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माँ सरस्वती के 108 नाम व मंत्र | Maa saraswati ke 108 naam

नमस्कार, माँ सरस्वती विद्या एवं अनेक कलाओं की अधिष्ठात्री देवी है. वह सनातन धर्म की प्रमुख वैदिक देवी मानी जाती है. इनकी कृपा से मनुष्य को बुद्धि तथा ज्ञान की प्राप्ति होती है. किसी भी काम को सफल बनाने के लिए. मन की एकाग्रता आवश्यक होती है. और यही एकाग्रता माँ सरस्वती की साधना से प्राप्त होती है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार. माँ सरस्वती की आराधना से स्मरणशक्ति का विकास होता है. इस लेख में हम maa saraswati ke 108 naam पढ़ने वाले है. इनका नित्य जाप करने से मन एकाग्र होत है. तथा कला एवं शिक्षा के क्षेत्रों में सफलता मिलती है.  माँ सरस्वती की आराधना करते समय सफेद या पीले रंग के फूल अर्पित करने से वह प्रसन्न होती है.

इस लेख के अंत में माँ सरस्वती कौन है, उनकी आराधना करना क्यों जरुरी है, यह भी बताया गया है.

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माँ सरस्वती के 108 नाम व मंत्र | maa saraswati ke 108 naam

