केतकी का फूल कैसा होता है?, क्यों हुआ श्रापित – Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

केतकी का फूल भारत में काफी दुर्लभ माना जाता है. क्योंकि पुरे देश में यह सिर्फ उत्तर प्रदेश, मोहम्मदी नगर की मेहंदी बाग में ही उगाया जाता है. यह फूल अति प्राचीन काल से अस्तित्व में है. इसका प्रमाण रामायण एवं शिव पुराण जैसे पौराणिक ग्रंथों में भी मौजूद है.

केतकी के फूल की दिलकश खुशब की वजह से यह काफी मशहुर है. खुशबु के आलावा केतकी बहु उपयोगी भी है. आज हम इस लेख में केतकी के फूल की सभी जानकारियां प्राप्त करने वाले है. जिसमें यह फूल कैसे और क्यों श्रापित हुआ. इसकी  प्राचीनतम कथा भी शामिल है.

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1 केतकी का फूल कैसा होता है? – Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

केतकी का फूल कैसा होता है? – Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

केतकी का फूल दिखने में एक भुट्टे (मकई) के आकार का होता है. इसकी लंबाई २० से २५ इंच होती है. इसके वृक्ष की पत्तियाँ लंबी, नुकीली एवं चिकनी परत वाली होते है. जिनके किनारे और पृष्ठ भाग पर सूक्ष्म काँटे होते है.

इस फूल के दो प्रकार एवं रंग होते है, पहला सफेद, दूसरा पीला. सफेद पंखुड़ियों वाले केतकी के फूल “केवडा” नाम से प्रख्यात है और पीली-सुनहरी पंखुड़ियों वाले फूलों को सुवर्ण केतकी अर्थात्‌ “केतकी” नाम से पहचाने जाते है.

केतकी फूल का पेड लगभग ४ मीटर लंबाई तक बढ़ सकता है. इसके पौधे में फूल खिलने के लिए. लगभग ३ से ४ साल का समय लगता है. इसपर अन्य फूलों जैसे भवरे नहीं बैठते.

ketki ka phool

केतकी का फूल कौन से मौसम में खिलता है?

जुलाई से सितम्बर महीने तक अर्थात वर्षा ऋतू इन फूलों के खिलने के लिए. सबसे अच्छा समय होता है. इस फूल की सुगंध अत्यंत तीव्र होती है. यह फूल जिस जगह खिलता है, या जहाँ इसे रखा जाता है.

उसके आस पास का क्षेत्र केतकी फूल की मनोहारी खुशबु से महक उठता है. इस फूल की विशेष बात यह की इसकी खुशबू आम फूलों के मुकाबले दीर्घ काल तक कायम रहती है.

केतकी का फूल कहां पाया जाता है?

यह फुल भारत में सिर्फ उत्तर प्रदेश, मोहम्मदी नगर की मेहंदी बाग में ही पाया जाता है. इस विषय पर वनस्पति-विज्ञानिक पिछले लगभग २०० सालों अनुसंधान (खोज) रहे है. की यह सिर्फ मेहंदी बाग में ही क्यों पनपता है.

केतकी के फूल को अन्य जगहों पर लगाने की कोशिश की गई थी. और वह प्रयास कुछ हद तक सफल भी हुआ था. लेकिन दूसरी जगह पर उगने वाले  केतकी फूलों में वह गुणवता नहीं थी. जो मेहंदी बाग में उगाये जाने वाले  फूलों में होती है. इसके विषय में आगे विस्तार से जानकारी दी गई है.

