इस लेख में क्षमा प्रार्थना हिंदी अर्थ सहित दी हुई है. इसका पाठ अपनी नित्य पूजा होने के बाद जरूर कीजिए.
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क्षमा प्रार्थना हिंदी अर्थ सहित
ॐ
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया |
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि || 1 ||
भावार्थ: हे परमेश्वरि परम भगवती मेरे द्वारा रात और दिन में हजारों अपराध होते रहते हैं. मुझे अपना दास समझकर. मुझ पर कृपा करिए और मेरे अपराधों को क्षमा कीजिए.
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् |
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि || 2 ||
भावार्थ: माँ मैं आवाहन करना नहीं जानता, विसर्जन करना नहीं जानता और पूजा करने का ढंग भी नहीं जानता.
हे परमेश्वरी आप मेरे अपराधों को क्षमा कीजिए.
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि |
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु में || 3 ||
भावार्थ: हे माँ सुरेश्वरि मैंने जो मन्त्रहीन, क्रियाहीन और भक्तिहीन पूजन किया है. वो सब आपकी ही कृपा और दया से पूर्ण हो.
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् |
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः || 4 ||
भावार्थ: सौ प्रकार के अपराध करने के बाद भी भक्तगण. आपकी शरण में आकर सिर्फ “जगदम्बा” बोलकर. उस गति को प्राप्त करते है. जो ब्रह्मादि देवताओं के लिए भी सुलभ नहीं है.
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके |
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु || 5 ||
भावार्थ: हे जगदम्बिके मैं अपराधी हूँ, परंतु आपकी शरण में आया हूँ. और इस क्षण दया का पात्र हूँ. आप जैसा चाहे वैसा कीजिए.
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् |
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि || ६ ||
भावार्थ: हे देवि ! माँ परमेश्वरी ! अज्ञानता से, भूल से अथवा बुद्धि भ्रान्त होने के कारण. मुझसे जो न्यूनता या अधिकता हुई है. उसे आप क्षमा कीजिए और मुझपर प्रसन्न होओ.
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानंदविग्रहे |
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि || 7 ||
भावार्थ: हे सच्चिदानंदरूपा परमेश्वरि ! जगन्माता कामेश्वरि ! आप प्रेमपूर्वक मेरी इस पूजा को स्वीकार कीजिए और मुझपर सदैव प्रसन्न रहिए.
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् |
सिद्धिर्भवतु में देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि || 8 ||
भावार्थ: हे देवि माँ सुरेश्वरि आप गोपनीय से गोपनीय वस्तु की रक्षा करने वाली हो. मेरी इस प्रार्थना को जप को प्रेमपूर्वक ग्रहण कीजिए. आपकी ही असीम कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्ति हो.
|| श्री दुर्गार्पणं अस्तु ||
Kshama prarthana | Durga kshama prarthana
कई बार भक्तों द्वारा अनजाने में या अज्ञानता वश. कई सारी गलतियाँ होती रहती है. इस kshama prarthana के पठन से साधक. अपने द्वारा किए गए अथवा होने वाले सभी पापों के लिए. माँ भगवती दुर्गा देवी से क्षमा मांगते है.
देवी माँ अपने विशाल मन से भक्तों को क्षमा कर देती है. तथा भक्तों को सदगति प्रदान करती है. माँ की कृपा से ही भक्तों को सिद्धि प्राप्त होती है. माँ जगदम्बा अपने शरण में आने वाले. हर एक भक्त का कल्याण ही करती है.
माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करते समय होने वाली. हर एक भूल चूक के लिए. पूजा के अंत मे durga kshama prarthana का पाठ करके. देवी भगवती दुर्गा से क्षमा याचना करना साधक के लिए. उचित होता है. और यह आवश्यक भी होता है. यह पूजा का सही तरीका है.
परमेश्वरी दुर्गा के हर एक भक्त के लिए. क्षमा प्रार्थना का नित्य पाठ करना अच्छा होता है.
इस पाठ को नवरात्रि के विशेष अवसर पर, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के बाद एवं दुर्गा अष्टमी के अवसर भी पर करना योग्य माना जाता है.
किसी भी दुर्गा पूजा में क्षमा प्रार्थना जरूर करनी चाहिए.
देवी दुर्गा सुरेश्वरि सनातन धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है. वह असुरों की नाश करने वाली है. उनकी कृपा से भक्तों को अच्छा जीवन तथा अंत में मोक्ष प्राप्त होता है. वह सुरक्षा, शक्ति, ऊर्जा और नारी शक्ति की देवी है. उन्होंने महिषासुर नामक असुर का संहार करके.
सृष्टि के सभी जीवों को सुरक्षा प्रदान की थी. उन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है. देवी दुर्गा की आठ भुजाएं है. उनके हाथों में भिन्न भिन्न प्रकार के अस्त्र शस्त्र होता है. देवी दुर्गा इस दुनिया की सर्वश्रेष्ठ देवी है. उन्हें परम भगवती परब्रह्म भी कहा जाता है.
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