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गोडावण पक्षी की सम्पूर्ण जानकारी | Godawan

नमस्कार, आज इस लेख में हम आपको godawan की सम्पूर्ण जानकारी देनेवाले है. जिसमे हम इस पक्षी के रोचक तथ्यों के साथ साथ यह कहाँ पाया जाता है और इसके विलुप्त होने के कारणों जैसी बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियां देखने वाले हैं.

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गोडावण पक्षी के बारे में 16 रोचक तथ्य | Godawan

1. खतरा महसूस होने पर गोडावण पक्षी “हुक” जैसी आवाज निकालते हुए शोर मचाते हैं. इसी आवाज की वजह से इन्हें “हुकना पक्षी” यह नाम दिया गया है.

2. इसके अलावा ये पक्षी बादल गरजने या बाघ के गुर्राने की आवाजें भी निकाल सकते है. और इन आवाजों के कारण Godawan को “गुरायिन” नाम से भी पहचान मिली हुई है.

3. गोडावण पक्षी अपने जीवन का अधिकतम समय जमीन पर ही बिताते है. ये पक्षी सिर्फ अपने पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) के क्षेत्र से. दूसरे क्षेत्र में छोटी-छोटी दूरी तय करने के लिए ही उड़ान भरते है.

4. भारत में जब राष्ट्रीय पक्षी चुना जा रहा था. उस समय भारतीय पक्षी विज्ञानी सलीम अली जी ने. Godawan pakshi का प्रस्ताव रखा था. लेकिन इसके अंग्रेजी नाम (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) उच्चारण की वजह से इसे नहीं चुना गया.

5. गोडावण पक्षी अपनी शारीरिक बनावट की वजह से ना उडनेवाले शुतुरमुर्ग पक्षी समान दिखता है. लेकिन यह उड़ने वाले पक्षियों की प्रजाति में सबसे अधिक वजनी पक्षी साबित हुआ है.

6. Godawan पक्षी रात्रि के समय खुले आसमान के नीचे निवास करना पसंद करते है. परंतु दिन के समय में ये घनी एवं फैली हुई घास में छुपकर रहते है.

7. काफी सालों पहले यह भारत के 11 राज्यों में पाया जाता था. लेकिन अब यह सिर्फ 6 राज्यों में दिखाई पड़ रहा है. राज्यों के नाम लेख में आगे बताए गए है.

8. प्रजनन काल में नर गोडावण मादाओं को आकर्षित करने के लिए. एक मनोहर ध्वनि का निर्माण करते है. यह ध्वनि 500 मीटर की दूरी पर भी सुनाई देती है. इस ध्वनि का निर्माण करने हेतु. गोडावण की जीभ के ठीक नीचे गले की एक बडी थैली होती है.

9. प्रजनन काल के दौरान नर godawan के सीने पर काले रंग की एक पट्टी बन जाती है. तथा इनके सिर पर जो काले रंग की  किरीट होती है. उसे वह फुला देता है.

10. नर गोडावण प्रजनन के लिए परिपक्व होने में 4 से 5 सालों का समय लगता है. जबकि मादा गोडावण ४ साल के भीतर ही प्रजनन योग्य हो जाती है.

11. इसका स्वभाव कुदरती रूप से शर्मिला होता है. यह जमिनी घास में छिपकर रहता है. इसलिए इसे शर्मिला पक्षी नाम से भी जाना जाता है.

12. यह पक्षी अधिकतम बार काले हिरण के आसपास घूमता फिरता देखा जाता है.

13. Godawan राजस्थान का राज्य पक्षी है और इस बात की घोषणा साल 1981 में हुई थी.

14. इस पक्षी की सुनने एवं देखने की क्षमता बेहद तेज होती है. जिसका उपयोग यह खतरे को पहचान कर जल्दी छुपने एवं पलायन करने में करते है.

15. एक सर्वे अनुसार साल 1969 में गोडावण पक्षी की संख्या 1260 थी. यह घटकर साल 2008 में 300 रह गई थी. तो हम इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं. की गोडावण की संख्या बेहद तेजी से घट रही है.

16. Godawan को वैज्ञानिक भाषा में Ardeotis nigriceps नाम से जाना जाता है.

गोडावण पक्षी कहाँ पाया जाता है | Godawan

इस पक्षी का आबादी भारत और पाकिस्तान के सूखी घास वाले मैदानों में पायी जाती है.

