए, बेहतर से बेहतर नैतिक सीख वाली कहानिया दी हुई है. हमने सभी कहानिया कक्षा ५ के छात्रों को ध्यान में रखकर ही लिखी है. इन कहानियों की रचना के लिए, आसन भाषा का उपयोग किया गया है. ये कहानिया पूरी तरह से नई है. इनको पढते वक्त नैतिक सीख मिलने के साथ-साथ आपका भरपूर मनोरंजन भी होनेवाला है. कक्षा ५ के लिए लिखी गई ये कहानिया अन्य छात्र भी जरुर पढे.
Hello friends, I am presenting the best hindi story writing for class 5. below all stories are educational and entertaining for all age group people. so let’s read the hindi story writing for class 5
1 राजा और मौत की देवी – hindi story writing for class 5
कई युगों पहले की बात है, वसुंधरा नामके एक राज्य पर “सुंदर” नाम के राजा का राज्य था. वह राजा राजनीति शास्त्र का कुशल विद्वान था. राजा सुंदर पूरी तरह से अपनी प्रजा के प्रति समर्पित था. वह अपनी प्रजा से जो भी कर वसूलता था.
उसे वह पूरी तरह प्रजा की देखभाल में ही इस्तेमाल करता था. सुंदर के उदार व भले स्वभाव की वजह वसुंधरा राज्य की प्रजा सुखी और समृद्ध थी. एक बार राजा सुंदर अपने राज्य का आंतरिक हाल-चाल जानने के लिए.
पोर्णिमा की एक रात को भिकारी की पोशाक पहनकर राज्य में भ्रमण कर रहा था. और भ्रमण करते-करते वह वसुंधरा राज्य की सीमा तक पंहुच गया. जहाँ से आगे घना जंगल था, पोर्णिमा के चाँद की सफेद रौशनी में राजा सुंदर आस पास की जगह का निरीक्षण कर रहा था.
उसीवक्त राजा को जंगल की सीमा से थोडीही दूर एक औरत बैठी हुई दिखाई दी. उसे देखते ही उसके बारे में जानने के लिए, राजा उसके पास गया और पूछा, हे देवी आप कौन है ?
और इतनी रात के इस जंगल के पास क्यों बैठी है. राजा के शब्द पुरे होते ही, वह औरत उठकर खड़ी हो गई और बोली हे राजन मै “मौत की देवी हूँ “ और तुम्हारे राज्य की प्रजा में से १११ लोगों के प्राण लेने आयी हु.
इतना कहकर उस औरत ने राजा को अपने असली स्वरूप के दर्शन दिए. राजा ने देवी को प्रणाम किया और उनसे कहा हे देवी माँ. मै इस राज्य का राजा हूँ.
यहां की प्रजा की रक्षा का भार मुझपर है. इसीलिए मै आपसे विनती करता हूं की आप मेरे राज्य में किसी के भी प्राण ना ले. इसके बदले में आप मुझसे कुछ भी मांग सकती है.
देवी बोली सोच लो राजन कही अपनी बात से पलट तो नहीं जाओगे. सुंदर बोला माते आप बस आदेश दे. मौत की देवी बोली राजन अगर तुम्हे अपने राज्य के १११ लोगो के प्राण बचाने है.
तो तुम्हे कल सूरज निकल ने से पहले जंगल के बीचों बीच बने, एक अंधरे कुंए में खुदके साथ परिवार के १० लोंगो की “बलि” देनी होगी. देवी की बात सुनने के बाद, राजा सुंदर इस बलिदान के लिए ख़ुशी ख़ुशी तैयार हुआ.
फिर वह देवी माँ से आज्ञा लेकर अपने महल की ओर निकल पड़ा और कुछ ही घंटो में अपने परिवार के १० सदस्यों को लेकर जंगल के उस अंधरे कुंए के पंहुच गया.
कुंए में परिवार की बलि देने से पहले सुंदर ने एक बार अपनी प्रजा को याद किया और निसंकोच परिवार समेत अंधरे कुंए में कूद गया. उसी क्षण एक अद्भुत चमत्कार हुआ. कक्षा 5 . के लिए हिंदी कहानियाँ
और राजा परिवार समेत कुएं के बाहर जमीन आ गया. उसके सामने मौत की देवी मुस्कुराते हुए खड़ी थी. वह बोली राजन मै तुम्हारी निस्वार्थ प्रजा सेवा और त्याग से प्रसन्न हुई. यह तुम्हरी एक परीक्षा थी, जिसमे तुम उत्तीर्ण हुए हो. उसके बाद देवी माँ ने राजा को सुख समृद्दी का वरदान दिया. राजा की कई पीढ़ियों सदियों तक वसुंधरा पर राज किया,
सीख: दूसरों की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करनी चाहिए, यही सच्ची सेवा होती है.
