hanuman ji ke mandir

भगवान हनुमान जी के 35 चमत्कारी मंदिर जो भक्तों की आस्था का केंद्र है | Hanuman Ji Ke Mandir

नमस्कार, दोस्तों हनुमान जी एक ऐसे भगवान है. जो त्रेता युग से लेकर आज तक अपने भक्तों के उद्धार के लिए. धरती पर मौजूद है. इनकी लीलाओं के दर्शन कलियुग में भी होते रहते है. आज इस लेख में हम भगवान हनुमान जी के ३५ मंदिरों की जानकारी दे रहे है. ये मंदिर जागृत तथा चमत्कारी सिद्ध हो चुके है. इन मंदिरों में दर्शन मात्र से ही भक्तों की पीड़ा हर ली जाती है. एवं उनकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है. आज ये सभी hanuman ji ke mandir देश और विदेश के लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बन चुके है.

अनुक्रमणिका show

Hanuman Ji Ke Mandir

1. बनखंडी बालाजी हनुमान मंदिर

यह हनुमान मंदिर राजस्थान में भरतपुर जिले के हलैना नामक गाँव में है. इस मंदिर को द्वापर युग, अर्थात भगवान कृष्ण के समय का माना जाता है. जब मुरलीधर मथुरा छोड़कर द्वारिका प्रस्थान कर रहे थे. उस समय इसी मंदिर के स्थान पर उन्होंने बलराम जी से विचार विमर्श किया था.

मंदिर की बालाजी हनुमान प्रतिमा और इसके समीप खडा करील के एक पेड़ को पांच हजार वर्ष पुरातन बताया गया है. यहां पर सम्पूर्ण भारत से आए हुए भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है. यहां मान्यता है की बालाजी हनुमान के दर्शन मात्र से ही मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस मंदिर में बाबा की धूनी और बनखंडी बालाजी की रज लगाने से भूत, प्रेतों से छुटकारा मिलता है.

बहुत से लोग इसी तरह की पीड़ा से मुक्त होने. यहां पर आते है. बालाजी हनुमान मंदिर के मुख्य महंत रवि नाथ महाराज जी ने सन 1998 से भोजन का त्याग किया हुआ है. वह सिर्फ चाय और जल पीकर  पर जीवन जीते हुए हनुमान जी की सेवा में लीन है.

2. प्राचीन हनुमान मंदिर (बंदरिया)

यह मंदिर मध्य प्रदेश में मंडला जिला से तकरीबन ८१ किलोमीटर दूर बंदरिया गांव में बनाया गया है. यहां की हनुमान मूर्ति किसी ने बनाई नहीं बल्कि यह स्वयम प्रकट हुई थी. यहां के लोग कहते है. सदियों पहेल बंदरिया गांव के एक निवासी को सपना आया था. उसके खेत में एक हनुमान मूर्ति दबी हुई है. बाद में उस मूर्ति को खेत से बाहर निकालकर.

उसके लिए मंदिर बनवाया गया. मूर्ति जब मंदिर में स्थापित हुई थी. तब यह सिर्फ २ फिट की थी. लेकिन आज बढते-बढते मूर्ति का आकार ८ फिट लंबा हो गया है. इस चमत्कारी हनुमान मंदिर के दर्शन करने. भक्त दूर-दूर से आते रहते है. यहां के लोग अनुभव से बताते है. यहां पर मांगी हुई मुरादें हनुमान कृपा से पूरी होती है.

3. यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर

यह मंदिर कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में हम्पी नामक नगर में स्थित है. इस स्थान के प्राचीन होने के कई सारे पुख्ता सबूत भी मिले है. जो “हम्पी” को रामायण कालीन वानरों का साम्राज्य. किष्किन्धा नगरी घोषित करते है. श्री हनुमान और रामजी की प्रथम भेट हंपी के मलयवन पहाड़ी पर हुई थी. इसी पर्वत की चोटी पर ही यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर की रचना हुई है.

यह विश्व का एकलौता ऐसा मंदिर है. जिसमे हनुमान जी एक यंत्र के बीच ध्यानस्त मुद्रा लीन है. यह प्रतिमा एक चट्टान पर उकेर कर बनाई गई है. इसके गोल आकार का निरिक्षण करने पर. कई सारे वानर एक दुसरे की पूंछ पकड कर हनुमान जी की प्रदक्षिणा करते हुए दिखाई देते है. इस मंदिर का निर्माण तकरीबन 500 साल पहले 1460 से 1539 के बीच हुआ था.

जिसे विजयनगर के सम्राट राजा तम्माराय ने माधव संत श्री व्यासराजू जी के मार्गदर्शन में बनाया था. चित्रकूट धाम की तरह हम्पी की धरती पर भी पवन पुत्र हनुमान और अवतार राम ने समय बिताया था. इसलिए यह स्थान हिन्दुओं के लिए की पवित्र तीर्थस्थल से कम नहीं है.

4. हनुमान जी की अदालत

मध्यप्रदेश के रीवा शहर में ३ हनुमान मंदिर स्थापित है. जिन्हें हनुमान जी की अदालत कहते है. पहला मुख्य मंदिर है चिरहुला मंदिर जिसे जिला न्यायालय कहा जाता है. दूसरा है रामसागर मंदिर जिसे हाईकोर्ट कहते है. और तीसरा है खेमसागर मंदिर जिसे सुप्रीम कोर्ट का दर्जा दिया गया है. इन ३ मंदिरों को हनुमान जी की अदालत इसलिए कहा जाता है. क्योंकी आपसी विवाद, झगड़े मिटाने तथा उसपर समाधान (न्याय) पाने के लिए.

दोनों पीडित पक्ष मंदिर में अपनी-अपनी अर्जी देते है. उसके बाद न्यायाधीश की तरह यहाँ हनुमान जी के सामने दोनों पक्ष अपनी दलील सुनाते है. इसके आखिर में मंदिर के पुजारी समस्या पर  अपना फैसला सुनानते है. जब किसी पीडित पक्ष को जिला न्यायालय चिरहुला मंदिर का फैसला मंजूर नहीं होता. तो वह हाईकोर्ट कोर्ट अर्थात रामसागर मंदिर में अर्जी दे सकता है.

और अगर किसी को हाईकोर्ट कोर्ट का फैसला भी मुनासिब नहीं लगता. तो वह सुप्रीम कोर्ट  खेमसागर मंदिर में अर्जी दे सकता है. इस तरह यहा हनुमान जी के सामने केस चलते है. इसलिए इन मंदिरों को हनुमान जी की अदालत दर्जा मिला है. यह तीनों हनुमान मंदिर एक दुसरे से 3-3  किलोमीटर के सामान अंतर पर बनाये गए है. इनकी स्थापना चिरौल दास बाबा ने ५०० साल पहले की थी.

ये मंदिर मनोकामना पूरी करने के लिए भी विख्यात है. जिन भक्तों का मनोरथ यहा पूरा होता है. वे रामचरितमानस का पाठ तथा भंडारा करवाते है. यहां पर सबसे अधिक भीड़ चिरहुला मंदिर में होती है. इसलिए इसका प्रबंधन खुद सरकार देखती है. क्योंकि चिरहुला की भीड़ हर साल बढ रही है. बाकि दो मंदिरों की देख रेख पुजारी एवं अन्य भक्त करते है.

5. कानीवाड़ा चमत्कारी हनुमान मंदिर

यह मंदिर राजस्थान में जालोर जिले के कानीवाड़ा में स्थित है. यहां के स्थानीय लोग एंव पुजारी बताते है. यह मंदिर करीब-करीब ५०० साल पुरातन है. शुरुआत में इसके आस पास घाना जंगल था. बाद में इसे मंदिर परिसर का स्वरूप दिया गया. यहां पर रखी हुई हनुमान मूरत किसी कारीगर ने नहीं बनाई. बल्कि यह ख़ुद-ब-ख़ुद प्रकट हुई है. इस मूर्ति को देखने पर पता चलता है.

