नमस्कार, आज इस पोस्ट में हम “ghadiyal” के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करनेवाले है. जिसमे हम घड़ियाल के रोचक तथ्य, विलुप्ति के कारण, घड़ियाल संरक्षण और इसके आवास क्षेत्र कौनसे है. जैसी अन्य बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करनेवाले है. तो चलिए शुरू करते है.
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जीव का नाम | घड़ियाल |
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वर्ग: | सरीसृप |
कुल: | गैविएलिडी |
वंश | गवीएलिस |
वैज्ञानिक नाम | गवियलिस गैंगेटिकस |
संरक्षण स्थिति | गंभीर विलुप्तप्राय |
आबादी संख्या: (भारत) | 900 (तकरीबन) |
घड़ियाल के बारे में रोचक तथ्य | Ghadiyal
क्या आप जानते है? प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में घड़ियाल के 4,000 साल पुराने चित्र प्राप्त हुए है.
अगस्त 1920 में दुनिया का, अब तक का सबसे बड़ा ghadiyal. फैजाबाद की घाघरा नदी में पाया गया था. जिसकी लम्बाई 21.5 फीट थी.
दुनिया का अब तक का सबसे वजनदार घड़ियाल भी भारत में ही मिला था. जिसका वजन 977 किलोग्राम तथा लम्बाई 20.5 फीट थी.
क्या आप जानते है? घड़ियाल अपने शिकार को बिना चबाए पुरा निगल लेते है. लेकिन बड़ी मछली को खाने के लिए. Ghadiyal उसे तोडते है. इस बड़ी मछली के साथ वे छोटे पत्थर भी निगलते है. अनुमान है की यह उन्हें खाना पचाने में मददगार साबित होता होगा.
घड़ियाल अपनी नाक से पानी में बुलबुले भी बना सकते है. यह क्रिया वे मादाओं को आकर्षित करने के लिए करते है.
Ghadiyal की आंखें उनके सिर के ऊपर ठीक मध्य में स्थित होती हैं. जिससे उन्हें पानी में शिकार और शिकारी दोनों से छिपकर रहने में बड़ी सहायता प्राप्त होती है. निचे दी गई तस्वीर में आप देख सकते है.
एक वयस्क नर घड़ियाल का वजन 160 किलोग्राम तक होता है. लेकिन कई बार 600 किलोग्राम वजन के नर भी देखे जाते है.
नर घड़ियाल 11.5 वर्ष की आयु में परिपक्व होने पर. उसके मुंह (थूथन) के सिरे पर गोल घड़े समान कुब्बा निकलता है. जिसको “तूंबी” नाम दिया गया है.
Ghadiyal यह शब्द भारतीय शब्द “घड़ा” से प्राप्त हुआ है. इसका अर्थ है मिट्टी का बर्तन. जिसमे जल रखा जाता है. घड़ियाल को यह नाम उसके मुंह के सिरे पर बनणे वाली. तूंबी के कारण दिया गया है. जो किसी घड़े सामान ही दिखती है. निचे दी गई तस्वीर में आप देख सकते है.
नर ghadiyal के नाक पर उभरने वाली तूंबी. इसे हिसिंग ध्वनि का निर्माण करने में मदद करती है. इसका उपयोग वह अपनी यौन परिपक्वता को दर्शाने एवं मादाओं को आकर्षित करने के लिए करता है. इस ध्वनि को 246 फीट दूरी पर भी सुना जा सकता है.
क्या आप जानते है? घड़ियाल तीन आयामों में देखने में सक्षम हैं. जिससे उन्हें दूरियों को अधिक सटीक रूप से आंकने में मदद मिलती है.
घड़ियाल जलीय जानवर है. परंतु यह मछली की तरह पानी के भीतर घुली हुई. ऑक्सीजन से सांस नहीं ले सकता है. इसलिए समय-समय पर सांस लेने के लिए. इसको पानी के ऊपर आना ही पड़ता है.
मादा ghadiyal की शारीरिक लंबाई 2.6 मीटर तक विकसित होने पर. वह प्रजनन के लिए परिपक्व हो जाती है. और लंबाई में वह तकरीबन 4.5 मीटर तक बढ़ती है.
नर ghadiyal शारीरिक लम्बाई 3 मीटर तक विकसित होने पर. वह प्रजनन के लिए परिपक्व हो जाता है. और लंबाई में यह तकरीबन 6 मीटर तक बढ़ता है.
अंडे में से निकलने वाले घड़ियाल के बच्चे का लिंग. अन्य सरीसृपों जैसे जमीन के भीतर मिलने वाले. तापमान पर निरभर होता है. ऐसी संभावना बताई जाती है.
