Bhagavad Gita Slokas In Hindi

भगवत गीता के दिव्य श्लोक अर्थ सहित Bhagavad Gita Slokas In Hindi

Bhagavad Gita Slokas In Hindi इस पोस्ट में हमने भगवत गीता के श्लोक अर्थ सहित दिए हुए है. इन्हें पढने से हमारी जिंदगी में चल रही बहुत सी समस्याओं का समाधान हमे मिल जाता है और सबसे महत्वपूर्ण बात गीता के श्लोक हमारे मन के भीतर एक अदभुत शांति का निर्माण करते है. दोस्तों यही है ब्रह्मांड का सच्चा ज्ञान. इसे अवश्य पढ़े जय श्री कृष्ण.

Bhagavad Gita Slokas In Hindi  भगवद गीता के दिव्य श्लोक

भगवत गीता श्लोक 13 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहान्तरप्राप्तिधीरस्तत्र न मुह्यति॥

अर्थ: एक शरीरधारी अंतहीन आत्मा जिस तरह इस शरीर में बाल्यावस्था से युवावस्था तक और युवावस्था से वृद्धावस्था में जाता है. उसी तरह मृत्यु के बाद जीवात्मा दुसरे शरीर में प्रवेश करता है. इस बात को समझने (मानाने) वाला धैर्यशील मनुष्य कभी विचलित नहीं होता.

भगवत गीता श्लोक 14 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥

अर्थ: हे कुन्ती पुत्र अर्जुन कुछ समय के लिए निर्माण होने वाले और समय के साथ ही नष्ट होने वाले जो सुख और दुःख है. वह शरद ऋतु (सर्दी) और ग्रीष्म ऋतु (गर्मी) के जैसे आनेजाने वाले होते है. हे भरतवंशज! वो सुख दुःख इन्द्रियों को महसूस होने की वजह से निर्माण होते है. इसलिए  मनुष्य ने इनसे परेशान ना होते हुए, इन्हें सहना सीखना चाहिए.

भगवत गीता श्लोक 15 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।
समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥

अर्थ: हे मानवश्रेष्ठ अर्जुन! जो मनुष्य सुख और दुख से विचलित नहीं होता है. और दोनों परिस्थितियों में स्थिर रहता है. तो वह मोक्ष प्राप्ति के लिय निश्चित ही योग्य है.

भगवत गीता श्लोक  22 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृहाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्य न्यानि संयाति नवानि देही॥

अर्थ: जिस प्रकार मनुष्य अपने पुराने वस्त्रों का त्याग करके नए वस्त्र धारण करता है. उसी प्रकार आत्मा भी पुराने और अनुपयोगी देह का त्याग करके नए भौतिक देह को धारण करता है.

भगवत गीता श्लोक 23 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत॥

अर्थ: इस आत्मा के किसी भी शस्त्र द्वारा टुकडे नहीं किये जा सकते. अग्नि द्वारा इसे जला भी नहीं सकते, ना जल इसे भिगो सकता है और न हवा इसे सुखा सकती है.

भगवत गीता श्लोक  27 अध्याय  02

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

जातस्य हि ध्रुवो मृत्यु्धुवं जन्म मृतस्य च।
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥

अर्थ: जिसका जन्म हुआ है उसकी  मृत्यु अटल है. और जिसका मृत्यु हुआ है उसका जन्म भी तय है. इसलिए तुम्हारे अनिवार्य कर्तव्यपालन के समय तुम्हारा शोक करना उचित नहीं है.

भगवत गीता श्लोक  37 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

अर्थ: हे अर्जुन !यदि तुम रणभूमि पर युद्ध करते समय वीरगति को प्राप्त हो गए, तो तुम्हे स्वर्ग की प्राप्ति होगी. और यदि युद्ध में तुम विजयी हुए. तो पृथ्वी लोक पर अपने साम्राज्य में सुख भोगोगे. इसलिए हे कुंती पुत्र निश्चय के साथ उठो और युद्ध करो.

Bhagavad Gita Slokas In Hindi  भगवद गीता के दिव्य श्लोक

भगवत गीता श्लोक 38 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभी जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाण्प्यसि॥

अर्थ: सुख अथवा दुःख, लाभ अथवा हानी, जय अथवा पराजय इन सबके बारे में ना सोचते हुए. तुम इसे केवल एक युद्ध समझकर  युद्ध करो

भगवत गीता श्लोक 47 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

अर्थ: तुम्हे सिर्फ नित्य कर्म करने का अधिकार है. पर उससे मिलने वाले कर्मफल पर तुम्हरा कोई अधिकार नहीं है. तुम्हे मिलने वाले कर्मफलों की वजह सिर्फ तुम हो ऐसा कभी मत समझो. इसी तरह तुम कर्म कर्तव्य ना  करने के लिए आसक्त न हो.