हनुमान जी पांव जोड़कर बैठे हुए हैं. कानीवाड़ा मंदिर संगमरमर से बना हुआ है. लेकिन अचंभे की बात तो यह है. इसके उपर छत नहीं है. जब भी किसी ने मंदिर पर छत डालने का प्रयास किया है. तब वह छत तूफान या तेज हवा से उड़ जाती है. इस मंदिर में १३ अखंड ज्योत जल रही है. लोगों अपने अनुभव द्वरा बताते है. यहां पर मांगी हुई मुरादें हनुमानजी पूरी करते है.

निसंतान दम्पति को संतान सुख की प्राप्ति होती है. तथा जीवन में सफलता प्राप्त होती है. यहां पर जब भी किसी की मनोकामना पूर्ण होती है. वह कानीवाड़ा हनुमान मंदिर में अपनी एक ज्योत जरुर जलाता है.

Hanuman Ji Ke Mandir

6. रोकड़िया हनुमान मंदिर

यह हनुमान मंदिर राजस्थान में प्रतापगढ़ जिले के झांसड़ी गांव में बनाया गया है. इस मंदिर की हनुमान मूर्ति के बारे में कहा जाता है. यह स्वयम प्रकट हुई थी. इस दिव्य प्रतिमा का सिर्फ एक पावं दिखाई देता है. दुसरे पैर का छोर किसी को भी नजर नहीं आता. इस मंदिर को रिजर्व बैंक ऑफ रोकडिया हनुमानजी और रोकडिया बालाजी भी कहा जाता है. माना जाता है. यहां हनुमान मूर्ति के पेट में खजाना छुपा हुआ है.

मूर्ति के पेट पर एक जेब भी है. पुराने जमाने में मंदिर में आनेवाले भक्त को किसी भी कार्य के लिए. जीतने भी रुपयों की जरूरत होती थी. वह हनुमान जी की जेब में हाथ डालकर धन निकाल लेता था. तत्पश्चात अपना कार्य पूर्ण होने पर. उसे वह धन राशी लौटानी पड़ती थी. इन पैसों पर कोई भी ब्याज नहीं लगता था. यहां पर विराजमान भगवान हनुमान खुद रोकड़िया अर्थात धन देनेवाले साहूकार है.

यहां के बडे बूढ़े लोग बतातें है. पुराने जमाने में बैंक नहीं थे. उस समय रोकड़िया हनुमान, लोगों की आर्थिक जरूरते पूरी करते थे. कहते है कई साल पहले एक चोर ने हनुमान जी की जेब काटने का असफल प्रयास किया था. उस वक्त चोर का हाथ बजरंगबली की जेब में ही फस गया था. बहुत क्षमा याचना करने के बाद ही. वह अपना हाथ वापस निकाल पाया था. लेकिन उस दिन के बाद हनुमान जी की जेब से धन निकलना बंद हो गया.

बहुत सालों पहले हनुमान जी ने भक्तों को इतना पैसा दिया था. की आज सभी भक्तों ने मिलकर करोड़ों रुपयों की लागत से यह रोकड़िया हनुमान मंदिर बनवाया है. आज भी कई सारे भक्त यहां पर मदत के लिए आवाज लगाते है. और रोकड़िया हनुमानजी उनकी समस्यओं का समाधान भी करते है. इस चमत्कारी हनुमान मंदिर में मंगलवार और शनिवार को मेले की रौनक होती है. दर्शन लिए यहां काफी दूरदराज से लोग १२ माह आते रहते है.

7. गिरजाबंध हनुमान मंदिर

यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से तकरीबन 25 KM दूर रतनपुर गाँव बसा हुआ है. इस मंदिर की हनुमान मूर्ति स्त्री के भेस में है. यह विश्व का एकलौता ऐसा मंदिर है. जहाँ हनुमान जी की पूजा एक महिला रूप में हो रही है. इस मंदिर की “देवी हनुमान” मूर्ति प्रकट होने के पीछे एक प्राचीन कथा जुडी हुई है. इस अनोखे मंदिर का निर्माण राजा पृथ्वी देवजू ने करवाया था.

उन्होंने कई सालों तक रतनपुर पर राज्य किया था. कहा जाता है की राजा पृथ्वी देवजू कुष्ट रोग से पीडित हो गए थे. एक दिन उनके सपने में भगवान हनुमान दिखे. और उन्होंने राजा को एक मंदिर बनाने का आदेश दिया. राजा ने तुरंत ही मंदिर निर्माण कार्य आरंभ कर दिया. कुछ समय बाद जब वह निर्माण कार्य अंतिम चरण पहुंचा. तब राजा के स्वप्न में हनुमान जी फिरसे आए.

और महामाया कुंड से मूर्ति निकालकर मंदिर में स्थापित करणे के निर्देश दिए. आज्ञा का पालन करते हुए. राजा ने जब महामाया कुंड से वह मूर्ति बाहर निकाली. तब स्त्री के रूप में वह हनुमान मूर्ति देख. सभी लोग हैरान हुए थे. लेकिन राजाने निर्देश अनुसार उस मूर्ति को विधिवत “हनुमान मंदिर” में स्थापित कर दिया. इसके कुछ दिनों बाद. राजा का कुष्ट रोग पूरी तरह से ठीक हो गया था. गिरजाबंध हनुमान मंदिर के प्रति लाखों भक्तो की गहरी आस्था जुडी हुई है. इस जगह पूजा पाठ करने वाले भक्त को भगवान हनुमान हर संकट से मुक्त करते है. तथा उसकी मनोकामनाएं भी सिद्ध होती है.

8. जाखू हनुमान मंदिर

यह हनुमान मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के शिमला शहर में बसा हुआ है. यहां हनुमान जी के दर्शन के लिए. केवल भारत से ही नहीं बल्कि दूर विदेश से भी लोग आते रहते है. इस मंदिर में हनुमान जी की स्वयंभू प्रतिमा के साथ एक और 108 फिट लंबी हनुमान मूर्ति भी स्थापित है. जिसके दर्शन पुरे शिमला में कही से भी होते है. माना जाता है इस मंदिर में खुद हनुमान जी का वास है. इसकी स्थापना त्रेता युग में एक यक्ष ऋषि ने की थी.

इसके पीछे एक पौराणिक कहानी विख्यात है. जिसके सत्य होने के कई सारे प्रमाण भी मिले है. लंका में जब श्री राम और रावण का युद्ध हो रहा था. उस समय युद्ध भूमि में रावण के पुत्र मेघनाद ने. श्री लक्ष्मण जी पर शक्ति बाण चलाकर उन्हें मूर्छित कर दिया था. उनके प्राण बचाने हेतु. श्री हनुमान हिमालय से संजीवनी बूटी लाने आकाश मार्ग से जा रहे थे. उड़ते हुए उनकी नजर जाखू पर्वत पर तपस्या में लीन एक यक्ष ऋषि पर पड़ी थी.

उनसे भेट करने तथा संजीवनी बूटी के परिचय के लिए. पवन पुत्र पर्वत पर जिस जगह उतरे थे. उसी जगह पर आज भी उनके पद चिन्ह देखे जा सकते है. हनुमान जी जिस ऋषि से मिले थे. उन्ही के नाम पर जाखू मंदिर यह नाम दिया गया है. उनसे मिलने के बाद हनुमान जी हिमालय की ओर चले गए. जाते जाते हनुमान जी ने जाखू ऋषि से वादा किया था. वह लौटते समय उनसे मिलकर जाएंगे.