केतकी के फूल का उपयोग

  • केतकी के फूल का मुख्य उपयोग सुगंधपूर्ण इत्र (perfume) बनाने के लिए होता ही.
  • खाने के पान में उपयोग किए जाने वाले कत्थे को सुवासित करने के लिए भी केतकी के फूलों के इस्तेमाल होता है.
  • केतकी के पेड़ की पत्तिया भी बहु उपयोगी होती है. इनके इस्तेमाल से चटाइयाँ, छाते एवं टोपियाँ बनाई जाती है.
  • केतकी के पेड  का तना भी उपयोगी होता है. इसके इस्तेमाल से बोतल बंद करने के लिए, कॉक तैयार किये जाते है.
  • भारत में केतकी फूल के गुलदस्ते बडी-बडी हस्तीयों को दिए जाने के लिए मशहुर है.
  • इन फूलों के इस्तेमाल से सुगंधित जल एवं तेल बनाया जाता है. जिसका उपयोग सौंदर्य उत्पाद बनाने के लिए हो रहा है.
  • केतकी के फूलों से बना हुआ जल मिठाई, स्वीट सिरप और कोल्ड ड्रिंक्स को सुगंधीत बनाने के लिए बडे-बडे कारखानों में भेजा जाता है.
  • इसकी मनोहारी महक से मानसिक शांति मिलती है.
  • केतकी एवं केवडा के फूलों में एंटीफंगल और एंटी बैक्टीरियल के विशेष गुण होते है. इसलिए इनका उपयोग आयुर्वेद में भी हो रहा है.
  • इनके पत्तों का उबाल कर काढ़ा बनाकर पिने से बहुतसे रोगों से छुटकारा भी मिलता है.

केतकी के फूल का वैज्ञानिक वर्गीकरण

केतकी का वैज्ञानिक नाम पांडनस ओडोरिफेर (Pandanus odorifer) है. फूलों की दुनिया मी “पांडानैसी (Pandanaceae)” नामक फूलों के पौधों का एक परिवार (कुल) है. और केतकी का फूल इसी परिवार में से एक प्रजाति है. सामन्यता अंग्रेजी में यह फूल स्क्रू-पाइन (Screwpine) नाम से पहचाना जाता है.

केतकी का पेड़ का तना इसके चारो ओर फैलता है. अर्थात इसके तने से दुसरे छोटे छोटे केतकी के पौधे उत्पन होते है. लेकिन इसे बीज से भी उगाया जा  सकता हैं.

केतकी फूल में सफेद केतकी अर्थतः “केवडा” नर (male) होता है. और पीली केतकी यानिकी “सुवर्ण केतकी” मादा (female) होती है. दोनों के जोड़े को “Ketakidvayam” कहा जाता है.

भारत में केतकी के फूल का इतिहास

जैसे की हमने अब तक पढ़ा की यह केतकी का फूल. केवल मोहम्मदी नगर की ऐतिहासिक मेहंदी बाग में ही खिलता है. अब हम इस फूल के इतिहास पर गौर करते है. १७९९-१८२० के समय में भारत स्वतंत्र होने से पहले उत्तर प्रदेश, मोहम्मदी नगर के तत्कालीन चकलेदार हकीम नवाब मेहंदी अली खां ने. मोहम्मदी नगर में एक खुबसूरत बाग की रचना की थी.

वही बाग आगे चलकर मेहंदी बाग नामसे प्रसिद्ध हुआ. यह एतिहासिक मेहंदी बाग कुल १०.०९ एकड़ जमीन पर फैला हुआ है. केतकी फूल के पौधे को नवाब मेहंदी अली ने कही से आयात करके, उसका रोपण किया था.

उन्होंने इस फूल के काफी अच्छी देखभाल की थी. इस बेहतरीन बाग की रचना के बाद. सन १९३१ में शासन द्वारा इसका नवीनीकरण भी किया गया था. केतकी के फूल की एक खासियत प्रचलित है. यह फूल मेहदीं बाग के आलावा. किस और जगह नहीं खिलता. लेकिन भारतीय वन विभाग के अधिकारीयों ने केतकी फूल पौधा भीरा क्षेत्र के मगही गांव में रोपित किया था.

वृक्षारोपण के लगभग ६ वर्ष पश्चात इसमें पहली बार फूल खिला था. पर उस फूल में मेहंदी बाग के फूलों जैसी उत्तमता नहीं थी. केतकी के फूल ब्रिटिश शासनकाल के समय से विदेश में निर्यात हो रहे है. इस समय मेहंदी बाग की जिम्मेदारी नगरपालिका मोहम्मदी संभाल रही है.