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2 कृष्णदेवराय और शिकारी – hindi story writing for class 5
एक दिन राजा कृष्णदेवराय श्याम के वक्त अपने राज्य में सैर पर निकले थे. सैर करते-करते वह नगर बाजार में पहुंचे, वहां पर एक जगह बहुत सारे लोगों की भीड़ जमा हो रही थी. कृष्णदेवराय ने नजदीक जाकर देखा तो, वहां पर एक शिकारी जंगल से पकडे हुए.
बहुतसे रंग बिरंगी पक्षी बेच रहा था. राजा ने अचानक से अपने सैनिकों को कैदियों को रखने वाला एक बड़ा पिंजरा लाने का आदेश दिया और वह तुरंत शिकारी के पास गए.
राजाने पूरी भीड़ को हटने का आदेश दिया और उस शिकारी के पिंजरों में दिख रहे सभी पक्षियों को एक ही बोली में खरीद लिया. वहां पर जमी हुई भीड़ की नजरे राजा पर ही टिकी थी.
फिर राजा ने शिकारी को सोने की मोहरे दे दी और अपने हाथों से एक-एक करके सभी पक्षियों को पिंजरे से आझाद करने लगे. पिंजरों से उड़ रहे पक्षियों को देखकर.
वहां पर और भीड़ इक्कठा होने लगी. वह शिकारी भी राजा को अचरज भरी नजरों से देखने लगा. सभी पक्षी आजाद होने तक राजा के मन मुताबिक काफी भीड़ इकट्ठा हो चुकी थी.
और तब तक राजा के सैनिक भी कैदी रखने वाला पिंजरा लेकर आ गए थे. राजाने अपने हाथों से वह कैदियों का पिंजरा खोला और शिकारी को उसमे जाने का आदेश दिया.
शिकारी कृष्णदेवराय की आज्ञा कैसे टालता? इसीलिये वह भी पिंजरे में जाकर खड़ा हो गया. और सैनिको ने बाहर से ताला लगा दिया. फिर राजा ने उससे पूछा बताओ शिकारी तुम्हे पिंजरे के अंदर कैसा महसूस हो रहा है. वह बोला मुझे अच्छा नहीं लग रहा है महाराज.
फिर कृष्णदेवराय थोड़े तीखे शब्दों में बोले अगर मै तुम्हे जीवन भर के लिए. इस पिंजरे में कैद कर लूं, तो क्या तुम खुश रह पाओ गे?
शिकारी डर गया फिर वह बोला पर महाराज सबसे पहले आपको मुझे मेरा गुन्हा बताना पडेगा. कृष्णदेवराय बोले यही में सभी को समझाना चाहता हूँ की हर एक जिव को आजादी से जीवन जीने का अधिकार है.
इसीलिये हमे इन पक्षियों को आजाद रखना चाहिए. उन्हें भी तो इंसान बिना किसी गुनाह के सिर्फ खुदके मनोरंजन के लिए,जीवन भर पिंजरे में hindi story writing for class 5 कैद करके रखता है. क्या उन्हें आजाद रहने का आधिकार नहीं है?
राजा की कही बात सभी लोगों को समझ में आ गई. फिर भीड़ में भी जिन जिन लोंगो ने पक्षी खरीदे थे. उस सभी ने पक्षियों को आजाद कर दिया. उस दिनसे राजा कृष्णदेवराय ने राज्य में किस भी पक्षियों को कैद करने पर हमेशा के लिए पाबंदी लगा दी गई.
सीख: दुनिया में हर एक जीव को मुक्त जीवन जीने का अधिकार है. उन्हें कैद नहीं करना चाहिए.
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3 चिरंजीव की ईमानदारी – hindi story writing for class 5
सम्राटपुर नाम के एक गाँव में नारायण सेठ नाम के एक बड़े व्यापारी रहा करते थे. वह ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थी, पर उन्होंने कड़ी मेहनत और ईमानदारी के साथ अपना कपडे का बडा व्यापार स्थापित किया था. उनके जीवन में सिर्फ एक ही दुःख था, उनकी कोई संतान नहीं थी.