लेकिन रास्ते में कालनेवी राक्षस की वजह से हनुमान जी का समय जाया हो गया. उसी कारण वह हिमालय से द्रोणागिरी पर्वत लेकर छोटे वाले रस्ते से लंका चले गए. उनके जाने के बाद ऋषि हनुमान जी के इंतजार में व्याकुल हो गए थे. उसी बात को ध्यान में रखते हुए. हनुमान जी ने उन्हें दर्शन देणे आए थे. उसके पश्चात वहां पर हनुमान जी की एक प्रतिमा प्रकट हुई.

जिसके लिए जाखू ऋषि ने मंदिर बनाया था. वह मूर्ति आज भी उस मंदिर में मौजूद है. इसी जागुत bajrangbali mandir के दर्शन हेतु.  सात समुन्दर पार से भी लोग आते रहते है. इस मंदिर के बारे में भक्तों का विश्वास है. हनुमान जी यहां हर किसी की मुराद पूरी करते है. इस जगह को भेट देनेवाले भक्तों के मन को एक अविस्मरणीय शांति मिलती है.

9. गोदावरी धाम बालाजी हनुमान मंदिर

यह bajrangbali ka mandir राजस्थान के कोटा शहर में स्थित है. इस की रचना लगभग 1050 वर्ष पुराणी मानी जाती है. यहां पर मौजूद पुरातन शिलालेखों पर इसका उल्लेख किया हुआ है. लेकिन बहुत से शिला लेख खंडित अवस्था में है. इसलिए ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती. बीती शताब्दियों में इस जगह नागा साधुओं का निवास हुआ करता था. आज इस मंदिर में अधिकतर भक्त भूत-प्रेत, पिसाच व अदि बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए आते है.

इस मंदिर की अति प्राचीन हनुमान मूर्ति काली चट्टान पर वीरासन में विराजमान है. बालाजी हनुमान का मुख दक्षिण दिशा की ओर है. साल १९६३ की रामनवमी के पावन अवसर पर. इस हनुमान मंदिर का जीर्णोउद्धार हुआ था. यह अति शुभ कार्य श्री गोपीनाथ जी भार्गव जी के हाथों हुआ था.

10. आंजनेय मंदिर

यह हनुमान मंदिर तमिल नाडु राज्य के नामक्कल जिला में स्थित है. भारत के पुरातन मंदिरों में एक यह मंदिर नमक्कल किले के निचे वाले हिस्से में है. इस मंदिर की हनुमान प्रतिमा 18 फीट ऊँची है. यहाँ पर अंजनी सूत हनुमान नमस्कार मुद्रा में खडे है. इस मंदिर की खास बात यह है. यहां की हनुमान मूर्ति मजबूत पत्थर से बनी हुई है. जिसके ऊपर कोई छत नहीं है. माना जाता है की राम भक्त हनुमान को अपने उपर छत पसंद नहीं है.

इसकी छत बनवाने के कई प्रयास किये गए थे. लेकिन किसी ना किसी कारण छत गिर ही जाती है. यहां के पुजारियों का कहना है. बजरंगबली कुदरत की उपासना कर रहे है. मान्यता है की यह मंदिर तकरीबन १६०० साल पुरातन है. इसी मंदिर के सामने एक अति प्राचीन गुफा के अंदर नारायण के अवतार नृसिंह भगवान का मंदिर है. और हनुमान जी उन्ही की  सुरक्षा का भार संभाल रहे है. इस अनोखे हनुमान मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ियन शैली की है. जो की बेहद प्राचीन एवं दुर्लभ है.

Chamatkari Hanuman Mandir

11. महाबली हनुमान मंदिर

यह प्राचीन हनुमान मंदिर मणिपुर की राजधानी इंफाल में है. महाबली नामक जंगल में इंफाल नदी किनारे स्थापित यह लुभावना मंदिर. हर वक्त बंदरों की विशाल सेना से घिरा हुआ होता है. माना जाता है की खुद पवन पुत्र हनुमान यहा आते है. इसलिए उनकी सेना यहा हमेशा मौजूद रहती है. इन बंदरों के बारे मे विशेष बात. ये कभी भी महाबली जंगल की सीमा नहीं लाँघते है.

इस हनुमान मंदिर की प्रतिमा पत्थर के एक ही स्लैब पर खुदी हुई है. बताया जाता है. यह मंदिर 1725 के आसपास बनाया गया था. इसका निर्माण राजा गरीब निवाज के हातों हुआ है. इसकी वास्तुकला बंगाली शैली में बनी हुई है. इस बेहद खुबसुरत दिखने वाले hanuman ji ke mandir में शनिवार और मंगलवार को हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठा होती है.

12. महावीर हनुमान मंदिर

यह हनुमान मंदिर पटना के रेलवे स्टेशन के निकट ही स्थित है. ऐसा माना जाता है. हनुमानगढ़ी के बाद इसी मंदिर सबसे अधिक दर्शन किये जाते है. इस मंदिर में हनुमान जी की २ मूर्तियाँ है. जिन्हें युग्म प्रतिमा कहा जाता है. पहली हनुमान प्रतिमा का अर्थ है. “परित्राणाय साधूनाम्” अर्थात सज्जनों की रक्षा के लिए. दूसरी प्रतिमा का अर्थ है “विनाशाय च दुष्कृताम्” तात्पर्य दुष्ट इंसानों की बुराई दूर करने के हेतु.

महावीर हनुमान मंदिर उत्तर भारत के प्रख्यात मंदिरों में से एक है. इसे अनादिकाल का माना जाता है. साल  1948 में पटना के उच्च न्यायालय के आदेश अंतर्गत इसे सार्वजनिक मंदिर घोषित किया गया है. इसका जीर्णोद्धार साल 1985 में हुआ था. इस मंदिर को मनोरथ पूरा करनेवाला माना जाता है. यहां पर कई सारे भक्तों की इच्छाएं पूरी हुई है.

इसी के चलते महावीर हनुमान मंदिर में हर साल लोगों की भीड़ बढती जा रही है. इसके अलावा यहा एक और लोक मान्यता काफी प्रचलित है. यहां का प्रसाद खानेवाले श्रद्धालुओं को प्राण घातक बीमारियाँ से निजात मिलता है. ऐसा कई भक्तों का अनुभव कथन मौजूद है. यह मंदिर धर्म के साथ-साथ मानव सेवा के लिए भी जाना जाता है. इस मंदिर की ट्रस्ट गरीब रोगियों के इलाज के लिए दान भी करती है.

13. हनुमानजी और उनकी पत्नी का मंदिर

शायद आपको यह जानकर आश्चर्य हुआ होगा की हनुमान जी विवाहित है. तेलंगाना राज्य के खम्‍मम जिले में एक ऐसा हनुमान मंदिर है. जहां पर श्री हनुमान और उनकी धर्म पत्नी सुवर्चला देवी की आराधना हो रही है. हनुमान जी के विवाह का विवरण पराशर संहिता में दिया गया है. यह उस समय की बात है. जब हनुमान जी अपने गुरु सूर्य देव से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. सूर्यदेव के पास कुल ९ विद्याओं का ज्ञान है.

उसमे से ५ विद्याओं ज्ञान भगवान बजरंगबली ने ग्रहण कर लिया था. लेकिन बची हुई ४ विद्याएँ सिखाने से पहले. सूर्य नारायण के समीप एक बडा धर्म संकट खडा हो गया. क्यों वो ४ विद्याएँ केवल विवाहित छात्र को ही दी जा सकती थी. लेकिन हनुमान तो बाल ब्रह्मचारी है. इस पर सूर्यदेव ने खुद ही एक समाधान निकाला. उन्होंने हनुमान जी की शादी अपनी पुत्री सुवर्चला से कराई. जो उनके तेज से प्रकट हुई थी. इस विवाह से हनुमान जी का ब्रह्मचर्य भी नही टुटा.