२० साल की उम्र तक ghadiyal की जैतूनी रंग की पीठ, काले रंग में बदल जाती है.
क्या आप जानते है? नर घड़ियाल की खोपड़ी मादा की तुलना में बड़े आकार में होती है. यह प्रायः 715 मिमी लंबी तथा 287 मिमी चौडी हो सकती है.
पानी में तैरते वक्त अपनी गति को बढ़ाने के लिए. Ghadiyal अपनी दुम का इस्तेमाल करते है.
घड़ियालों की आँखों में स्लिट जैसी पुतलियाँ होती हैं. जो रात के अंधेरे में चौड़ी खुल जाती हैं. जिससे वे बेहतर देख सकते है.
Ghadiyal का लंबा थूथन. विशेष रूप से मछली के शिकार के लिए. अनुकूल होता है इसलिए यह सबसे अधिक मछली ही खाता है.
घड़ियाल के मुँह में बहुत ही नुकीले दांत होते है. इसके ऊपर और निचे के दांत. आपस में कुछ इस प्रकार बंद होते है. की ghadiyal के जबड़े से शिकार का छुटना लगभग नामुमकिन होता है.
घड़ियाल के बच्चे तब तक अपनी माँ के पास रहते है. जब तक वे खुद को शिकारियों से बचाने सक्षम नहीं हो जाते.
अधिकतम घड़ियाल दिन के समय में पानी के बाहर धूप सेकते है. और शाम होते ही मछलियों का शिकार करने पानी में उतरते है.
सूखी जमीन पर ghadiyal अपने चार पैरों पर दौड़ सकते है. लेकिन वे अधिक दुरी तय नहीं कर पाते.
घड़ियाल को गेवियल भी कहा जाता है. यह गवीएलिस नामक मगरमच्छों के वशं का एक सदस्य है.
क्या घड़ियाल इंसानों पर हमला करते है | Ghadiyal
Ghadiyal मगरमच्छ जैसा को हिंसक जीव नहीं है. ये इंसानों एवं जानवरों पर हमला नहीं करते है. परंतु किसी भी प्रकार का दबाव या प्राण घातक संकट महसूस होने पर. ये अपनी पूंछ का वार कर सकते है.
और असल में शारीरिक रूप से ghadiyal. अपना मुंह बड़े आकार में खोल नहीं सकते. जिससे वह मनुष्यों का शिकार कर सके.
क्या घड़ियाल आंसू बहता है
असल में खाना (शिकार) को खाते वक्त बहुत सारी हवा. Ghadiyal के मुंह में चली जाती है. इससे उनकी आंतरिक ग्रंथियों पर दबाव बन जाता है. और उनकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं.
घड़ियाल के आवास क्षेत्र कौनसे है
भारत देश में ghadiyal की आबादी चंबल नदी, घाघरा, गंडक नदी, गिरवा नदी, रामगंगा नदी (उत्तराखंड) और सोन नदी में रहते है.
यहां पर घड़ियाल की सबसे अधिक आबादी चंबल नदी में दिखाई देती है. और दूसरे स्थान पर बिहार की गंडक नदी है. इन दोनों के अलावा उत्तराखंड में राम गंगा नदी, नेपाल में नारायणी व राप्ती नदी में भी ghadiyal की जनसंख्या मौजूद है.
निचे ghadiyal के कुछ अभयारण्यों के नाम भी दिए है. जहां पर इन्हें संरक्षित किया गया है.
घड़ियाल विलुप्ति के कारण क्या है
इसका मुख्य कारण मनुष्यों द्वारा की जाने वाली मछली मार. और इसमें इस्तेमाल होने वाले घातक तरीके. कई बार नदी मी रहनेवाले ghadiyal जाल में फस कर भी मरते है.
नदी किनारों पर अवैध ढंग से निकाली जाने वाली रेत. इसे निकालने से ghadiyal का विश्राम स्थान एवं अंडो को सुरक्षित रखने का स्थान नष्ट होता है.
नदियों से पानी की होने वाली सिंचाई.
नदी किनारे की जमीन का मानवों द्वारा होने वाले उपयोग. उदाहरण घर, खेती एवं पशुओं को चराने के लिए.
इन सभी कारणों की वजह से ghadiyal विलुप्ति की कगार पर खड़ा है.
घड़ियाल संरक्षण क्यों जरूरी है
क्या आप जानते है? सन 1946 में ghadiyal की आबादी तकरीबन 10,000 के करीब थी. साल 1997 आते-आते यह ४३६ रह गई और 2006 में 250 से भी कम बाकी रह गई. ३ पीढ़ियों के अंतर में 95% से 98% की गिरावट दर्ज हुई थी.