एक दिन नारायण सेठ की दुकान पर, चिरंजीव नामका एक लड़का काम मांगने आया. सेठजी के बढ़ते व्यापार की वजह से उन्हें नौकरों की जरुरत तो थी ही. इसीलिये उन्होंने चिरंजीव को अपने यहां पर मुनीमजी की नौकरी दे दी.
चिरंजीव अपना काम पुरे ध्यान और लगन से करता था. पैसे, बही खाते सभी का हिसाब किताब वह अच्छी तरह रखता था. एक दिन नारायण सेठ ने चिरंजीव के ईमानदारी की परीक्षा लेने की ठान ली.
इसलिए नारायण सेठ ने चिरंजीव को उनके एक मित्र शिवा सेठ के घर से पैसे लाने के लिए कहा. चिरंजीव ने सवाल किया कितने रुपये लाने है? सेठजी बोले मेरा मित्र जितने भी पैसे तुम्हे दे, उतने तुम ले आना. चिरंजीव नारायण सेठजी को हाँ में हामी भरी.
फिर वह शिवा सेठ के घर पैसे लेने पंहुचा. वहा पहुंचते ही उसने देखा की शिवा सेठ बडी जल्दी-जल्दी में कही जा रहे है. उन्होंने जाते-जाते चिरंजीव के हाथ में एक लिफाफा देते हुए. कहा इसमें ३००० रूपये है.
ये पैसे सेठ नारायण को दे देना, इतना कहकर वह तुरंत ही चले गए. उनके जाने के बाद जब चिरंजीव ने लिफाफा खोलकर देखा, तो उस लिफाफे में ६००० रूपये थे.
चिरंजीव ने लिफाफा वैसा ही लेजाकर नारायण सेठ के हाथ में दे दिया और बताया की शिवा सेठ ने कहा था, की लिफाफे में ३००० रूपये है. पर असल में इसमें ६००० रूपये है.
आप शिवा सेठ को बता दीजिये. नारायणसेठ ने पैसे गिने वो ६००० रूपये ही थे. जैसे उन्होंने चिरंजीव की परीक्षा के लिए तय किया था.
उसकेबाद नारायण सेठ ने परीक्षा वाली बात चिरंजीव को बताई. और कहा बेटा तुम इमानदार हो, जैसा मेरे उत्तर अधिकारी को होना चाहिए.
ऐसा कहकर नारायण सेठ ने चिरंजीव को गोद ले लिया और अपनी पूरी संपत्ति उसे बहाल कर दी. इस तरह चिरंजीव को उसकी ईमानदारी का फल मिला.
सीख : ईमानदारी कभी व्यर्थ नहीं जाती. एक ना एक दिन आपको उसका फल जरुर मिलता है!
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4 सोचना भी जरुरी है – hindi story writing for class 5
रामपुर के जंगल में पिंटू नाम का एक भेडिया रहता था. पिंटू को जंगल का सबसे तेज शिकारी माना जाता था. क्योंकि वह शिकार पर तेजी से झपटने में उस्ताद था.
भेडियों के मुखिया का नाम लाला था. भेड़ियों का झुंड जब भी पिंटू को अपने साथ शिकार पर ले जाता था, तब उन्हें पिंटू की बदौलत बहुत बडा शिकार मिलता था.
लाला भेडिया उम्र के साथ बुढा हो रहा था, वह चाहता था की अब मुखिया की जिम्मेदारी कोई और संभाले. ताकि उसकी बूढी हड्डियों को अब आराम मिल सके.
झुंड के बहुत से भेडियों का सुझाव था की पिंटू को ही झुडं का अगला मुखिया बनाया जाये. इससे सबको रोज शिकार मिलेगा. लेकिन लाला इस बात से कुछ हद तक सहमत नहीं था.
एक दिन लाला जंगल के पहाड़ पर घूम रहे थे, तभी उन्हें दिखाई दिया की दो बड़े सांड आपस में लढाई कर रहे है और उनके ऊपर एक बड़ी और ऊँची चट्टान पर पिंटू भेडिया शिकार के लिए अकेले ही तैयार बैठा है.hindi story writing for class 5
जब वह सांड पुरे गुस्से में आपस में टकरा रहे थे, तभी पिंटू ने आव देखा न ताव और उन पर सीधा झपट पड़ा. तभी उन दोनों में से एक सांड ने पिंटू को अपने सिंग से हवा में ही उछाल दिया.