केतकी के फूल को अंग्रेजी में क्या कहते है?

केतकी के फूल को अंग्रेजी भाषा में लगभग ५  नामो से पहचाना जाता है. जो कुछ इस प्रकार है.

  1. स्क्रू पाइन (screw-pine),
  2. अम्ब्रेला ट्री (umbrella tree)
  3. स्क्रू ट्री(screw tree)
  4. केवडा (Kewda) और
  5. फ्रेग्रेंट स्क्रूपाइन (fragrant screwpine)

केतकी के फूल को हिंदी में क्या कहते है?

आप को बता दें की केतकी यह शब्द संस्कृत भाषा से है. हिंदी में केतकी के फूल के लगभग १० नाम है. जो कुछ इस प्रकार है. गगण धूल, जम्बाला, जम्बूल, केओड़ा, केतकी, केंवड़ा, पांशुका, पुष्प चामर, पांसुका और तीक्ष्ण गन्धा.

केतकी फूल के प्रकार एवं उनकी तस्वीरें

केतकी के फूलों के दो प्रकार है. जिनके रंग अलग है. लेकिन आकार में दोनों भी किसी भुट्टे (मकई) की तरह ही दीखते है.

पहला सफेद केतकी जिसे केवडा नाम से पहचाना जाता है. केवडा की तस्वीर आप निचे देख सकते है.

Ketki Ka Phool Kaisa Hota Hai

दूसरा है पीली अथवा सुवर्ण केतकी. “सुवर्ण केतकी” को ही “केतकी” नाम से पहचाना जाता है. निचे इसकी तस्वीर दी गई है

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केतकी, केवड़ा और चंपा के फूल में क्या अंतर है?

केतकी और चंपा ये दोनों ही फूल. भगवान भोलेनाथ की किसी भी पूजा में इस्तेमाल नहीं होते है. इसी कारणवश कई बार बहुत से लोग चंपा और केतकी के फूलों को एकही मान लते है.

बहुत बार यह भी देखा गया है की चंपा के फूल को केवडा के फूल कहा जाता है. इसी पोस्ट में हमने केवडा और केतकी के फूल की तस्वीर देखी है.अभी हम चंपा फूल की तस्वीर देखते है. जिससे हम तीनो फूलों की सही ढंग से पहचान सकेंगे.

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केतकी फूल का भेंट के रूप में उपयोग – ketki ka phool

Ketki ka phool भारत में ब्रिटिश काल से के पसिद्ध रहा है. भारत आजाद होने पहले से जून के माह में खिला हुआ. केतकी का फूल लार्ड माउंटबेटन को भेजा गया था. उसके बाद से यह फूल भारत में नामचीन हस्तियों को भेट के स्वरूप में भेजे जाने लगे है.

२०२१ में केतकी का फूल उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख मंत्री योगी आदित्यनाथ जी को भेजा गया था. आज भी केतकी का फूल नामचीन हस्तियों को भेजकर उन्हें गौरवान्वित किया जाता है.

केतकी का फूल भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता

यह कहानी कई करोड़ों वर्ष पूर्व की है. जब हमारे प्रिय भगवान शिव एक लिंग के स्वरूप में इस अनंत ब्रह्मांड में उपस्तिथ थे. और उन्होंने अपनी माया से भगवान महाविष्णु का निर्माण किया था.

उसके कई हजार वर्षों पश्चात महाविष्णु की नाभि से भगवान ब्रह्मा का जन्म हुआ. फिर उन्होंने हमारी सृष्टि की रचना की और सृष्टि का यह चक्र शुरू हुआ. ब्रह्मा जी ने निर्माण की हुई सृष्टि का भगवान महाविष्णु पालन पोषण करने लगे.