1. सरस्वती – ॐ सरस्वत्यै नमः।

2. महाभद्रा – ॐ महाभद्रायै नमः।

3. महामाया – ॐ महमायायै नमः।

4. वरप्रदा – ॐ वरप्रदायै नमः।

5. श्रीप्रदा – ॐ श्रीप्रदायै नमः।

6. पद्मनिलया – ॐ पद्मनिलयायै नमः।

7. पद्माक्षी – ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।

8. पद्मवक्त्रगा – ॐ पद्मवक्त्रायै नमः।

9. शिवानुजा – ॐ शिवानुजायै नमः।

10. पुस्तकधृत – ॐ पुस्त कध्रते नमः।

11. ज्ञानमुद्रा – ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः।

12. रमा – ॐ रमायै नमः।

13. परा – ॐ परायै नमः।

14. कामरूपा – ॐ कामरूपायै नमः।

15. महाविद्या – ॐ महाविद्यायै नमः।

16. महापातक नाशिनी – ॐ महापातक नाशिन्यै नमः।

17. महाश्रया – ॐ महाश्रयायै नमः।

18. मालिनी – ॐ मालिन्यै नमः।

19. महाभोगा – ॐ महाभोगायै नमः।

20. महाभुजा – ॐ महाभुजायै नमः।

21. महाभागा – ॐ महाभागायै नमः।

22. महोत्साहा – ॐ महोत्साहायै नमः।

23. दिव्याङ्गा – ॐ दिव्याङ्गायै नमः।

24. सुरवन्दिता – ॐ सुरवन्दितायै नमः।

25. महाकाली – ॐ महाकाल्यै नमः।

26. महापाशा – ॐ महापाशायै नमः।

27. महाकारा – ॐ महाकारायै नमः।

28. महाङ्कुशा – ॐ महाङ्कुशायै नमः।

29. सीता – ॐ सीतायै नमः।

30. विमला – ॐ विमलायै नमः।

31. विश्वा – ॐ विश्वायै नमः।

32. विद्युन्माला – ॐ विद्युन्मालायै नमः।

33. वैष्णवी – ॐ वैष्णव्यै नमः।

34. चन्द्रिका – ॐ चन्द्रिकायै नमः।

35. चन्द्रवदना – ॐ चन्द्रवदनायै नमः।

36. चन्द्रलेखाविभूषिता – ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः।

37 सावित्री ॐ सावित्र्यै नमः।

38. सुरसा – ॐ सुरसायै नमः।

39. देवी – ॐ देव्यै नमः।

40. दिव्यालङ्कारभूषिता – ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः।

41. वाग्देवी – ॐ वाग्देव्यै नमः।

42. वसुधा – ॐ वसुधायै नमः।

43. तीव्रा – ॐ तीव्रायै नमः।

44. महाभद्रा – ॐ महाभद्रायै नमः।

45. महाबला – ॐ महाबलायै नमः।

46. भोगदा – ॐ भोगदायै नमः।

47. भारती – ॐ भारत्यै नमः।

48. भामा – ॐ भामायै नमः।

49. गोविन्दा – ॐ गोविन्दायै नमः।

50. गोमती – ॐ गोमत्यै नमः।

51. शिवा – ॐ शिवायै नमः।

52. जटिला – ॐ जटिलायै नमः।

53. विन्ध्यवासा – ॐ विन्ध्यावासायै नमः।

54. विन्ध्याचलविराजिता – ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः।

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55. चण्डिका – ॐ चण्डिकायै नमः।

56. वैष्णवी – ॐ वैष्णव्यै नमः।

57. ब्राह्मी – ॐ ब्राह्मयै नमः।

58. ब्रह्मज्ञानैकसाधना – ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः।

59. सौदामिनी – ॐ सौदामिन्यै नमः।

60. सुधामूर्ति – ॐ सुधामूर्त्यै नमः।

61. सुभद्रा – ॐ सुभद्रायै नमः।

62. सुरपूजिता – ॐ सुरपूजितायै नमः।

63. सुवासिनी – ॐ सुवासिन्यै नमः।

64. सुनासा – ॐ सुनासायै नमः।

65. विनिद्रा – ॐ विनिद्रायै नमः।

66. पद्मलोचना – ॐ पद्मलोचनायै नमः।

67. विद्यारूपा – ॐ विद्यारूपायै नमः।

68. विशालाक्षी – ॐ विशालाक्ष्यै नमः।

69. ब्रह्मजाया – ॐ ब्रह्मजायायै नमः।

70. महाफला – ॐ महाफलायै नमः।

71. त्रयीमूर्ती – ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः।

72. त्रिकालज्ञा – ॐ त्रिकालज्ञायै नमः।

73. त्रिगुणा – ॐ त्रिगुणायै नमः।

74. शास्त्ररूपिणी – ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः।

75. शुम्भासुरप्रमथिनी – ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः।

76. शुभदा – ॐ शुभदायै नमः।

77. सर्वात्मिका – ॐ स्वरात्मिकायै नमः।

78. रक्तबीजनिहन्त्री – ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः।

79. चामुण्डा – ॐ चामुण्डायै नमः।

80. अम्बिका – ॐ अम्बिकायै नमः।

81. मुण्डकायप्रहरणा – ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः।

82. धूम्रलोचनमर्दना – ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः।

83. सर्वदेवस्तुता – ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः।

84. सौम्या – ॐ सौम्यायै नमः।

85. सुरासुर नमस्कृता – ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः।

86. कालरात्री – ॐ कालरात्र्यै नमः।

87. कलाधारा – ॐ कलाधारायै नमः।

88. रूपसौभाग्यदायिनी – ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः।

89. वाग्देवी – ॐ वाग्देव्यै नमः।

90. वरारोहा – ॐ वरारोहायै नमः।

91. वाराही – ॐ वाराह्यै नमः।

92. वारिजासना – ॐ वारिजासनायै नमः।

93. चित्राम्बरा – ॐ चित्राम्बरायै नमः।

94. चित्रगन्धा – ॐ चित्रगन्धायै नमः।

95. चित्रमाल्यविभूषिता – ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः।

96. कान्ता – ॐ कान्तायै नमः।

97. कामप्रदा – ॐ कामप्रदायै नमः।

98. वन्द्या – ॐ वन्द्यायै नमः।

99. विद्याधरसुपूजिता – ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः।

100. श्वेतासना – ॐ श्वेतासनायै नमः।

101. नीलभुजा – ॐ नीलभुजायै नमः।

102. चतुर्वर्गफलप्रदा – ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः।

103. चतुरानन साम्राज्या – ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः।