जिस वजह से उसकी पिछली टांग में गहरी चोट आयी. वह नजारा देख लाला को एक बात अच्छी तरह से समझ में आ गई की पिंटू मुखिया के पद के लायक नहीं है.
क्योंकि वह कोई भी कार्य करने से पहले वह उसके परिणाम के बारे में सोचता नहीं है.
मोरल : हमे कोई भी कार्य करने से पहले उससे निर्माण होने वाले परिणामो के बारे में सोचना चाहिए. खतरा तभी होता है जब हमे पता नहीं होता की हम क्या कर रहे है.
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5 रायबहादुर की सफलता का राज – hindi story writing for class 5
रायपुर में रायबहादुर नामके कपडे के एक बड़े व्यापारी थे. उनके व्यापार करने की नीति और ईमानदारी से उनका व्यापार दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करने लगा था.
देखते ही देखते वह कपडे के सबसे बड़े व्यापारी बन गए. एक दिन वह अपनी दुकान में बैठकर बही खाता और पैसे का हिसाब-किताब जाँच रहे थे.
उस वक्त रायबहादुर पास ही उनके परम मित्र पाटिल साहब भी बैठे हुए थे. तभी वहां पर उनका मुनीम चंदू आया और बोला रायबहादुर जी आज तेजपुर वाले सेठजी ने हमारी पुराणी उधारी के पैसे लेने के लिए बुलाया है.
क्या मै अभी जाकर वो पैसे लेकर आऊं? उसपर रायबहादुरजी बोले नहीं पैसे लेने मै खुद जाऊंगा, तुम बाकी का काम संभालो.
फिर चंदू वहां से चला गया. तभी पास में बैठे पाटिल साहब बोले. अरे रायबहादुर जब तुम इतने बड़े व्यापारी बन गए हो, तो अब ये मुनीम जी वाले काम खुद क्यों करते हो?
उस पर रायबहादुर अपने अंदाज में बोले अगर मुझे लगता है की कोई काम अच्छा होना चाहिए, तो उस काम को मै खुद करता हूँ. उसके लिए किसी और के ऊपर निर्भर नहीं रहता. यही है मेरी व्यापारी सफलता का रहस्य
मोरल : दोस्तों असल जिंदगी में भी, अगर हम किसी काम को अच्छे ढंग से करना चाहते है. तो उसे खुद करना सीखे. इससे सफलता की उम्म्मीद कई गुना बढ़ जाती है.
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6 लापरवाही का नतीजा – hindi story writing for class 5
चंदनपुर गाँव में चंदू नाम का एक लड़का रहता था. उसे खेलान और बाहर घूमना बहुत पसंद था. खेलते वक्त वह सबकुछ भूल जाता था. और किसी भी चीज की परवाह नहीं करता था. उसे ना खाने का ध्यान, और ना घरवालों का.
उसकी माँ उसे हमेशा समझाती थी. चंदू कसी भी कार्य में लापरवाही अच्छी नही होती. जिम्मेदार बनो और जरुरी काम पहले किया करो. पर चंदू अपनी लापरवाही से बाज नहीं आ रहा था.
एक दिन दोपहर को अचानक से चंदू के दादी की तबियेत बहुत खराब हो गई थी. इसीलिये माँ ने उसे तुरंत डॉक्टर को बुलाने गाँव में भेज दिया.
चलते-चलते रस्ते में चंदू ने कुछ लडको को गिल्ली डंडा खेलते हुए देखा. और वो वहापार ही रुक गया. उसने सोचा मै भी थोडी देर अगर खेल लेता हूँ, तो कुछ नहीं बिगड़े गा. hindi story writing for class 5
और इसतरह वह उनके साथ खेलने लगा. खेलते-खेलते उसे ये भी याद नहीं रहा की उसे दादी के लिए डॉक्टर को भी बुलाना है. और यह बात उसे 3 घंटे बाद याद आयी फिर वह तुरंत भागते भागते डॉक्टर को बुलाने गया.
जब वह अस्पताल में पंहुचा तो उसे पता चला की डॉक्टर दुसरे मरीजों को देखने गाँव में गए है. फिर वह अपने घर पर वापस लौट आया, लेकिन घर पर ताला लगा था. उसे पड़ोसियों ने बताया की
उसकी दादी की तबियेत कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई थी. इसलिए वह उनकी ही गाड़ी लेकर शहर चले गए है. तब चंदू को उसकी गलती और लापरवाही का एहसास हुआ.
