maithili sharan gupt ki jivani

मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी | Maithili sharan gupt ki jivani

मैथिलीशरण गुप्त को भारत के राष्ट्रकवि नाम से सम्मानित किया जाता है. वह हिंदी के विख्यात कवि थे. साहित्य के इतिहास में, उन्होंने ही सबसे पहले खड़ीबोली का इस्तेमाल किया था.

साल 1912 में उनकी लिखी हुई. भारत भारती यह रचना स्वतंत्रता संग्राम के समय में बेहद प्रभावपूर्ण साबित हुई थी. मैथिलीशरण गुप्त को साहित्य जगत में आदरपूर्वक “दद्दा” नाम से जाना जाता है.

और उनके जन्मदिन को कवि दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज हम इस लेख में महान हिंदी साहित्यकार maithili sharan gupt ki jivani देखने वाले है.

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मैथिलीशरण गुप्त की जीवनी | Maithili sharan gupt ki jivani

नाम मैथिलीशरण गुप्त
उपनाम दद्दा
जन्म 3 अगस्त 1886
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश, चिरगाँव
मृत्यू 12 दिसम्बर 1964
पेशा कवि, राजनेता, नाटककार, अनुवादक
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा प्राथमिक-चिरगाँव, मेकडॉनल हाईस्कूल
प्रसिद्ध रचना पंचवटी, सिद्धराज, साकेत, यशोधरा, विश्ववेदना

मैथिलीशरण गुप्त का आरंभिक जीवन

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म साल 1886 अगस्त 3 को हुआ था. उनके पिता का नाम सेठ रामचरण और माता जी का नाम काशी बाई था. सेठ रामचरण श्री राम के भक्त थे. मैथिलीशरण गुप्त अपने माता पिता की तीसरे नंबर की संतान थे.

उनका जन्म उत्तर प्रदेश में झांसी जिले के नजदीक बसे हुए चिरगांव में हुआ था. मैथिलीशरण गुप्त का मन शिक्षा से अधिक खेलकूद लगता था. जिस कारण उनकी पढाई अधूरी रह गई.

आगे चलकर उन्होंने साहित्य जगत में अपनी रूचि दिखाना आरंभ कीया. जिसमे उन्होंने असीमित सफलता हासिली कर ली. उनकी रचनाओं को साहित्यप्रेमी आज भी बड़े चाव से पढ़ रहे है.

मैथिलीशरण गुप्त की शिक्षा

मैथिलीशरण गुप्त जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा. झाँसी जिले के राजकीय विद्यालय से अर्जित की थी. उसके उपरांत  मैथिलीशरण जी को झाँसी के मेकडॉनल हाईस्कूल में, अंग्रेजी का अध्ययन करने हेतु भेजा गया.

लेकिन शिक्षा में रुचि न होने के कारण. उनका मन पढ़ाई में नहीं लगा. उसके बाद मैथिलीशरण गुप्त के लिए. परिवारवालों  ने घर पर ही शिक्षा का प्रबंध कर दिया गया. यह व्यवस्था प्रदान करने के बाद भी.

उनका मन पढ़ाई से अधिक पतंग उड़ाने में ज्यादा रहता था. फिर भी उन्होंने घर पर ही संस्कृत, हिंदी एवं बंगाली साहित्य अध्ययन पूरा किया.

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मैथिलीशरण गुप्त कि राष्ट भक्ती | Maithili sharan gupt ki jivani

मैथिलीशरण गुप्त की लिखी हुई कई कविताओं में उनका राष्ट्र प्रेम साफ दिखता है. लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक, विपिनचंद्र पाल, गणेश शंकर विद्यार्थी और मदनमोहन मालवीय.

इन जैसे महान देश भक्त व्यक्तित्वों को वह अपना आदर्श मानते थे. महात्मा गांधी जी के सानिध्य में आने से पूर्व वह क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित थे. आगे चलकर वह  गांधीजी के सुधारवादी आंदोलनों के दृढ़ समर्थक बने.

सन 1941 में मैथिलीशरण गुप्त व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह में शामिल हुए थे. अंग्रेज सरकार द्वारा उन्हें झांसी और आगरा की जेल में भी रखा गया था.

मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय | Maithili sharan gupt ka sahityik parichay

मैथिलीशरण गुप्त जी ने लगभग १२ साल की उम्र में. ब्रजभाषा में कनकलता नामक कविता रचना की शुरुआत की थी. उस समय उन्हें मुंशी अजमेरी जी का पथ-प्रदर्शन भी प्राप्त हुआ था. जिस वजह से उनके अंदर की साहित्य रचना की प्रतिभा को बडा प्रोत्साहन मिला था.

और  वह दोहे, छप्पयों में काव्य रचना में समय बिताने लगे. उनकी रचनाएँ कोलकाता में प्रकाशित की जाती थी. आगे चलकर उन्हें महान साहित्यकार महावीर प्रसाद द्विवेदी का सानिध्य भी प्राप्त हुआ था.

मैथिलीशरण गुप्त उन्हें अपना काव्य गुरु मानते थे. महावीर प्रसाद द्विवेदी के प्रभाव से उनके अंदर की काव्य प्रतिभा को एक नई दिशा मिली, और वह एक महान साहित्यकार बने.

उनकी गद्य रचनाएँ अर्थात कविता खड़ी बोली भाषा में “सरस्वती” नामक एक मासिक में भी प्रकाशित होती थी. जिसे लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता था.(maithili sharan gupt ki jivani)

मैथिलीशरण गुप्त का रंग में भंग यह काव्य संग्रह सबसे पहले प्रकाशित किया गया था. उसके बाद “जयद्रथ वध” प्रकाशित हुआ था. उन्होंने मेघनाथ वध तथा ब्रजांगना नामक बंगाली काव्य ग्रंथों का अनुवाद भी किया था.