104. रक्तमध्या – ॐ रक्तमध्यायै नमः।

105. निरञ्जना – ॐ निरञ्जनायै नमः।

106. हंसासना – ॐ हंसासनायै नमः।

107. नीलजङ्घा – ॐ नीलजङ्घायै नमः।

108. ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका – ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः।

saraswati ke 12 naam

1. भारती

2. सरस्वती

3. शारदा

4. हंसवाहिनी

5. जगती

6. वागीश्वरी

7. कुमुदी

8. ब्रह्मचारिणी

9. बुद्धिदात्री

10. वरदायिनी

11. चंद्रकाति

12. भुवनेश्वरी

माँ सरस्वती कौन है | saraswati ke 108 naam

देवीभागवत पुराण के अनुरूप माँ सरस्वती  का जन्म ब्रह्मदेव की जिव्हा (जीभ) से हुआ है. ब्रह्म विद्या तथा नृत्य संगीत कला क्षेत्र के अधिष्ठाता के रूप में नटराज शिव एवं देवी सरस्वती इन दोनों को मुख्य स्थान प्राप्त है. माँ सरस्वती के 108 नामों में इन्हें शिवानुजा अर्थात महादेव शिव की छोटी बहन कहा गया है. maa saraswati ke 108 naam

माँ सरस्वती को वाणी, शारदा, वागेश्वरी, वेदमाता, शुक्लवर्ण, शुक्लाम्बरा, वीणा-पुस्तक-धारिणी तथा श्वेतपद्मासना भी कहा जाता है. वह ज्ञान, विद्या वाणी, साहित्य, संगीत  एवं अनेक कलाओं की सर्वोच्च अधिष्ठात्री देवी है. संगीत की रचनाकार होने के कारण माँ सरस्वती को संगीत की देवी कहा जाता है.

पुराणों के अनुसार भगवान मुरलीधर श्री कृष्ण ने माँ सरस्वती से प्रसन्न होकर कहा है की बसंत पंचमी के दिन उनकी (सरस्वती) का पूजन करने वाले को ज्ञान, विद्या एवं कला के क्षेत्रों में सफलता मिलेगी. उस दिन से आज तक भारतवर्ष में बसंत पंचमी के विशेष अवसर पर maa saraswati की आराधना हो रही है.

माँ  सरस्वती का स्वरूप | maa saraswati ke 108 naam

माँ सरस्वती की प्रतिमा में उनके चार हाथ व एक मुख देखा जाता है. देवी के चेहरे पर प्रसन्नता व हलकी सी मुस्कान होती है. उनके हाथों में दिखाई देन वाली वीणा. भाव संचार एवं कलात्मकता का शुद्ध प्रतिक होता है. तथा किताब ज्ञान व माला ईशनिष्ठा सात्त्विकता के प्रतिक है. माँ  सरस्वती के हाथों में वेदग्रंथ और स्फटीक माला भी होती है. राजहंस उनकी सवारी होती है. अनेक चित्रों में उन्हें कमल आसन पर बैठा देखा जाता है.

माँ सरस्वती आराधना क्यों करनी चाहिए | maa saraswati ke 108 naam

मनोविज्ञान को समझने वाले यह बात मानते है की व्यायाम, अध्ययन, कला और अभ्यास की तरह ध्यान साधना का भी काफी महत्व होता है. अपनी बौद्धिक क्षमता का विकास करने के लिए चंचल चित्त को एकाग्र करना बहुत जरुरी होता है. और इसी के लिए सरस्वती साधना एक उत्तम व सरल मार्गी है. इतिहास में कई महापुरुष जैसे कालिदास, वरदराजाचार्य वोपदेव और अदि विद्वानों को maa saraswati की साधना करके ही बुद्धि प्राप्ति हुई थी. शिक्षा ज्ञान एवं बुद्धि के बिना मनुष्य पशु की तरह व्यवहार करता है. माँ सरस्वती की आराधना से मनुष्य को बुद्धि एवं सभी सद्गुणों की प्राप्ति होती है.

सरस्वती साधना एक बेहतर आध्यात्मिक उपचार है. इसे करने से कल्पना शक्ति का अभाव, समय पर सही निर्णय ना लेना, स्मरण शक्ति का आभाव, किसी भी काम में ध्यान न लगना अर्थात रुचि ना होना. इन जैसी अनेक समस्याओं से हमेशा के लिए छुटकारा मिलता है.

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