वह घर की सीढियों पर बैठ गया, शाम होते ही उसकी माँ और दादी दोनों हॉस्पिटल से घर लौट आये. उन्होंने देखा की चंदू सीढियों पर बैठकर रो रहा है.
तब उसकी माँ ने उसे गले से लगाया और समझाया. बेटा चंदू जरासी लापरवाही से भी हमे जिंदगी में हमे बहुतसी तकलीफे उठानी पैड सकती है. हमेशा सतर्कता और जिम्मेदारी से काम करना जरूरी होता है
उसके बाद चंदू ने अपनी दादी और माँ से माफ़ी मांगी औ वादा किया की अब से वह एक जिम्मेदार इंसान बनेगा.
सीख: हमे कभी भी लापरवाही से काम नहीं करना चाहिये. हमेशा एक जिम्मेदार इंसान की तरह सोच समझकर काम करना करना चाहिए.
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7 मोतीलाल का अहंकार hindi story writing for class 5
हीरापुर गाँव में मोतीलाल नाम के एक दौलतमंद सेठ रहते थे. उनके अमीरी के किस्से पुर हीरापुर में मशहुर थे. एक दिन वह अपने बगीचे में पैसो का ढेर लेकर बैठे थे.
मोतीलाल के बगल में उनका मुनीम धनीराम भी बैठा था, वह अपने सेठ जी की बड़ी-बड़ी बाते सुनकर हाँ में हाँ मिला रहा था.
तभी वहाँपर एक बांसुरी बेचनेवाला आया, उसके हाथ में एक आखरी बांसुरी बची थी. और वह उसे ऊँचे दामो पर बेचना चाहता था.
बांसुरीवाले ने भी मोतीलाल सेठ जी की अमीरी के किस्से सुने थे.
सेठजी को देखते ही वह उनके पास गया. उसे देखते ही सेठजी बोले क्या काम है? बांसुरी वाला बोला, सेठजी मै यहां पर बांसुरी बेचने आया हूँ.
हमेशा की तरह सेठजी बोले बताव क्या किंमत है ? इस बांसुरी की. बांसुरी वाला बोला, सेठजी इसकी किंमत ३००० रूपये है. वह आकड़ा सुनते है. पास मे ही बैठा धनीराम बोला, मत खरीदिये सेठजी.
ये आदमी कुछ भी किंमत बता रहा है. बाजार में इस बांसुरी की किंमत सिर्फ 50 रुपए है. इसपर बांसुरीवाला बोला सेठजी यह बांसुरी मुझे एक महान बांसुरी वादक ने २९०० रूपये में बेची थी.
और मुझसे कहा था की जब भी मै इस बांसुरी को बेचना चहुँ, तो किसी एसे आदमी को ही बेचना. जिसमें इसे खरीद ने की क्षमता होगी.
उसके इतना कहते ही मोतीलाल सेठ का अहंकार जाग उठा और उन्होंने वह बांसुरी तुरंत ही खरीद ली.
मोरल :अहंकार इंसान को अँधा कर देता है, इससे हमे कभी भी अपनी गलतियों का अहसास नहीं होता. हम क्या गलती कर रहे है, ये हमे कभी पता ही नहीं चलता. इसीलिये अहंकार से हमेशा दूर रहना चाहिए.
हमारा लेख hindi story writing for class 5 पढने के लिए धन्यवाद. यह कक्षा ५ के लिए लिखी गई कहानिया आपको कैसी लगी. ये हमे कमेंट करने जरुर बताये और हमारा अगला लेख पढने से पहले, इस लेख पर कमेंट जरुर करे.
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नमस्कार दोस्तों मै हूँ संदीप पाटिल. मै इस ब्लॉग का संस्थापक और लेखक हूँ. मैने बाणिज्य विभाग से उपाधि ली है. मुझे नई नई चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाना बहुत पसंद है. हमारे इस ब्लॉग पर शेयर बाजार, मनोरंजक, शैक्षिक,अध्यात्मिक ,और जानकारीपूर्ण लेख प्रकशित किये जाते है. अगर आप चाहते हो की आपका भी कोई लेख इस ब्लॉग पर प्रकशित हो. तो आप उसे मुझे [email protected] इस email id पर भेज सकते है.