आज यह दुर्लभ जीव विलुप्ति की कगार पर खड़ा है. इसका संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. क्योंकि वर्तमान में पुरे भारत में 900 से भी कम ghadiyal बचे है. और नेपाल की घड़ियाल संख्या भी एकत्रित करें तो लगभग 1500 घड़ियाल बच्चे हैं.
इसलिए भारत देश में 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत ghadiyal संरक्षित है. और नेपाल में भी 1973 के राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित है.
भारत में घड़ियाल के संरक्षण क्षेत्र
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य. (उत्तर भारत)
ब्यास संरक्षण रिज़र्व (पंजाब)
ओरंग राष्ट्रीय उद्या (असम)
सोन घड़ियाल अभ्यारण्य (मध्य प्रदेश)
घड़ियाल का प्रजनन,अंडे और बच्चे | Ghadiyal
Ghadiyal का प्रजनन काल फरवरी के बीच में शुरू होता है.
इस मौसम में नर, मादा को आमंत्रित करने के लिए. आवाज व बुलबुलों का निर्माण करते है.
Ghadiyal की सूंघने और सुनने की शक्तियां. काफी तेज होती है. इसी के इस्तेमाल से नर और मादा एक दूसरे को ढूंढ लेते हैं.
प्रजनन के बाद वसंत ऋतु में मादा घड़ियाल अंडे देने हेतु. घोंसले के लिए नदी किनारे गड्डा खोदती है.
इनका घोंसला लगभग 50 से 60 सेमी व्यास का एवं 20 से 55 सेमी गहरा होता है.
घोंसला खोदने के बाद मादा उसमें. तकरीबन 20 से 95 अंडे देती है.
Ghadiyal के एक अंडे का वजन औसतन 160 ग्राम होता है. यह तकरीबन 85 से 90 मिमी लंबा और 65 से 70 मिमी चौड़ा होता है.
इन अंडो में से बच्चे 71 से 93 दिनों के बाद. लगभग मानसून के आरंभ से पहले ही बाहर आते है.
घड़ियाल के नवजात बच्चों की लम्बाई 34 से 39.2 सेमी और भार तकरीबन 82 से 130 ग्राम तक होता है. ये बच्चे 2 साल में 80 से 116 सेमी और 3 साल में 130-158 सेमी तक बढ़ते हैं.
Ghadiyal के बच्चों का विकास 1 से 2 साल की उम्र तक तेजी होता है. परंतु उसके बाद यह धीमा हो जाता है.
इनके बच्चे शुरुवात में जब छोटे होते है. उस समय वे उथले पानी अर्थात कम गहरे पानी में ही खेलते एवं समय बिताते है. उसके बाद जब वे धीरे-धीरे बड़े होने लगते है. तब गहरे पानी में उतरना सिख लेते है.
घड़ियाल क्या खाता है
घड़ियाल का मुख्य आहार मछली होता है. इसे खाना वह बहुत पसंद करता है. इसी कारण ghadiyal को मछली खाने वाला मगरमच्छ यह नाम दिया गया है.
इसके अलावा ghadiyal के आहार में कीड़े, मेंढक, केकड़े कछुए एवं अन्य छोटे-छोटे जीव शामिल है.
घड़ियाल और मगरमच्छ में क्या अंतर है ?
दोनों में अंतर साफ-साफ दिखाई देता है. असल में बहुत से लोग “घड़ियाल” इस नाम से ही परिचित नहीं है. इसलिए दोनों को एक ही समझ लेते है. मगरमच्छ का मुंह आगे की तरह चौड़ा होता है.
लेकिन ghadiyal का मुंह आगे की तरफ किसी चोंच जैसा पतला दिखता.
वजन में मगरमच्छ भारी और घड़ियाल हलके दिखाते है. और एक विशेषता इन दोनों में गौर की जा सकती है. मगरमच्छ अपने मुंह को बहुत बड़े आकार में खोल सकता है.
यह लगभग जंगल के हर एक बड़े जानवर को अपने जबड़े में पकड़ सकता है. लेकिन ghadiyal अपने मुंह को बड़े आकार में खोलने में असमर्थ होता है. इसलिए यह मछली एवं छोटे जीवों की शिकार पर निर्भर रहता है.
निचे दी गई तस्वीर में देखकर समझ सकते है.
नोट: मगरमच्छ, घड़ियाल और एलीगेटर यह तीनों अलग अगल जीव है. घड़ियाल का अंग्रेजी नाम Gharial है.
Ghadiyal का मुँह चोंच जैसा पतला होता है.
एलीगेटर का मुंह U आकार में होता है. नीचे तस्वीर दी गई है.
मगरमच्छ के मुंह V आकार में होता है. नीचे तस्वीर दी गई है.
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