एक दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मदेव में विवाद हो गया. की दोनों में सर्वोत्तम ईश्वर कौन है! महान कौन है! भगवान ब्रह्मदेव कहने लेगे की मैं इस सृष्टि का रचनाकार हूँ, इसीलिए मैं सबसे महान हूँ. दूसरी तरफ भगवान विष्णु कहने लगे की मैं इस संसार का  भरण पोषण करता हूँ, इसीलिए सिर्फ मै ही सर्वश्रेष्ट हूँ. इस विवाद को लेकर दोनों में प्रलयंकारी युद्ध छिड गया था. और इस युद्ध से हमारी सृष्टि बुरी तरह से प्रभावित होने लगी.

युद्ध के दौरान जब ब्रह्मा और विष्णु प्रतिद्वंदी के रूप में एक दुसरे के आमने सामने खडे थे. तभी उन दोनों को रोकने के हेतु. उनके बीचों बीच एक तेजस्वी शिव लिंग प्रकट हुआ. और उसका आकार किसी प्रखर अग्नि स्तंभ की तरह बढ़ता चला गया.

उस अग्नि स्तंभ का अतुलनीय तेज देखकर दोनों भगवान कुछ समय के लिए. उसकी तरफ देखते ही रहे गए. उसी वक्त अग्नि स्तंभ से एक आवाज आयी की आप दोनों में से जो कोई भी इस अग्नि स्तंभ का आदि (आरंभ) या अंत ढूंड पाएगा. वही सबसे श्रेष्ट भगवान माना जाएगा.

इस शर्त पर विष्णु और ब्रह्मा दोनों सहमत हो गए. भगवान ब्रह्मा अग्नि स्तंभ का आरंभ खोजने के लिए. ऊपर की तरफ और विष्णुजी अंत ढूंडने लिए. निचे की तरफ प्रस्थान कर गए.

वे दोनों कई हजार सालों तक स्तम्भं का अदि और अंत खोजते रहे. उसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु को ज्ञात हो गया. की इस अग्नि स्तम्भं का कोई अंत नहीं है. उन्होंने ने अग्नि स्तम्भं को प्रणाम किया. और तत्क्षण अपनी शुरुआती जगह पर लौट आए.

उपर की तरफ भगवान ब्रह्मदेव को भी स्तंभ का अंत मिल नहीं रहा था. लेकिन अपने ज्ञान के अहंकार में चूर ब्रह्मदेव अपनी. हार स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे. अग्नि स्तम्भं का आरंभ ढूंढते-ढूंढते उन्हें एक “ketki ka phool” दिखाई दिया. ब्रह्मजी ने केतकी से पूछा. क्या तुमने इस स्तम्भं का अतं देखा है?

केतकी के फूल ने जवाब दिया. नहीं परम पिता मैंने इस अग्नि स्तम्भं का अंत नहीं देखा है. उस समय ब्रह्मदेव को सिर्फ जीतकर महान बनना था. इसके लिए उन्होंने केतकी से कहा की तुम मेरे साथ गवाह बनकर चलो. और कहना की मैं ने इस अग्निस्तम्भ का आरंभ ढूंडलिया है.

इसके बदले में मेरी पूजा में तुम्हारा स्थान उच्च होगा. इस तरह लालच दिखाकर. ब्रह्मदेव ने केतकी के फूल को साक्षी बनाकर. अपने साथ रख लिया. और वह भी अपने शुरुआती स्थान पर पहुंच गए. वहां पर महाविष्णु मौजूद थे. और अब निर्णय होनेवाला थी की सबसे श्रेष्ट कौन है.

निर्णय के लिए अग्नि स्तंभ से आवाज आयी. हे महाविष्णु क्या आपको अग्नि स्तंभ का अंत मिला? उत्तर में भगवान श्री हरि बोले नहीं. मै इसका अंत नहीं ढूंढ पाया. बल्कि इसका कोई अंत हे ही नहीं. यह तो ज्ञान के भाँति अनंत है.

जब यही बात ब्रह्मदेव से पूछी गई. तब उन्होंने कहा की हाँ मैंने इस स्तम्भ का आरंभ खोज लिया है. इसका प्रमाण यह केतकी का फूल देगा. केतकी के फूल ने भी ब्रह्मदेव के पक्ष में गवाही दे दी.