विवाह के बाद देवी सुवर्चला तपस्या में लीन हो गई. और हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली. इस प्राचीन व अनोखे bajrangbali mandir में दर्शन करने से विवाह कलेश दुर होते है. गृहस्त जीवन में चल रहे कष्ट मिट जाते है. और मनुष्य एक सुखी सांसारिक जीवन जीता है. इस अनूठे हनुमान मंदिर के दर्शन कर. हर साल लाखों लोग सुखमय जीवन की कामना करते है.

14. श्री बाल हनुमान मंदिर

यह गुजरात के जामनगर शहर में रणमल झील के निकट स्थित है. इस हनुमान मंदिर का निर्माण साल 1540 में हुआ था. आगे चलकर साल 1964 में भिक्‍क्षु महाराज ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था. इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्डस में शुमार है. क्योंकि आज से ठीक 58 साल और 6 महीने पहले. तारीख 1 अगस्त 1964  मंदिर के पुजारी एवं भक्तों ने श्री राम जय राम जय जय राम’ मंत्र जपना शुरू किया था.

जो आज तक जारी है. शुरुआत में यह जाप ७ दिनों तक पुरे चोबिसों घंटे करने का निर्णय हुआ था. लेकिन भक्तों की इच्छा से यह आज इस क्षण भी जारी रखा गया है. मंदिर में आनेवाले भक्त भी इस राम धुन में शामिल हो सकते है. यह कभी ना टूटे इसलिए 4 अतिरिक्‍त गायक. हमेशा तैयार रखे जाते है. साल  2001 में आया हुआ भूकंप भी. इस राम धुन को तोड़ नहीं पाया.

15. डुल्या मारुति

यह हनुमान मंदिर महाराष्ट्र राज्य में पुणे शहर की गणेशपेठ में स्थित है. इसके गर्भ में विराजित हनुमान मूर्ति काले पत्थर से निर्मित हुई है. तथा मंदिर की बनावट भी सम्पूर्णता पत्थर की है. यहां हनुमान जी के सामने नवग्रह रखे हुए है. यह मंदिर पेशवा कालीन माना जाता है. क्यांकि मंदिर में एक पुराना घंटा है.

जिसके उपर संवत 1700  लिखा हुआ है. कहा जाता है मंदिर का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु श्री समर्थ रामदास स्वामी ने करवाया था. इस प्राचीन हनुमान मंदिर में सम्पूर्ण वर्ष भक्तों का आना-जाना जारी रहता है. विशेषता मंगलवार और शनिवार के दिन यहां खास भीड़ होती है.

Bajrangbali ka mandir

16. श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान मंदिर

यह bajrangbali ka mandir तमिलनाडु के कुंभकोणम नामक एक नगर में स्थापित है. यहां की  हनुमान प्रतिमा पंचमुखी स्वरूप में है. इस मंदिर के निर्माण का आधार रामायण काल का एक युद्ध प्रसंग है. लंका संग्राम के दौरान रावण ने अपने भाई अहिरावण को राम लक्ष्मण का अंत करने भेजा था. उस समय मायावी अहिरावण श्री राम-लक्ष्मण को अगवा करके पाताला लोक ले गया था. तब बजरंगबली ने विभीषन जी के मार्गदशन से.

अपने आराध्य को लाने पाताल नगरी में प्रवेश किया था. वहां पर पांच दीपक थे और उन्हें एक साथ बुझाने के बाद ही अहिरावण का वध संभव था. इसलिए उन दीयों को एक साथ बुझाने के लिए. हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का विराट रूप धारण किया. और उन पांच दीयों को बुझाकर अहिरावन का वध कर दिया. इसी पंचमुखी हनुमान स्वरूप की पूजा कुंभकोणम के मंदिर में हो रही है. यहां बजरंगबली का सुंदर अति मनोभावन मठ भी है. इस पावन जगह पर कुछ समय बिताने से हमारे मन को सुख शांति तथा आनंद की प्राप्ति होती है.

17.  रणजीत हनुमान मंदिर

मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर शहर में बसा हुआ यह हनुमान मंदिर. लाखों श्रद्धालुओं के विश्वास तथा आस्था का केंद्र है. यह मंदिर अपने आप में चमत्कार का भंडार है. यहां पर आनेवाला हर कोई  महाबली बजरंगबली से अपनी विजय का आशीर्वाद मांगता है. यहां की हनुमान मूर्ति किसी युद्ध के लिए तैयार अवस्था में है.

तात्पर्य हनुमान जी अपने हातों में ढाला और तलवार लेकर खड़े है. स्थानीय लोगों के अलावा काफी दूरदराज के लोग भी इस मंदिर में आशीर्वाद प्राप्त करने आते है. इसके इतिहास के विषय में चर्चा करे तो माना जाता है, इसकी रचना सवा सौ साल पहले हुई थी.

18. एकादशमुखी हनुमान मंदिर

यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में स्थित है. इसकी विशेषता है की. यहाँ पर ११ मुख वाले बजरंगबली की मूर्ति विराजमान है. कहते है इस मंदिर में दर्शन करनेवाले भक्तों को एक साथ कई देवताओं की कृपा प्राप्त होती है. उसके जीवन की अनेक बाधाएं हट जाती है. प्राचीन कथाओं के अनुसार कालकारमुख नामक एक महा भयानक राक्षस का संहार करने हेतु. बजरंगबली ने श्री राम की इच्छा से यह ११ मुखी रूप धारण किया था.

19. गोमय हनुमान मंदिर

यह मंदिर महाराष्ट्र के नाशिक जिले में बसा हुआ है. इस की विशेषता के संदर्भ में चर्चा करे तो. यहां की हनुमान मूर्ति गौ माता के गोबर से बनी हुई है. इसकी स्थापना लगभग ४५० सालों पहले समर्थ रामदास स्वामी जी ने, अपने हाथों से की थी. इसे गोमय मारुती नाम से पहचान मिली हुई है. इस बजरंगबली मंदिर के दर्शन हेतु भक्त गन भारत के कोने कोने से यहां पर आते रहते है.

20. अनोखा हनुमान मंदिर

यह उत्तराखंड में  हरिद्वार के अवधूत मंडल आश्रम में स्थित है. इस मंदिर में भक्तों की मान्यता है. यहां पर 41 दिन के संकल्प से मनोरथ पुरे होते है. इसी कारण हर मंगलवार और शनिवार यहां पर भक्तों जमवड़ा लगता है. फल, फुल और लड्डुओं का भोग लगाकर भक्तजन हनुमान जी का आवाहन करते है. इस बजरंगबली मंदिर का निर्माण 13 अप्रैल, 1830 में स्वामी हीरा दास जी ने किया था.

Chamatkari Hanuman Mandir

21. तलवार वाले का हनुमान मंदिर

यह हनुमान मंदिर मध्य प्रदेश राज्य में ग्वालियर शहर से करीब-करीब ८ किलोमीटर दूर जलालपुर गांव में स्थित है. यहां की  की हनुमान मूर्ति के हाथ में गदा के बजाय तलवार है. कौतूहल का विषय तो यह है. इस मूर्ति की केवल एक बगल अर्थात शरीर का आधा भाग ही दिखाई देता है. मंदिर के पुजारी बताते है. यह एक अनोखा तथा प्राचीन मंदिर है. इसका निर्माण कार्य लगभग ७०० साल पहले पूर्ण हुआ था. पुराने जमाने के राजा महाराजा. युद्ध से पहले इसी हनुमान मंदिर में आशीर्वाद प्राप्त करने आते थे. यह हनुमान प्रतिमा उनका पाताल लोक रूप दर्शाती है. जब बजरंगबली ने पाताल नरेश अहिरावन का तलवार से संहार किया था.