भगवत गीता श्लोक 62 अध्याय  2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥

अर्थ: इन्द्रिय विषय के सन्दर्भ में सोचते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है. इससे कामना यानी की इच्छा पैदा होती है. और कामनाओं में विघ्न ( इछा पूरी न होना )आने से क्रोध की उत्पत्ति होती है.

भगवत गीता श्लोक 63 अध्याय 2

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

अर्थ: क्रोध से मनुष्य की मति (बुद्धि) मारी जाती है, यानी मूढ़ हो जाती है. जिससे स्मृति भ्रमित हो होती है. स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है. और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य अपना ही नाश कर बैठता है.

भगवत गीता श्लोक 04 अध्याय 3

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्य पुरुषोऽश्नुते।
न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति॥

अर्थ: जैसे केवल कर्म न करने से मनुष्य कर्मबंधन से मुक्त नहीं हो सकता. वैसे ही केवल संन्यास लेने से मनुष्य को सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती.

भगवत गीता श्लोक 08 अध्याय 3

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्धचेदकर्मणः॥

अर्थ: हे अर्जुन तुम तुम्हारे नियत कर्म (कर्तव्य) को करो. क्योंकि कर्म करना यह उसे ना करने से बेहतर होता है. कर्म के बगैर इंसान अपने शरीर का भी निर्वाह नहीं कर सकता.

भगवत गीता श्लोक 21 अध्याय 3

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

अर्थ: श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण अर्थात जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं. श्रेष्ठ पुरुष जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है. समस्त मानव-समाज उसी का अनुसरण (कृति) करने लग जाते हैं.

Bhagavad Gita Slokas In Hindi भगवद गीता के दिव्य श्लोक

भगवत गीता श्लोक 22 अध्याय 3

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किञ्चन।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि॥

अर्थ: हे अर्जुन! इन तीनो लोकों में मेरे लिए कोई भी नियत कर्म तय नहीं. मुझे किसी भी चीज की कमी नहीं और मुझे कुछ प्राप्त करने की भी जरुरत नहीं. फिर भी मै नियत कर्मों का आचारण करता हूँ.

भगवत गीता श्लोक 7 अध्याय 4

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

अर्थ: हे अर्जुन, जब-जब और जहाँ-जहाँ धर्म का लोप होता है और अधर्म बढ़ता है. तब-तब मैं धर्म के अस्तित्व की रक्षा के लिए. स्वयं की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं.

भगवत गीता श्लोक 8 अध्याय 4

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥

अर्थ: अपने भक्तों का उद्धार करने के लिए. और दुष्कर्मियों का विनाश करने के लिए. साथही धर्म की पुनर्स्थापना के लिए में खुद युगों युगों में प्रकट होता हूँ. (अवतार लेता हूँ)

भगवत गीता श्लोक 39 अध्याय 4

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

अर्थ: जो श्रद्धावान भक्त दिव्य ग्यान की प्राप्ती करने हेतु समर्पित है. और जो अपने इन्द्रियों पर सयंम (काबू ) रखता है. वह श्रद्धावान दिव्य ज्ञान की प्राप्ति के लिए पात्र है. और ज्ञान प्राप्ति होने के बाद उसे जल्द ही परम अध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है.

भगवत गीता श्लोक 5 अध्याय 6

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्रात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन:॥

अर्थ: मनुष्य ने अपने मन में अच्छे विचार लाकर खुद की प्रगति (उद्धार) करनी चाहिए. और खयाल रखना चाहिए की मन में आने वाले बुरे विचारों से खुदका विनाश न हो. क्योंकि मानव एक बुद्धिजीवी है और उसका मन ही उसका मित्र भी है और शत्रु भी है.

भगवत गीता श्लोक 26 अध्याय 9

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:॥

अर्थ: अगर कोई प्रेम और भक्ति भाव से मुझे पेड़ के पत्ते, फूल, फल, अथवा जल अर्पण करता है. तो में उसको स्वीकार करता हूँ.

भगवत गीता श्लोक 5 अध्याय 12

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य:।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो य: स च मे प्रिय:॥

अर्थ: जिसकी वजह से कोई चिंतित नहीं होता, किसी को कष्ट नहीं होते. और वह खुद भी किसी और की वजह से चिंतित (विचलित) नहीं होता. जो सुख, दुःख, भय और चिंता में भी समभाव रखता है. वह मुझे अत्यंत प्रिय है.

