नमस्कार मित्रों चंद्रमा की आराधना से इंसान के मन को शांति मिलने के साथ वह बलवान बनता है. इसके अलावा उसके जीवन में सुख व समृद्धि बनी रहती है. आज हम इस लेख में chandrama ke 108 naam की बजाय 111 नाम देखने वाले है. इन नामों का जाप करके चंद्रमा को प्रसन्न किया जाता है. लेख के अंत में चंद्रमा की २ संक्षिप्त पौराणिक कथाएं एवं चंद्र देव के बारे में महत्वपूर्ण बातें भी बताई गई है.
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चंद्रमा के 111 दिव्य नाम
1. ॐ श्रीमते नमः।
2. ॐ शशधराय नमः।
3. ॐ चन्द्राय नमः।
4. ॐ ताराधीशाय नमः
5. ॐ निशाकराय नमः।
6. ॐ सुधानिधये नमः।
7. ॐ सदाराध्याय नमः।
8. ॐ सत्पतये नमः।
9. ॐ साधुपूजिताय नमः।
10. ॐ जितेन्द्रियाय नमः।
11. ॐ जयोद्योगाय नमः।
12. ॐ ज्योतिश्चक्रप्रवर्तकाय नमः।
13. ॐ विकर्तनानुजाय नमः।
14. ॐ वीराय नमः।
15. ॐ विश्वेशाय नमः।
16. ॐ विदुषां पतये नमः।
17. ॐ दोषाकराय नमः।
18. ॐ दुष्टदूराय नमः।
19. ॐ पुष्टिमते नमः।
20. ॐ शिष्टपालकाय नमः।
21. ॐ अष्टमूर्तिप्रियाय नमः।
22. ॐ अनन्ताय नमः।
23. ॐ कष्टदारुकुठारकाय नमः।
24. ॐ स्वप्रकाशाय नमः।
25. ॐ प्रकाशात्मने नमः।
26. ॐ द्युचराय नमः।
27. ॐ देवभोजनाय नमः।
28. ॐ कलाधराय नमः।
29. ॐ कालहेतवे नमः।
30. ॐ कामकृते नमः।
31. ॐ कामदायकाय नमः।
32. ॐ मृत्युसंहारकाय नमः।
33. ॐ अमर्त्याय नमः।
34. ॐ नित्यानुष्ठानदाय नमः।
35. ॐ क्षपाकराय नमः।
36. ॐ क्षीणपापाय नमः।
37. ॐ क्षयवृद्धिसमन्विताय नमः।
38. ॐ जैवातृकाय नमः।
39. ॐ शुचये नमः।
40. ॐ शुभ्राय नमः।
41. ॐ जयिने नमः।
42. ॐ जयफलप्रदाय नमः।
43. ॐ सुधामयाय नमः।
44. ॐ सुरस्वामिने नमः।
45. ॐ भक्तानामिष्टदायकाय नमः।
46. ॐ भुक्तिदाय नमः।
47. ॐ मुक्तिदाय नमः।
48. ॐ भद्राय नमः।
49. ॐ भक्तदारिद्र्यभंजनाय नमः।
50. ॐ सामगानप्रियाय नमः।
51. ॐ सर्वरक्षकाय नमः।
52. ॐ सागरोद्भवाय नमः।
53. ॐ भयान्तकृते नमः।
54. ॐ भक्तिगम्याय नमः।
Chandrama Ke 108 Naam | Chandrama Ke Naam
55. ॐ भवबन्धविमोचकाय नमः।
56. ॐ जगत्प्रकाशकिरणाय नमः।
57. ॐ जगदानन्दकारणाय नमः।
58. ॐ निस्सपत्नाय नमः।
59. ॐ निराहाराय नमः।
60. ॐ निर्विकाराय नमः।
61. ॐ निरामयाय नमः।
62. ॐ भूच्छायाच्छादिताय नमः।
63. ॐ भव्याय नमः।
64. ॐ भुवनप्रतिपालकाय नमः।
65. ॐ सकलार्तिहराय नमः।
66. ॐ सौम्यजनकाय नमः।
67. ॐ साधुवन्दिताय नमः।
68. ॐ सर्वागमज्ञाय नमः।
69. ॐ सर्वज्ञाय नमः।
70. ॐ सनकादिमुनिस्तुताय नमः।
71. ॐ सितच्छत्रध्वजोपेताय नमः।
72. ॐ सितांगाय नमः।
73. ॐ सितभूषणाय नमः।
74. ॐ श्वेतमाल्याम्बरधराय नमः।
75. ॐ श्वेतगन्धानुलेपनाय नमः।
76. ॐ दशाश्वरथसंरूढाय नमः।
77. ॐ दण्डपाणये नमः।
78. ॐ धनुर्धराय नमः।
79. ॐ कुन्दपुष्पोज्ज्वलाकाराय नमः।
80. ॐ नयनाब्जसमुद्भवाय नमः।
81. ॐ आत्रेयगोत्रजाय नमः।
82. ॐ अत्यन्तविनयाय नमः।
83. ॐ प्रियदायकाय नमः।
84. ॐ करुणारससम्पूर्णाय नमः।
85. ॐ कर्कटप्रभवे नमः।
86. ॐ अव्ययाय नमः।
87. ॐ चतुरश्रासनारूढाय नमः।
88. ॐ चतुराय नमः।
89. ॐ दिव्यवाहनाय नमः।
90. ॐ विवस्वन्मण्डलाज्ञेयवासाय नमः।
91. ॐ वसुसमृद्धिदाय नमः।
92. ॐ महेश्वरप्रियाय नमः।
93. ॐ दान्ताय नमः।
94. ॐ मेरुगोत्रप्रदक्षिणाय नमः।
95. ॐ ग्रहमण्डलमध्यस्थाय नमः।
96. ॐ ग्रसितार्काय नमः।
97. ॐ ग्रहाधिपाय नमः।
98. ॐ द्विजराजाय नमः।
99. ॐ द्युतिलकाय नमः।
100. ॐ द्विभुजाय नमः।
101. ॐ द्विजपूजिताय नमः।
102. ॐ औदुम्बरनगावासाय नमः।
103. ॐ उदाराय नमः।
104. ॐ रोहिणीपतये नमः।
105. ॐ नित्योदयाय नमः।
106. ॐ मुनिस्तुत्याय नमः।
107. ॐ नित्यानन्दफलप्रदाय नमः।
108. ॐ सकलाह्लादनकराय नमः।
109. ॐ पलाशसमिधप्रियाय नमः।
110. ॐ चन्द्रमसे नमः।
111. ॐ सुधाकराय नम:।
चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण बातें
चंद्रमा जल तत्व के अधिष्ठाता देवता होने के साथ उनकों रात एवं वनस्पतियों का भी देवता माने जाते है. हिंदू धर्म एवं वैदिक ज्योतिष शास्त्र में वर्णित ९ ग्रहों में चंद्रमा का एक मुख्य एवं उच्च स्थान है. चंद्रमा महर्षि अत्रि व देवी अनुसूया के सुपुत्र है.