काफी सालों पहले गोडावण पक्षी की आबादी भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा तमिलनाडु इन राज्यों निवास करती थी.

लेकिन ये पक्षी बड़ी तेजी विलुप्ति की ओर बढ़ रहे है. इस समय godawan का अस्तित्व बेहद कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में दिखाई देता है.

किसी समय विपुल संख्या मे दिखने वाले गोडावण को आज के समय में देखणा दुर्लभ माना जाता है. कई बार भारत में जंगल सफारी पर आये हुए. विदेशी यात्री भी इसे देख नहीं पाते.

Godawan Pakshi जैसलमेर के मरू उद्यान, सोरसन व अजमेर के शोकलिया क्षेत्र में विचरण करता पाया जाता है.

राजस्थान में  मरू उद्यान के भीतर सबसे अधिक संख्या में गोडावण पक्षी रहते है. वहां पर इस पक्षी को बेहतर तरीके से संरक्षित किया जाता है. इसी कारण मरू उद्यान को Godawan की शरणस्थली के नाम से भी पहचान मिली हुई है.

गोडावण पक्षी क्या खाता है

गोडावण सर्वाहारी पक्षी है. यह गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि प्रकार के अनाजों के साथ-साथ टिड्डे, कीट, साँप, छिपकली, बिच्छू व अन्य छोटें जीवों का भी शिकार करता है. यहां तक की गोडावण फल भी खाता है.

इसका आहार मौसम के अनुसार बदलता रहता है. जिस मौसम में जो खाना उपलब्ध होता है. उसे गोडावण अपने आहार में शामिल कर लेता  है.

Godawan “बेर” के फल सबसे अधिक पंसद करता है.

गोडावण पक्षी की शारीरिक रचना

Godawan bird के शरीर का रंग भूरा और पंखो पर काले, भूरे व स्लेटी रंग के निशान होते है. इसकी गर्दन लंबी हलके भूरे रंग होती है.

गोडावण के सिर तथा माथे पर काले रंग की किरीट होती है. इसकी टांगे लंबी व मजबूत होती है. जिसके इस्तेमाल से यह काफी स्फूर्ति व तेजी दौड़ता है. Godawan bird की ऊंचाई लगभग एक मीटर तक होती है,

नर गोडावण की लम्बाई 110-120 सेमी तथा मादा की 92-95 सेमी होती है.

नर का वजन 8-15 किग्रा तथा मादा का 2.5 से 6.75 किग्रा तक होता है.

गोडावण पक्षी की आयु सीमा 14 से 15 साल होती है.

गोडावण पक्षी का प्रजनन बच्चे एवं घोंसला

Godawan pakshi का प्रजनन काल मार्च और सितंबर के बीच होता है.

प्रजनन के मौसम में सभी नर गोडावण. मादा को आकर्षित करने के लिए. एक झुंड में इकट्ठा होते है. उस झुंड को “लेक” कहा जाता है.

एक नर गोडावण अपने जीवन में अनेक मादाओं से संबंध बनता है.

प्रजनन के बाद मादा गोडावण “एक ही” अंडा देती है.

उस अंडे को वह अकेली ही सेती है. तथा उसमे से बच्चा बाहर आने के बाद. अकेले ही उस बच्चे की देखभाल करती है. इसमें नर गोडावण की कोई भूमिका नहीं होती.

गोडावण पक्षी के अंडे में से चूजा बाहर आने में लग भग “१ महीना” लगता है.

अंडे से बाहर आने बाद यह बच्चा 30 से 35 दिनों में अच्छी तरह विकसित हो जाता है. Godawan के अधिकतम बच्चे अगले प्रजनन मौसम से पहले ही अपनी माँ से अलग हो जाते है.

यह पक्षी खुद भी घोंसला बनाते है. लेकिन कई बार ये दुसरे गोडावण पक्षी द्वारा छोड़ा गया घोंसला भी इस्तेमाल करते है.

गोडावण विलुप्त होने के क्या कारण हो सकते है

गोडावण की आबादी कम होने का प्रमुख कारण. मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले शिकार को माना जाता है.