महाविष्णु और ब्रह्मदेव की बाते सुनाने के बाद. उस अग्निस्तभ अर्थात जोतिर्लिंग ने अपना महादेव  स्वरुप प्रकट किया.

अनंत ईश्वर भगवान महादेव ने विष्णु और ब्रह्मा से कहा. आप दोनो का जन्म मुझसे ही हुआ है. इसी अग्निस्तंभ की उर्जा से हुआ है. मै ही सबका कारण हूँ.

महादेव बोले –हे ब्रह्मदेव सबकुछ जानलेने की धारणा ही अहंकार कहलाती है. और आप में तो सृष्टि के निर्माण का अहंकार है. इसि वजह से सृष्टि के रचनाकार होते हुए भी, आपको कोई नहीं पुजेगा. और असत्य वचन कहनेवाला यह केतकी का फूल. मेरी पूजा से हमेशा के लिए विर्जित होगा.

दूसरी तरफ भोलेनाथ महाविष्णु से बोले. की आप इस सृष्टि के पालनकर्ता कहलाएंगे. धरती के लोग आपकी हर एक अवतार में पूजा करेंगे. तो दोस्तों यह थी केतकी के फूल की शापित होने की कहानी.

भारत के अलावा केतकी का फूल और कहाँ पाया जाता है?

केतकी का फूल भारत के अलावा. बहुत से देशों में भी उगाया जाता है. उन सभी देशों के नाम निम्नलिखित  है. यह फूल अधिकतर बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप पर भारी मात्रा में पाया जाता है. इसके आलावा चाइना, म्यानमार, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपींस इन सभी देशों में केतेकी का फूल उगाया जाता है.

FAQs about ketaki flower – केतकी के फूल के बारे में बार-बार पूछे जानेवाले सवाल.

Q1) केतकी के फूल की पहचान क्या है?

Ans- केतकी के फूल की पहचान इसकी तीव्र सुगंध होती है. और इसकी मकई जैसी बनावट होती है.

Q2) केतकी का फूल दिखने में कैसा होता हैं?

Ans- केतकी का फूल किसी भुट्टे (मकई) की तरह दिखता है. और इसका रंग पीला होता है.

Q3) केतकी का पर्यायवाची क्या होता है?

Ans- केतकी का पर्यायवाची शब्द “सुवर्ण केतकी” होता है.

Q4) केतकी का दूसरा नाम क्या है?

Ans- केतकी का दूसरा नाम केवडा है.

Q5) केतकी का फूल भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ता?

Ans- केतकी के फूल को भगवान शिव ने असत्य बोलने के लिए. अपनी पूजा में वर्जित किया था. इसीलिए यह फूल भगवान शिव की किसीभी पूजा में नही इस्तेमाल करना चाहिए.

Q6) केतकी और चंपा के फूल में क्या अंतर है?

Ans- केतकी और चंपा दो अलग-अलग फूल है. केतकी के फूल का रंग संपूर्ण पीला होता है. और चंपा का फूल सफेद और  बिच में थोडासा पीला सुनहरा रंग होता है.

Q7) क्या चंपा और केतकी एक ही है?

Ans- चंपा और केतकी दो भिन्न –भिन्न फूल है. लेकिन दोनों भी भगवान महादेव की पूजा में निषिद्ध है. इसलिए कई बार दोनों फूलों को एकही मान लिया जाता है.

Q8) शिवलिंग पर कौन सा फूल चढ़ाना वर्जित है?

Ans- शिवलिंग पर केतकी का फूल चढाना वर्जित है.

हमारा लेख Ketki Ka Phool पढने के लिए. आपका बहुत बहुत धन्यवाद. इस मददगार लेख को आपके प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें. और लेख के विषय में आपके विचार कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिए. इसी लेख के निचे हम और भी बहुत से महत्वपूर्ण लेख दे रहे है. उन्हें भी जरूर पढ़े.

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