22. मेहंदीपुर बालाजी हनुमान मंदिर

राजस्थान के तहसील सिकराय में स्थापित यह हनुमान मंदिर. दो विशाल पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है. इस मंदिर में विराजमान बालाजी हनुमान की मूर्ति पहाड की चट्टान में ही बनी हुई है. यहां पर ३ देवों की प्रतिमाएं पूजी जाती है. श्री बालाजी हनुमान महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव कोतवाल. ये तीनों मूर्तियां स्वयंभू है. अर्थात लगभग 1008 सालों पहले ये स्वयमं ही प्रकट हुई ऐसी मान्यता यहा प्रचलित है. यदि मंदिर के रहस्यों की बात करें तो.

श्री बालाजी हनुमान की छाती की बायीं तरफ एक छोटीसा छिद्र है. उसमे से निरंतर जलधारा बहती रहती है. भक्तगण इसे हनुमान जी का पसीना बताते है. इस प्राचीन हनुमान मंदिर में पहली दफा आनेवालों  के लिए. यहाँ का दृश्य भयानक हो सकता है. क्योंकि हर रोज यहां पर ऐसे लोग अधिक आते है. जो भूत,प्रेत, बुरी आत्माएं जैसी अमानवीय शक्तियों से पीड़ित होते है.

ऐसे लोगों के मंदिर की सीमा में कदम रखते है. उनके अंदर की बुरी शक्तियां आजाद होने के लिए, छटपटाने लगती है. और वे लोग कांपने लगते है. कई लोग अपने अनुभव से बताते है. मेहंदीपुर बालाजी हनुमान मंदिर में भूत-प्रेत के साथ समस्त समस्याओं से छुटकारा मिलता है. यह भारत के प्रख्यात हनुमान मंदिरों में से एक है. बालाजी के दर्शन हेतु हर रोज भक्तों का तांता लगा रहता है.

23. दांडी हनुमान मंदिर

यह हनुमान मंदिर गुजरात में द्वारका शहर से तकरीबन 7 KM की दुरी पर स्थित है. यहां पर पवनपुत्र हनुमान जी के साथ उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्ति भी विराजित है. यह मंदिर ५०० से अधिक साल पुराना है. लोक मान्यता के अनुसार शुरुवात में मकरध्वज की मूर्ति हनुमान जी से छोटी थी. लेकिन अब दोनों मूर्तियाँ एक सामान दिखाई देती है. ये दोनों प्रतिमाएं बिना किसी अस्त्र, शस्त्र के प्रसन्न मुद्रा में दिखाई देती है.

प्रतीत होता है की पिता-पुत्र दोनों आनंदित है. लोक मान्यताओं के अनुसार भगवान बजरंगबली अपने पुत्र मकरध्वज से पहली बार इसी स्थान पर मिले थे. साल भर इस अद्वितीय हनुमान मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है. आपको पता नहीं तो मकरध्वज के बारे ने बता देते है. लंका दहन करने के बाद. जब हनुमान जी अपनी पुच्छं में लगी आग बुझाने. समुद्र में गए थे उसी समय उनके पसीने की कुछ बुँदे समुद्र में गिरी थी. जिसे एक मगरमच्छ ने निगल लिया था. और उसी से मकरध्वज का जन्म हुआ था.

24. हनुमानगढ़ी

यह मंदिर उत्तर प्रदेश में प्रभु राम की जन्म भूमि अयोध्या में बसा हुआ है. लंका विजय के पश्चात जब श्री राम अयोध्या लौटे थे. तब उनकी सेवा के लिए हनुमान भी आए थे. अयोध्या में जिस स्थान पर हनुमान जी रहते थे. आज उसे हनुमानगढ़ी कहा जाता है. यह स्थान स्वयं श्री राम ने हनुमान जी को दिया था. यही से महाबली हनुमान रामराज्य की रक्षा का प्रबंधन करते थे. इस स्थान को हनुमान कोट भी कहा जाता है. इस मंदिर में लंका विजय में प्राप्त “हनुमान निशान” रखा हुआ है. यह निशान एक ध्वज है. जो चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा है. आज भी इस निशान को प्रत्येक पूजा से पहले राम जन्म भूमि पर लाकर प्रथम पूजा जाता है. हनुमानगढ़ी भारत के प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में एक है. यहां की परंपरा है श्री राम दर्शन से पहले. हनुमानगढ़ी में राम भक्त हनुमान के दर्शन करने होते है. इस मंदिर में बाल हनुमान माता अंजनी गोद में बैठ हुए है. यह मुर्ती बेहद खुबसुरत दिखती है.

25. संकट मोचन हनुमान मंदिर

यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है. इसका इतिहास ४०० साल से भी अधिक प्राचीन है. इस हनुमान मंदिर की स्थापना स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी. भक्तों के विश्वास और लोक मान्यता अनुसार जब तुलसीदास जी वाराणसी में रामचरितमानस की रचना कर रहे थे. तब उनके आराध्य तथा प्रेरणा स्त्रोत रामभक्त हनुमान जी ने. उनको दर्शन दिए व मिट्टी की मूरत के स्वरूप में यहां पर स्थापित हो गए. इसी जागुत प्रतिमा के दर्शन हेतु. काफी दूर-दूर से लोग आते है. वैदिक ज्योतिष के अनुरूप हनुमान जी शनिग्रह के साथ अन्य ग्रहों के दोष भी दूर करते है. विशेषता जिस मनुष्य की कुंडली में शनी का बुरा प्रभाव होता है. वे लोग इस मंदिर में ज्योतिषीय उपचार के लिए जरुर आते है. संकट मोचन हनुमान मंदिर में दर्शन करने वालों पर.भगवान असीम कृपा बरसाते है एवं उनके सभी मनोरथ पुरे करते है.

Hanuman Ji Ke Mandir

26. उलटे हनुमान का मंदिर

यह हनुमान मंदिर मध्यप्रदेश, इंदौर के सांवरे गावं में स्थित है. यहां पर विराजित भगवान हनुमान की मूर्ति उलटी है. अर्थात सिर के बल खड़ी है. इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है. लकां युद्ध के दौरान जब रावण प्रभु राम को बल से जीत नहीं पाया. तब उसने छल का सहारा लिया. और अपने भाई अहिरावन को श्रीराम और लक्ष्मणजी को मारने हेतु भेजा. अहिरावन एक मायावी असुर था. उसने रात्रि के समय छल से श्री राम के शबीर में प्रवेश कर. निद्रासन में लीन राम और लक्ष्मण जी को उठाकर पाताल नगरी ले गया. उस समय श्री राम और लक्ष्मणजी को हनुमान जी ने पाताल से छुडवाया था. लोक मान्यता कहती है. सांवेर गाँव वही जगह है. जहाँ से हनुमान जी ने पाताल में प्रवेश किया था. प्रवेश करते वक्त हनुमान जी के पैर आसमान की तरफ व सिर पाताल अर्थात धरती की ओर था. इसी कारण आज भी यहां पर हनुमान जी की उलटी प्रतिमा पूजा जाती है. भक्तों के विश्वास अनुरूप यह हनुमान मंदिर जागृत अवस्था में है. अगर कोई भी मनुष्य लगातार तीन या पांच मंगलवार तक. उलटे हनुमान के दर्शन करता है. तो उसके सभी दुःख समाप्त हो जाते है. तथा उसकी इच्छाएं पूरी होती है. इस मंदिर में के दर्शन के लिए. हर साल देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग आते रहते है. बहुत से भक्त यहाँ मंगलवार के पावन अवसर पर हनुमान जी को चोला चढाते है.