Bhagavad Gita Slokas In Hindi  भगवद गीता के दिव्य श्लोक

भगवत गीता श्लोक 66 अध्याय 18

geeta slok

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥

अर्थ: तुम सभी प्रकार के धर्मों का त्याग कर दो और केवल मेरी शरण में आ जाओ. मै तुम्हे सभी पापों से मुक्त दूंगा तुम बिलकुल भी भयभीत न होना.

भगवत गीता श्लोक 6 अध्याय 8

geeta slok

यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः॥

अर्थ: हे कुंतीपुत्र अर्जुन अपने मनुष्य देह का त्याग करते समय अर्थात मृत्यु के समय मनुष्य जिस-जिस भाव का स्मरण करता है. वह उस भाव की निसंदेह ही प्राप्ति करता है.

भगवत गीता श्लोक 7 अध्याय 9

geeta shlok

सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्।
कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम्।।

अर्थ: हे कुंतीपुत्र अर्जुन! कल्प के अंत में सभी भौतिक अभिव्यक्ति मेरी प्रकृति में प्रवेश करते है और एक नए कल्प में आरंभ के वक्त मै स्वयं ही अपनी शक्ति द्वारा सभी का निर्माण करता हूँ.

भगवत गीता श्लोक 8 अध्याय 9

geeta shlok

प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः।
भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशं प्रकृतेर्वंशात्॥

अर्थ: पूरी सृष्टि मेरे अधीन है मेरी इच्छा से पुनः पुनः उसका निर्माण होता है और मेरी ही इच्छा से अंत में उसका विनाश होता है.

भगवत गीता श्लोक 17 अध्याय 9

bhagwat geeta shlok in sanskrit

पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः।
वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक्साम यजुरेव च॥

अर्थ: मै ही इस जगत का पिता, माता, आधार और पितामह हूँ. मै ज्ञेय, शुधिकर्ता और ॐ कार हूँ. तथा, ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ.

भगवत गीता श्लोक 32 अध्याय 9

bhagwat geeta shlok in hindi

मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः।
स्त्रियो यो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम्॥

अर्थ: है पार्थ! जो मेरा आश्रय लेते है. फिर वह नीच कुल से, स्त्री, वैश्य और शुद्र क्यों ना हो वह परम गति को प्राप्त कर सकते है.

भगवत गीता श्लोक 8 अध्याय 10

bhagavad gita slokas in hindi

अहं सर्वस्य प्रभवो मत्तः सर्व प्रवर्तते।
इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः॥

अर्थ: मै ही सभी प्राकृतिक और आध्यात्मिक दुनियाओं का निर्माणकर्ता हूँ, सभी कुछ मुझसे ही निर्माण होता है. जो मनुष्य बुद्धिमान होते है वह सच्चे भक्तिभाव से मेरी भक्ति में एकाग्र होते है, पुरे अंतर्मन से मुझ में लींन होते है.

Bhagavad Gita Slokas In Hindi भगवद गीता के दिव्य श्लोक

भगवत गीता श्लोक 20 अध्याय 10

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च॥

अर्थ: है अर्जुन सभी जीवों के अंतर्मन में स्तिथ रहनेवाला परमात्मा मै हूँ. मै ही हूँ सभी जीवसृष्टी का आदि, मध्य और अंत.

भगवत गीता श्लोक 42 अध्याय 3

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परं मनः।
मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धे परतस्तु सः॥

अर्थ: हमारे नित्य कार्य करनेवाले इंद्रिय भारी प्रकृति (शरीर) से श्रेष्ठ है, मन इन्द्रियों से श्रेष्ठ है, बुद्धि मन से भी अधिक श्रेष्ठ है. और वह आत्मा बुद्धि से भी सर्वश्रेष्ठ है.

भगवत गीता श्लोक 11 अध्याय 4

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् ।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः॥

अर्थ: श्री कृष्ण कहते है जो जिस भावना से मुझे शरण आता है. उसके अनुरूप ही मै उसे फल देता हूँ.  हे पार्थ (अर्जुन)
सभी लोग मेरे मार्ग का सभी प्रकार से अनुसरण करते है.

भगवत गीता श्लोक 14 अध्याय 4

Bhagavad Gita Slokas In Hindi

न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा ।
इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते ॥

अर्थ: कृष्ण कहते है मुझे कोई भी कर्म बांध नहीं सकता साथ ही मुझे कीस कर्मफल की अपेक्षा भी नहीं है. मेरे विषय में जो यह सत्य जनता है. वह भी कभी किसी कर्मफल के बंधन से बाध्य नहीं होता.

to be continued…..

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