साल 1912 स्वतंत्रता संग्राम के समय में. उन्होंने ने “भारत भारती नामक कविता प्रकाशित की थी. जो पूरी तरह राष्ट्रभक्ति को समर्पित थी. इस महान रचना की वजह मैथिलीशरण गुप्त की कीर्ति पुरे भारत में फैल गई.

यह कविता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को काफी पसंद आ गई थी. आगे चलकर सन 1936 में गांधीजी ने उन्हें मैथिली काव्य मान ग्रन्थ भेंट करते हुए. राष्ट्रकवि नाम से सम्बोधन किया था.

मैथिलीशरण गुप्त  की रचनाएँ | Maithilisharan gupt ka jivan parichay

मैथिलीशरण गुप्त के महाकाव्य

  • साकेत (1931)
  • यशोधरा (1932)

मैथिलीशरण गुप्त के खण्डकाव्य

  • जयद्रथ वध 1910
  • भारत-भारती 1912
  • पंचवटी 1925
  • द्वापर 1936
  • सिद्धराज
  • नहुष
  • अंजलि और अर्घ्य
  • अजित
  • अर्जन और विसर्जन
  • काबा और कर्बला
  • किसान 1917
  • कुणाल गीत
  • गुरु तेग बहादुर
  • गुरुकुल 1929
  • जय भारत 1952
  • युद्ध
  • झंकार 1929 .
  • पृथ्वीपुत्र
  • वक संहार
  • शकुंतला
  • विश्व वेदना
  • राजा प्रजा
  • विष्णुप्रिया
  • उर्मिला
  • लीला
  • प्रदक्षिणा
  • दिवोदास
  • भूमि-भाग

मैथिलीशरण गुप्त के लिखे नाटक

  • रंग में भंग 1909
  • राजा-प्रजा
  • वन वैभव
  • विकट भट
  • विरहिणी
  • वैतालिक
  • शक्ति
  • सैरन्ध्री
  • स्वदेश संगीत
  • हिड़िम्बा
  • हिन्दू
  • चंद्रहास

मैथिलीशरण गुप्त कि अन्य रचनाएँ | Maithilisharan gupt ka jivan parichay

  • केशों की कथा
  • स्वर्गसहोदर

मैथिलीशरण गुप्त की ख्याति प्राप्त कविताएँ

  • गुरु नानक
  • गुरु तेगबहादुर
  • प्रस्तावना (भारत-भारती)
  • मंगलाचरण
  • उपक्रमणिका
  • भारतवर्ष की श्रेष्ठता
  • हमारा उद्भव
  • हमारे पूर्वज
  • आदर्श
  • आर्य-स्त्रियाँ
  • हमारी सभ्यता
  • हमारी विद्या-बुद्धि
  • हमारा साहित्य
  • प्रस्तावना (यशोधरा)
  • जीवन की ही जय है
  • कुशलगीत
  • किसान
  • गुणगान-तेरे घर के द्वार बहुत हैं
  • दोनों ओर प्रेम पलता है
  • चारुचंद्र की चंचल किरणें
  • नहुष का पतन
  • सखि, वे मुझसे कहकर जाते
  • नर हो, न निराश करो मन को
  • मुझे फूल मत मारो
  • निरख सखी ये खंजन आए
  • मातृभूमि
  • भारत माता का मंदिर यह
  • आर्य-हम कौन थे
  • अर्जुन की प्रतिज्ञा
  • मनुष्यता
  • प्रतिशोध
  • शिशिर न फिर गिरि वन में
  • एकांत में यशोधरा
  • माँ कह एक कहानी
  • सरकस
  • ओला
  • दीपदान
  • होली-होली-होली
  • निर्बल का बल
  • झंकार (कविता)
  • विराट-वीणा
  • अर्थ
  • बाल-बोध
  • रमा है सबमें राम
  • बन्धन
  • असन्तोष
  • जीवन का अस्तित्व
  • यात्री
  • प्रभु की प्राप्ति
  • इकतारा
  • आश्वासन
  • ध्यान
  • संघात
  • कामना
  • बाँसुरी
  • आहट
  • उत्कण्ठिता
  • बस, बस
  • निवेदन
  • विनय
  • प्रार्थना
  • कर्तव्य
  • नूतन वर्ष
  • स्वराज्य
  • व्यापार
  • भजन
  • भारत का झण्डा
  • मातृ-मूर्ति
  • शीतल छाया
  • मातृभूमि
  • ऊषा
  • भारतवर्ष
  • शिक्षण
  • बैठे हैं
  • चेतना
  • प्रश्न
  • प्रतिज्ञा
  • अपनी भाषा
  • मेरी भाषा
  • जन्माष्टमी
  • जगौनी
  • होली
  • चेतावनी
  • विजयदशमी

मैथिलीशरण गुप्त के पुरस्कार

  1. सन् 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से उन्हें डी.लिट उपाधि.
  2. सन् 1953 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण.
  3. साल 1962 ई. में राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद द्वारा अभिनन्दन ग्रन्थ की भेट. और हिन्दू विश्वविद्यालय के द्वारा डी.लिट उपाधि से सम्मानित.
  4. साल 1954 में साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में पद्म भूषण पुरस्कार.

मैथिलीशरण गुप्त का निधन | Maithili sharan gupt ki jivani

साहित्य जगत में अपनी रचनाओं को अमर करने वाले. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने. 12 दिसम्बर 1964 को 78 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया. उनकी मृत्यु का कारण दिल का दौरा था.

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