27. पांडुपोल हनुमान मंदिर

यह मंदिर राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान बसा हुआ है. इस हनुमान मंदिर का इतिहास महाभारत काल का है. जिसे पांडवों ने बनवाया था. इसके पीछे द्वापर युग की कहानी जुडी हुई है. कहते है अज्ञातवास के दौरान पांडव भ्रमण करते हुए. सरिस्का उद्यान के क्षेत्र में आए थे. इसी वन द्रोपदी जी को एक सुंदर पुष्प मिला था. द्रोपदी ने उसी जैसे और पुष्प लाने के लिए. भीम के समक्ष हट पकड लिया था. जब भीम उस पुष्प की खोज में गए थे. तब हनुमान जी ने भीम का अहंकार तोड़ कर. उसे दर्शन दिए थे. बाद मे पांडवों ने मिलकर. यहां पर हनुमान मंदिर बनवाया था. इस मंदिर की हुनमान मूर्ति शयन अवस्था में है. जैसे हनुमान जी ने भीम को दर्शन दिए थे. हर मंगलवार और शनिचर के दिन. यहा निजी वाहन को लाने की अनुमति मिलती है. पांडुपोल हनुमान मंदिर मेला हर साल भादौ शुक्ल पक्ष की अष्टमी को लगता है. उस दिन भक्त दूरदराज से लाखों की संख्या में आकार हनुमान जी के दर्शन करते है.

28. सामोद वीर हनुमान मंदिर

यह मंदिर राजस्थान के जयपुर शहर से तकरीबन 43 KM की दुरी पर स्थित है. यह राजस्थान का प्राचीनतम एवं प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. इस हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए 1000 से अधिक सीढियां चढनी होती है. इसके निर्माण के बारे में बताया जाता है. भगवान हनुमान जी ने यहा विराजमान होने से पहले खुद आकाशवाणी की थी. इसकी कहानी कुछ ऐसी है. लगभग ६०० से ७०० साल पहले. संत नग्नदास अपने शिष्य लालदास के साथ सामोद पर्वत पर तप करने आए थे. इस दौरान संत नग्नदास जी के कानों में आकाशवाणी गूंजी. मै इसी जगह वीर हनुमान के रूप में विराजमान रहूँगा. संत नग्नदास को उसी समय पर्वत की चोटी पर महाबली हनुमान जी ने दर्शन दिए. बाद में संत नग्नदास जी और उनके शिष्य ने हनुमान जी ने जिस चट्टान पर दर्शन दिए थे. उसी चट्टान को हनुमान मूर्ति का आकार दिया. कुछ समय बाद वहां पर हनुमान मंदिर बनाया गया. शुरुआत में भक्तगन पहाड चढ़कर अपने आराध्य के दर्शन करने आते थे. और अब वहा सीढियों का प्रबंध किया हुआ है. आज भी लोग लाखों की संख्या में इस मंदिर में दर्शन करने आते है.

29. सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर

यह मंदिर मध्य प्रदेश में शाजापुर जिले के बोलाई गाँव में बसा हुआ है. इस हनुमान मंदिर को करीब-करीब ३०० साल पुराना माना जाता है. इसका निर्माण कार्य देवीसिंह जी ने करवाया था. इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा के साथ गणेश भगवान की मूर्ति जुडी हुई है. यहां की मान्यता है, की यहां पर दर्शन के हेतु आनेवाले भक्तों को भविष्य की घटना का आभास होता है. तथा उनकी मनोकामना भी पूरी हो जाती है. इस मंदिर को चमत्कारी कहा जाता है. इसके पीछे भी एक जीता जागता कारण है. यह पावन मंदिर रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रैक के बीच बोलाई स्टेशन के नजदीक है. यहा से गुजरने वाली हर एक ट्रेन की गति अपने आप ही धीमी हो जाती है. ताकि कोई हादसा ना हो. ट्रेन के ड्राइवर व लोक पायलट बताते है. जब भी ट्रेन मंदिर के नजदीक होती है. तब उन्हें कोई ट्रेन की गति कम करने को कहता है. अगर वह ऐसा नहीं करते. याफिर भूल जाते है. तो यह अपने आप ही धीमी हो जाती है. मंदिर के मुख्य पुजारी बताते है. कई साल पहले यहां पर. दो मालगाड़ियों की आपस में टक्कर हुई थी. उस समय ट्रेन के लोको पायलट ने बताया था. उन्हें इस हादसे के बारे में पहले ही एहसास हुआ था. सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर में शनिवार, मंगलवार और बुधवार के दिन काफी ज्यादा संख्या में भक्त आते है.

30. लंगड़े की चौकी हनुमान मंदिर

यह मंदिर उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित है. इसका निर्माण अग्रेजों के ज़माने में हुआ है. यह जिस स्थान पर बनाया गया है. उसी जगह सरकारी चौकी हुआ करती थी. इस चौकी में एक रामभक्त पहरा देणे के लिए नियुक्त था. वह एक पैर से लंगडा था. उसे राम भजन कीर्तिन में बहुत अधिक रूचि थी. एक दिन चौकी के नजदीक में ही राम भजन का आयोजन हुआ था. वह सुनते ही लंगडा चौकी छोड़ राम भजन में शामिल हो गया. उसको रामभजन में देख. किसी ने उसके बडे अफसर से चुगली लगा दी. की लंगडा काम छोड़कर भजन में बैठा है. बडे अफसर ने आकार चौकी पर जाँच की तो लंगड़ा चौकी में ही पहरा दे रहा था. फिर वह अफसर राम भजन के स्थान पर पंहुचा. तो लंगड़ा वहा पर भी राम भजन कर रहा था. वह देख अफसर को चक्कर आया गया. अगले दिन अफसर ने लंगड़े को बुलाकर इस बारे में पूछा. लंगड़े चौकीदार ने सच कह दिया की वह राम भजन में था. तो अफसर ने कहा. लेकिन तुम तो चौकी में भी बैठे थे. तब लंगड़े ने जवाब दिया. मेरी जगह और कोई नही बल्कि रामभक्तों के रखवाले श्री हनुमान जी थे. आगे चलकर उसी चौकी के स्थान पर हनुमान मंदिर बनवाया गया. तथा इसे लंगड़े की चौकी नाम दिया गया. इस मंदिर में बजरंग बली की मूर्ति संगमरमर के सिंहासन पर बैठी हुई है. मंदिर के महंत बताते है. इस हनुमान मंदिर में लोगो की मनोकामना हनुमान कृपा से पूरी हो जाती है. दर्शन हेतु यहाआस पास के शहरों से लोगों का आना जाना लगा रहता है. मुराद पूरी होने पर भक्तगन मंदिर को फूल बंगला से सजाते है एवं भंडारा कराते है.

Hanuman Ji Ke Mandir

31. प्राचीन हनुमान मंदिर

यह मंदिर नई दिल्ली के व्यापार केन्द्र कनॉट प्लेस में स्थित है. यहां की हनुमान प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है. दिल्ली शहर का महाभारत कालीन नाम इंद्रप्रस्थ था. जिसका निर्माण पांच पांडवों ने करवाया था. पांडवों में द्वितीय महाबली भीम को हनुमान जी का अनुज अर्थात छोटा भाई माना जाता है. क्योंकि दोनों भी पवन देव की संतान है. प्राचीन इंद्रप्रस्थ नगरी के निर्माण के समय पांडवों ने वहा पर पांच हनुमान मंदिरों का निर्माण किया था. यह प्राचीन हनुमान मंदिर उन्ही में से एक है. इसे विश्व ख्याती प्राप्त मंदिर भी कहा जाता है. इसका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अंकित हो चूका है. क्योंकि साल १९६४, १ अगस्त से लेकर. आज की तारीख तक इस मंदिर में श्री राम जय राम जय जय राम का अंखड जाप निरंतर चल ही रहा है. रामचरितमानस के रचनाकार श्री संत तुलसीदास जी ने भी दिल्ली यात्रा करते समय. इस हनुमान मंदिर में दर्शन किए थे. कहा जाता है की दिल्ली की पावन धरती पर ही उन्होंने श्री हनुमान चालीसा लिखी थी. इस मंदिर के सामने सूर्य पुत्र महान शनिदेव का भी प्राचीन मंदिर है. जिसकी रचना एक दक्षिण भारतीय भक्त ने की थी. हनुमान जी  के साथ शनि दर्शन के लिए. सालभर भारत के कोने-कोने से लोग यहां आते रहते है. यह bajrangbali ka mandir अति पुरातन होने के साथ साथ चमत्कारी भी है. इसके दर्शन कर लाखों लोक जीवन में सुख शांति की कमाना करते है.