भारत के “थार” में नष्ट हो रहे घास के मैदानों की वजह से godawan pakshi. नए आश्रय की तलाश में पाकिस्तान में विस्थापित हो रहे है. लेकिन वहां पर बडे पैमाने पर इनका शिकार किया जाता है.

जंगल और घास के मैदानों के नजदीक से गुजरने वाले. बिजली के तार भी इनकी विलुप्ति का एक बड़ा कारण साबित हुआ है. क्योंकि अधिकतम बार godawan pakshi इन तारों से टकराकर. गंभीर रूप से घायल होकर मर जाते है.

इंसानों के द्वारा खेती में इस्तेमाल होने वाले. किटनाशक गोडावण की विलुप्ति का कारण बन चुके है. क्योंकि कीटनाशक से मरने वाले जीवों का भक्षण, या यह छिड़का हुआ अनाज. खाने की वजह से गोडावण की मौत हो सकती है.

गोडावण के अंडों को गोह (बडी छिपकली), कौवों, गिद्ध, भेड़िया कुत्ता एवं  नेवलों से भी बड़ा खतरा रहता है.

गोडावण पक्षी का संरक्षण | Godawan

Godawan पक्षी विलुप्त होने का विषय काफी गंभीर है. क्योंकि इसका नाम IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए. प्रकाशित की जाने वाली लाल डाटा पुस्तिका में गंभीर रूप से संकटग्रस्त श्रेणी में आचुका है.

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN ) की 2021 की रिपोर्ट अनुसार. दुनियाभर में सिर्फ 50 से 249 गोडावण पक्षी शेष बचे है.

Godawan का नाम भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में भी शामिल है.

इसके शिकार पर कड़ी पाबंदी लगाई गई है. गोडावण का शिकार करने वाले को 10 साल कैद एवं 25 हजार रुपये का जुर्माना भरना पडेगा.

इस पक्षी कि घटती हुई संख्या देखकर. राजस्थान सरकार ने साल 2013 में गोडावण को संरक्षित करने हेतु. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड प्रोजेक्ट शरू किया था. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 12 करोड़ 90 लाख थी.

गोडावण कंजर्वेशन ब्रीडिंग प्रोग्राम के चलते. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इस पक्षी को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए. Godawan pakshi पर सैटेलाइट टैग लगाए थे. यह टैग लगाने का मुख्य उद्देश्य था. Godawan की हर एक हलचल पर कड़ी नजर रखना. क्योंकि यह पक्षी बहुत शर्मीला होने के कारण. अपने क्षेत्र में अंजान जीव या आदमी की भनक लगते ही. जगह बदल देता है.

इस सैटेलाइट टैग की मदद से godawan को प्रजनन के मौसम में भी ट्रैक किया जाएगा. ताकि इन्हें बेहतर सुरक्षा दे सके और godawan की आबादी तेजी से बढ सके.

सेटेलाइट टैग की मदत से इसकी गणना करने में भी आसानी होती है. और अगर मौसम में बदलाव की वजह से गोडावण माइग्रेट करता है. तो सेटेलाइट की मदत से इसके सटीक ठिकाने का भी पता मिल जाता है.

गोडावण पक्षी के नेशनल पार्क | Godawan pakshi

राजस्थान का मरुस्थल राष्ट्रीय उद्यान

महाराष्ट्र का ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सैंक्चुअरी

गुजरात का कच्छ बस्टर्ड अभयारण्य

आंध्र प्रदेश का रोलापाडु वन्यजीव अभयारण्य

गुजरात का गागा वन्यजीव अभयारण्य

गोडावण पक्षी के पर्याय नाम (अन्य नाम)

Godawan bird को  गुरायिन, सोन चिरैया, तुकदार, यरभूट, घोराड, माल मोरड़ी, हुकना पक्षी और सोहन चिड़िया इन नामों से भी पहचाना जाता है. गोडावण पक्षी को ये सभी नाम इसकी खूबी व आदतों की वजह से दिए गए है.

हमारा लेख godawan आपको कैसा लगा. यह हमे कमेंट करके जरुर बताएं. इसी लेख के निचे और भी बहुत से पक्षियों की जानकारी से भरे हुए लेख दिए हुए है. जो आपको बहुत उपयोगी साबित हो सकते है. उसे आप जरुर पढ़ें.

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