Bal Katha In Hindi With Moral

बच्चों की कहानिया Bal Katha In Hindi With Moral

bal katha in hindi with moral ये कहानिया मैंने खास बच्चो को ध्यान में रखकर लिखी है.जो पूरी तरह से नइ है. मेरी दोनों कहानिया आपके बच्चों को बेहतरीन जीवन जीने के सबक सिखायेंगी उनकी सोच नइ और अच्छे बदलाव लाएगी. बच्चो के लिए और भी खास कहानिया मेरे ब्लॉग पर उपलब्ध है. तो शुरू करते है.

1) सच्चा मित्र (नई कहानी) Bal Katha In Hindi With Moral

एक जंगल में तीन पक्के दोस्त हुआ करते थे. चिता, बंदर और तोता तीन बच्च्चे थे स्कूल के बाद तीनो दिनभर जंगल में एक साथ खेलते थे. तीनो की दोस्ती काफ़ी पक्की थी.

वो तीनो हर दिन जंगल के अलग-अलग हिस्से में घुमने जाते नई-नई जगह ढूंडते. इस तरह तीनो दोंस्तो ने मिलकर जंगल में नदी के पास की छुपी हुई पुराणी गुफाएँ भी ढूंड निकली थी.

एक दिन तीनो चिता, बंदर और तोता नदी किनारे खेल रहे थे. तभी अचानक चिता एक बड़े से गड्डे में गिर गया. जहाँ शिकारी ने जाल बिछाया था. bal katha in hindi with moral और प्रयास कर के भी वह निकल नहीं रहा था.

उसके दोनों दोस्त भी उसको ऊपर निकलने की कोशिस कर रहे थे.पर तीनो की कोशिस बेकार गयी.तभी वहा शिकारी आगया और उसने बंदर और तोता दोनों को भगा दीया.

शिकारीने चीते को गले में रस्सी बाँधके साथ में ले लिया.बंदर और तोता अपने दोस्त को शिकारी के साथ जाते हुए देख रहे थे. तभी तोते को आईडिया सुझा.

उसने कहा बंदर भाई हमें शिकारी से अपने दोस्त को छुडाना होगा.मैं शिकारे का ध्यान बटाता हूँ. और तुम चीते के गले के रस्सी खोलो.

उसके बाद तोते ने और पक्षियों की मदत ली.और सभी पक्षीयों ने मिलकर शिकारी के सिर पर चोच मारना शुरू किया.शिकारी डर गया.

और तभी बंदरभाई ने चीते के गले से रस्सी खोलके उसे आजाद कर दिया. फिर सभी ने मिलके शिकारी को जंगल से भगा दिया.

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नैतिक सीख :तो दोस्तों इस कहानी से आपको यह सीख मिलती है कि सकंट में जो मदत करे वही आपका सच्चा मित्र.

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2) एकता में बल है Bal Katha In Hindi With Moral

 एक गाँव में एक विधवा ब्राह्मण औरत रहती थी उसका नाम था वसुंधरादेवी था. उसके पति की मौत एक हादसे में हुई थी.पति की मौत के बाद उनका तेल का व्यापर भी वही संभालती थी.

उसके 3 बेटे थे. वसुंधरादेवी दिन भर दुकान संभालती थी.उसके तीनो बेटे हमेश आपस में लड़ते झगड़ते रहते. माँ को हमेशा चिंता लगी रहती थी की उसके बेटो में बिलकुल भी प्यार  नहीं हमेश लड़ते रहते है.

गाँव के लोग हमेशा उनमे लड़ाई लगावाके मजे देखते. और उनमे लड़ाई होते देख वसुंधरा देवी दुखी होती.एक दिन वसुंधरा देवी को एक कल्पना सूझी.

वसुंधरा देवीने घर के तैखने से एक सुंदर संदूक निकला उसमे बहुत सारे पत्थर भर दिए. और उसपर ताला लगाके घरके पीछे वाले कुंए में फैक दिया.

और जब उसके तीनो बेटे घर पर आये तो वसुंधरा देवीने तीनो को एक-एक पतली रस्सी दी और कहा कि उस संदूक को कुंए से निकालो उसमे शायद कुछ कीमती चीज हो सकती है. bal katha in hindi with moral

फिर तीनो अपनी माँ की बात मानके खुदकी और से कोशिस करने लगे. तीनो जब भी अपनी रस्सी हुक के सहारे उस संदूक में अटकाते और ऊपर खिचने की कोशिश करते तभी रस्सी बिचमे ही कही टूट जाती.

और फिर तीनो माँ से दूसरी रस्सी लेते.एसा बहुत बार हुआ.तभी सबेसे बड़ा लड़का बोल माँ तुम हमें मोटी रस्सी क्यों नहीं देती माँ बोली घर में तो अभी इस प्रकार की ही रस्सी बाकि है.

तभी बड़े बेटे ने बाकि दोनों को पास बुलाया और उन दोनों से उनकी रस्सियाँ लेके.एक साथ जोडदी इससे बड़ी और मज़बूत रस्सी बनाई.और फिर तीनो ने मिलके वह संदूक आसानी से बहार निकललिया.

बाद में उन तीनो को समझ में आया कि माँ ने हमें सिखा ने के लिए ही ये सब किया था.उस दिनसे तीनो भाईयोने झगड़ना बंद कर दिया और एक साथ मिलजुलके रहने लगे.

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नैतिक सीख: तो बच्चो आपको इससे ये सीख मिलती है। एकता में ही बल है। आपको-आपको दोस्तों भाइयो और बहनों से मिलजुलकर रहन चहिये.

तो मरे दोस्तों आपको कैसी लगी ये bal katha in hindi with moral कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरुर बताये .धन्यवाद और मरे ब्लॉग की कुछ खास कहानिया जरुर पढ़े निचे लिंक दे रहा हु.

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