32. कष्टभंजन हनुमान दादा महाराज मंदिर

यह हनुमान मंदिर गुजरात, भावनगर से तकरीबन १२ किलोमीटर दूर सारंगपुर में स्थित है. माना जाता है यह 170 साल पुरातन है. इसका  निर्माण श्री स्वामी नारायण के भक्त गोपालानन्द स्वामी ने किया था. इस मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों के सभी तरह के कष्टों का निवारण होता है. जैसे शनीपीड़ा, भुत, प्रेत व अन्य बाधा. इस मंदिर में पवन पुत्र हनुमान स्वर्ण सिंहासन पर विराजित है. यहां पर श्री मारुती हनुमान दादा नाम से विख्यात है. हनुमान मूर्ति के पैरों तले शनिदेव स्त्री के वेश में है. कहा जाता है की सदियों पहले यहां के नगर वासी शनिदेव से पीडित थे. शनिदेव के भय से लोगों ने हनुमान जी के समक्ष गुहार लगाई. कष्टभंजन मारुती ने अपने भक्तों की पीड़ा दूर करने हेतु. शनि महाराज को दंड देणे की ठान ली. और उनका पीछा करने लगे. बजरंग बली से भाग रहे शनिदेव को बचने के लिए. जब कोई उपाय नहीं सुझा. तब उन्होंने एक स्त्री का भेस धर लिया. क्योंकि वह जानते थे, हनुमान बाल ब्रह्मचारी है. इसलिए वह किसी महिला पर हात नहीं उठाएंगे. लेकिन मारुती ने प्रभु राम की आज्ञा से स्त्री भेस भाग रहे. शनिदेव को अपने पैरों तले कुचल कर दंड दे ही दिया. आगे चल कर भक्तों के शनी दोष व कष्टों का निवारण के लिए. यहां पर कष्टभंजन हनुमान मंदिर की स्थापना की गई.

Hanuman Ji Ke Mandir

33. सालासर बालाजी हनुमान मंदिर, राजस्थान

यह मंदिर राजस्थान में चुरू जिले के सालासर गाँव ने बसा हुआ है. इस मंदिर में दाढ़ी और मुछ वाले हनुमान विराजमान. मूर्ति के पुरे चेहरे पर रामजी की दीर्घायु के लिए सिंदूर लगाया हुआ है. वैसे तो साल भर इस हनुमान मंदिर में. दर्शन के लिए भीड़ लगी रहती है. लेकिन प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा के दिन. यहां पर भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है. इस शुभ अवसर पर भक्त लाखों की संख्या में बालाजी हनुमान के दर्शन करने आते है. इस हनुमान मंदिर का इतिहास काफी अदभुत रहा है. इसका  प्रारंभ सन 1811 में हुआ था. नागौर जिले के असोटा गाँव में शनिचर के दिन. एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था. खेत जोतते वक्त उसका हल अचानक किसी चट्टान जैसी सख्त चीज से टकराया. किसान ने उस चीज को हटाने हेतु. उसके आस-पास खुदाई करके उसे बाहर निकाला. उसी वक्त किसान की पत्नी उसे खाने देणे आयी थी. उसी ने अपने साड़ी के पल्लू से उस चट्टान को साफ सुतरा किया. तो वह भगवान बालाजी हनुमान की मुर्ती थी. फिर उसने हनुमान जी को खाने में लाए हुए. बाजरे के चूरमे का सबसे प्रथम भोग लगाया था. तब से आज तक यही भोग लगाया जा रहा है. मूर्ति प्रकट होने का समाचार गाँव में फैलने के बाद. असोटा के ठाकुर के सपने में हनुमान जी आए और उस मूर्ति को सालासर गाँव ले जाने का आदेश दिया. वर्तमान काल में वही मूर्ति सालासर बालाजी हनुमान मंदिर रखी हुई है. हर साल भक्तगण लाखों की संख्यां में. बालाजी हनुमान के दर्शन कर, अपने कष्टों एवं पीडाओं से छुटकारा पाते है.

34. अलीगंज का हनुमान मंदिर

यह मंदिर लखनऊ के अलीगंज क्षेत्र में स्थित है. इसे जिस पावन जगह पर बनाया गया है. उसका इतिहास रामायण काल से जुडा हुआ है. प्रजा के कहने पर जब प्रभु राम ने देवी सीता का त्याग किया था. इस कारण वीर लक्ष्मण और श्री हनुमान, देवी सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़ने ले जा रहे थे. त्रेता यूग में लक्ष्मणपुर कहलाने वाले वर्तमानकाल के अलीगंज तक आते-आते उन्हें रात हो गई थी.

इसलिए लक्ष्मणजी ने वही रुकने का निर्णय लिया. श्री लक्ष्मण जी ने माता सीता से विनती की वह नजदीक में ही बसी आयोध्या राज्य की चौकी में विश्राम करें. लेकिन सीताजी अब किसी भी राजभवन में कदम नहीं रखना चाहती थी. इसलिए वह वहीं पर रुक गई. तथा उनकी सुरक्षा हेतु हनुमान जी भी उनके साथ ही रुक गए.

माता सीता से आज्ञा लेकर लक्ष्मणजी आयोध्या चौकी चले गए. जिसे बाद में लक्ष्मण टीला नाम दिया गया. जहाँ हनुमान जी और देवी सीता रुके थे वह  स्थान हीवेट पॉलीटेक्निक की बगल से पुराने अलीगंज मंदिर को जाने वाली. सड़क किनारे बना हुआ बड़ा सा बाग था. उसी जगह यह hanuman ji ka mandir बना हुआ है. पुराने जमाने में इस जगह को हनुमान बाडी कहा जाता था.

पर अभी इसे इस्लामबाड़ी नाम दिया गया है. इस मंदिर की मूर्ति स्वयंभू है. अर्थात यह प्रकट हुई थी. इसके पीछे भी एक पुराणी कहानी प्रचलित है. वह कुछ इस प्रकार की है. साल 1792 से 1802 के बीच तत्कालीन नवाब मुहम्मद अली शाह की बीवी रबिया को संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा था. जिसके लिए हर नुस्खे अजमाए गए थे.

तब कुछ सज्जन लोगों के कहने पर रबिया ने हनुमान जी की आराधना की. इसके बाद  वह जल्द ही गर्भवती हो गई. जब वह गर्भवती थी. उस वक्त उनके सपने में पवनपुत्र हनुमान आए. और बताया की इस्लामबाड़ी में एक हनुमान मूर्ति जमीन में दबी हुई है. उसीको निकालकर मंदिर में स्थापित किया जाए.

रबिया ने ठीक वैसा ही किया उसने मजदूरों से वह जगह खुदवाई और हनुमान प्रतिमा  बाहर निकाल ली. रबिया उस मूर्ति को इमामबाड़े के पास हनुमान जी का मंदिर बनवाकर. वही पर स्थापित करना चाहती थी. लेकिन जब वह हाथी के ऊपर मूर्ति बिठाकर शाही ठाट बाट के साथ ले जा रही थी. तब अलीगंज की सड़क के अंतिम छोर पर पहूँचकर हाथी रुक गया था.