वह ब्रह्मदेव के अंश है. विष्णु अवतरा दत्तात्रेय और महर्षि दुर्वासा उनके भाई है. चंद्रमा की शादी दक्ष प्रजापति की २७ पुत्रियों से हुई थी. जिन्हें २७ नक्षत्र माना जाता है. चंद्रमा की २७ पत्नियों के नाम कुछ इस प्रकार है.
रोहिणी, रेवती , कृतिका , मृगशिरा , आद्रा, पुनर्वसु , सुन्निता , पुष्य अश्व्लेशा , मेघा , स्वाति ,चित्रा , फाल्गुनी , हस्ता , राधा , विशाखा ,अनुराधा , ज्येष्ठा , मुला , अषाढ़ , अभिजीत ,श्रावण , सर्विष्ठ , सताभिषक , प्रोष्ठपदस ,अश्वयुज और भरणी.
चंद्रमा के अस्त्रों में रस्सी और अमृत पात्र शामिल है. इनकी सवारी कृष्णसार (हिरण) का रथ है. चंद्रमा को सोम , रोहिणीनाथ , अत्रिपुत्र ,अनुसूयानंदन , शशि , महेश्वरप्रिय इत्यादि नामों से पहचाना जाता है. chandrama ke 108 naam
चंद्रमा को श्राप मिलने की २ कथाएं
चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने दिया श्राप
चंद्रमा के ससुर का नाम प्रजापति दक्ष है. उन्होंने ने चंद्रमा को श्राप दिया था. चंद्रमा अपनी २७ पत्नियों में सबसे अधिक प्रेम रोहिणी से करते थे. तथा सबसे अधिक समय भी उसी के साथ बिताते थे. चंद्रमा के इस व्यवहार के चलते. उनकी अन्य 26 पत्नियों के मन को काफी ठेस पहुंची थी.
इसी बात पर वे सभी मिलकर. अपने पिताजी प्रजापति दक्ष के पास गई और उनसे अपने पति की शिकायत कर दी. अपनी पुत्रियों की पीड़ा को देखकर. दक्ष प्रजापति अति क्रोधित हो गये. और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया.
उनके श्राप के प्रभाव से चंद्रमा क्षय रोग से पीड़ित हो गए. इसी कारण उनका तेज क्षीण हो गया. इस का दुष्प्रभाव धरती की वनस्पतियों पर भी होने लगा. भगवान नारायण के कहने पर.
श्राप से छुटकारा पाने के लिए. चंद्रमा प्रभास तीर्थ में गए. वहां पर उन्होंने १०८ बार महामृत्युंजय मंत्र जाप किया. भगवान भोलेनाथ की कडी आराधना के बाद शिव कृपा से उन्हें अपने ससुर के श्राप मुक्ति मिली.
चंद्रमा को गणेश भगवान ने दिया श्राप
एक बार महादेव और महादेवी ने सभी देवी देवताओं को भोजन पर आमंत्रित किया था. भोजन के पश्चात चंद्रमा अपनी जगह अर्थात आकाश में जाकर स्थिर हो गए. उसी समय धरती पर गणेश भगवान भी खाने के बाद.
मूषकराज पर बैठकर सैर सपाटे पर निकले थे. चंद्रमा आकाश में बैठकर उन्हें भी देख रहे थे. उसी वक्त चलते चलते मूषकराज थोडा लड़खड़ाए. यह देखकर उन्होंने मूषकराज पर बैठे गणपति के मोटे होने का मजाक उड़ाया.
इस पर गणेश भगवान बेहद नाराज हो गए और उन्होंने तुरंत ही चंद्रमा को श्राप दे दिया की वह अपना खुबसूरत तेज खो देंगे.
श्राप देणे के बाद गणेश जी को अपने शब्दों पर पछतावा होने लगा. उसके बाद चंद्रमा एक जलाशय में जाकर छुप गए थे. गणेश जी ने उन्हें ढूंढ निकाला और अपने दिए हुए श्राप से मुक्त कर दिया. परंतु उन्होंने यह भी कहा की भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी के अवसर पर. जो भी चंद्रमा के दर्शन करेगा. उस व्यक्ति को कलंक लगेगा. इसलिए गणेश महाराज की जन्मतिथि को कलंक चतुर्थी नाम से जाना जाता है. इसी कारणवश गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर चंद्रमा के दर्शन नहीं किये जाते.
कहानी आगे लिख रहे है.
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