महावत की अनेक कोशिशों के बावजूद भी गजराज आगे बढ़ने को तैयार नहीं था. तब कुछ साधू संतों ने राणी को कहा की हनुमान जी आगे नहीं बढ़ना चाहते. आगे गोमती के उस पार लक्ष्मणजी का इलाका है. इसलिए रानी साहिबा ने हनुमान मूर्ति वही उतरवाई और आज के वर्तमान hanuman ji ke mandir में स्थापित कर दी.

35. लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर

यह मंदिर प्रयागराज में गंगा यमुना के तट पर बसा हुआ है. स्थानीय भक्तों में यह मंदिर बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से प्रख्यात है. इस मंदिर में हनुमान मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में स्थति है.

इसके आकार के विषय में बात करे तो, मंदिर के गर्भ में विराजमान हनुमान प्रतिमा दक्षिण मुखी है. यह 20 फीट लम्बी तथा 8 से 10 फीट जमीन के अंदर दबी हुई है. इस प्रतिमा के बाएं पैर के निचे कामना देवी और दाएँ पैर के निचे मायावी अहिरावन दबा हुआ है.

तथा इनके दाएं हाथ में राम-लक्ष्‍मण और बाएं हाथ में गदा शोभनीय है. पौराणिक कथा अनुसार रावण का वध तथा लंका पर विजय प्राप्त करके. जब प्रभु राम देवी सीता को लेकर जन्मभूमि पर लौट रहे थे.

तब उनके साथ हनुमान व अन्य योद्धा भी थे. उस समय हनुमान जी को युद्ध के कारण थकावट महसूस हो रही थी. तब माता सीता के कहने पर हनुमान जी. इसी जगह विश्राम के लिए लेटे थे.

इसी विशेष लीला को ध्यान में रखते हुए. बजरंग बली का यहा मंदिर बनवाया गया है. इस मंदिर के बारे में और बात करे. तो यह लगभग ७०० से ८०० साल पुरातन है. इस विशेष स्थान की लोक मान्यता है.

देवी गंगा का पानी हनुमान जी को स्पर्श करने के बाद उतर जाता है. गंगा, यमुना का पानी बढ़ने. पर भक्तगण हजारों की संख्या में इसे देखने आते है.

इस स्थान पर गंगा, यमुना में स्नान के बाद अगर हनुमान जी के दर्शन ना किये. तो स्नान अधुरा माना जाता है. इस जागृत hanuman ji ke mandir में भक्तों के सभी मनोरथ पुरे होते है. इसलिए लोग हर साल लाखों की संख्या में लेटे हनुमान  जी के दर्शन करने आते है.

36. हनुमान धारा मंदिर

यह मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य में सीतापुर जिले के नजदीक चित्रकूट में बसा हुआ है. यह भारत का एक प्राचीन तीर्थस्थल है. क्योंकि चित्रकूट की पावन धरती पर प्रभु राम ने वनवास काल के ११ साल बिताये थे. यह hanuman ji ka mandir पर्वतों के बीच ऊंचाई पर बना हुआ है.

यहां पर पर्वत से निकलने वाली एक पावन जल धारा सदियों से हनुमान मूर्ती को स्पर्श करते हुए. नीचे के जल कुंड में समा रही है. इसलिए इस स्थान को “हनुमान धारा मंदिर” कहा जाता है. यहां की हनुमान मूर्ति के ऊपर १ पूरातन जल कुंड भी है.

यह कुंड भी ऊँचे पहड़ों में से बहने वाली ठंडी जलधारा से भरा रहता है. इसी मंदिर के उपरी स्थान पर पर्वत में देवी सीता रसोई है. जहाँ आज भी उनका दुर्लभ बेलन और चौकी रखी हुई. इसी पवित्र स्थान पर श्री राम और लक्ष्मन जी को वह खाना खिलाती थी. हनुमान धारा के विषय में एक पौराणिक कहानी प्रचलित है.

कहते रावण वध के पश्चात श्री रामजी अयोध्या में अपना राज पाठ सँभालने लगे थे. एक दिन हनुमान जी उनके पास गए. और कहा हे प्रभु लंका दहन से मेरे शरीर एवं पूंछ पर जलने के घाव है. जिससे मुझे दिकत होती है. आप मुझे इससे निजात दिला ने की कृपा करे. श्री राम जी ने हनुमान जी को चित्रकूट पर्वत का यह स्थान बताया. और कहा की आप चित्रकूट जाएँ.

वहां पर एक जलधार के निचे. आपको जलन वाले घाव से छुटकारा मिलेगा. इसी पर्वत में श्री राम जी ने भक्त हनुमान के लिए विश्राम स्थान बनवाया है. उसे भी देखा जा सकता है. इस hanuman ji ke mandir में १२ महीने भक्तों का तांता लगा रहता है. श्री राम और महाबली हनुमान के चरण स्पर्श पावन हुए.इस सनातन तीर्थस्थल के दर्शन से जीवन सफल हो जाता है. तथा मन को एक अदभुत शांति का अनुभव होता है.

37. बेड़ी हनुमान मंदिर

यह मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य में स्थापित है. जहाँ प्रभु जगन्नाथ का विश्व विख्यात मंदिर है. जिसे हिन्दुओं के ४ धामों में से एक माना जाता है. यहां हर साल हर दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती. जो भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आता है. वह बेड़ी हनुमान मंदिर जरुर जाता है. कहते है जगन्नाथ पूरी की रक्षा का भार, खुद प्रभु जगन्नाथ ने ही हनुमान जी को सौंपा है. इसलिए  पूरी के चारों द्वार के निकट हनुमान मंदिर (चौकी) बने हुए है.

बेड़ी हनुमान मंदिर जगन्नाथ पूरी की पश्चिम दिशा में समुद्र तट पर बना हुआ है. इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति को जंजीरों में बांधा गया है. इसके बारे में एक बडी ही रोचक व पुरातन कथा है. शुरुआत में जब समुद्र तट पर जगन्नाथ पूरी का निर्माण हुआ था. तब समुद्र के प्रकोप से पूरी को सुरक्षित रखने हेतु. जगन्नाथ जी ने महाबली हनुमान को पश्चिम दिशा समुद्र तट पर द्वार पाल तैनात किया था. जिसमें उन्हें हर वक्त तट पर पहरा देणे के निर्देश मिले थे.

लेकिन हनुमान जी प्रभु के दर्शन के बिना रह नहीं सकते थे. इसलिए कभी-कभी पहरा छोड़कर. वह प्रभु जगन्नाथ के दर्शन करने पूरी में चले जाते थे. उसके तुरंत बाद में द्वार पर हनुमान नहीं है. यह देख समुद्र भी उनके पीठ-पीछे पूरी में प्रवेश करता था. कहते है इस वजह से ३ बार जगन्नाथ मंदिर को हानी हुई थी. अब हनुमान तो मानाने वाले नही थे. वह तो प्रभु के दर्शन करके ही रहेंगे. इस बात को भलीभांति जानने वाले प्रभु जगन्नाथ ने. आखिर में हनुमान जी को वही समुद्र किनारे बेड़ियों से बांध दिया. साथ मे आदेश भी दिया की आप यही रहकर जगन्नाथ पूरी की रक्षा करेंगे. तब से लेकर आज भी हनुमान जी वही बेड़ियों में बंधे पहरा दे रहे है.

इस लेख में और भी हनुमान मंदिरों की जानकारी लिखी जा रही है.

हमारी पोस्ट hanuman ji ke mandir पढने के लिए आपका शुक्रिया. इस लेख अन्य भक्तों के साथ जरुर साझा करे. इस पोस्ट और भी भक्तिपूर्ण अध्यात्मिक लेख दिए है. वे सब भी जरुर पढ़िए.

अध्यात्मिक पोस्ट पढ़ें

सबसे अधिक लोकप्रिय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *