Hindi Horror Kahani

दिल दहलाने वाली ३ डरावनी कहानिया | Hindi Horror Kahani

Hindi Horror Kahani : दोस्तों इस पोस्ट मैंने ३ बेहद डरावनी कहानिया दी है. जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगी. पहली कहानी भूतिया गाँव में बसी बेहरम प्रेत आत्माओं की है. दूसरी कहानी में तस्वीर में बसी हुई प्रेत आत्मा है.और तीसरी कहानी अकाल मृतु से बनी एक चुड़ैल की है. दोस्तों दिल दहलाने वाली ये तीनो कहानिया .आखिर तक जरू पढ़िए.

भूतों का गाँव Hindi Horror Kahani

मै हु विक्रम। में अहमदनगर रहता हु। पेशे से मैं एक फ्रीलान्स राइटर हूँ. मुंबई फ़िल्मसिटी में भी मेरी काफी अच्छी पहचान है। तो कहानी और स्क्रिप्ट राइटिंग का काम आसानी से मिल जाता है. एक बार मुझे एक हॉरर(डरावनी ) मूवी के कहानी और स्क्रिप्ट राइटिंग प्रोजेक्ट मिला था.  फ़िल्म बिग बजट में बनने वाली थी. इसलिय मेरे डायरेक्टर दोस्त रोहित ने मुझे हिदायत दी थी. की ये फ़िल्म हम दोनों की ज़िन्दगी का टर्निंग पॉइंट हो सकता है.

इसलिए कहानी इस तरह लिखना कि असली लगे. उसमे feelings होनी चाहिए. थिएटर में लोगों को डर का एहसास होना चाहिए. तो मुझे एक खयाल आया क्योंना ऐसी जगह पर जाके कहानी लिखू. जहाँ के लोगों ने भूत प्रेत या पैरानॉर्मल घटना होती देखि हो. इसबात पर मेरे पत्रकार दोस्त पाटिल ने मुझे एक न्यूज़ आर्टिकल से भरा हुआ पेनड्राइव दिया और अजमगढ़ जाने की सलाह दी.

उसने कहा अजमगढ़ गाँव मे 7 बजेने के बाद कोई मनुष्य घर के बाहर नहीं निकलता. म्हणजे सात च्या आत घरात. वहा के लोगों ने दावा किया हे. की उनके गाँव में 7 बजे के बाद घर से बाहर निकलना मतलब भूतो से याराना रखना. रात को उस गाँव में भूत प्रेत तांडव करते है. हल्ला मचाते है. और इस तांडव में अगर कोई इंसान उनके सामने आगया. तो हो सकता है.

 भूतो के गाँव में लेखक का प्रवेश  Hindi Horror Kahani

उसे भी उनके साथ भूत बनके टोली घूमना पडेगा. फिर मुझे लगा कि यही वह जगह है. जिसे मेरा मन ढूंड रहा है. तो क्या मैं अपने लैपटॉप और जरुरी सामान के साथ दुसरे दिन ही अजमगढ़ पंहुचा. उस गाँव के नजदीक एक स्टील फैक्ट्री में सामान लेजाने वाली एक ट्रक ने. मुझे गाँव के बाहर कच्ची सडक पर उतारा. उसकेबाद मैंने जब गाँव में प्रवेश किया. तो वहा के लोगों ने मुझे देखकर. इस तरह से अपने घरोंके के दरवाजे बंद करलिये. जैसी उन्होंने कोई जिंदा लाश देख ली हो.

कोई बात करने को ही तैयार नहीं था. श्याम होते-होते गाँव में सन्नाटा कहर ढाने लगाथा. और रात होने से पहले मुझे रहने की जगह का बंदोबस्त करना जरुरी था.  इसलिय मैंने बहुत से घरो के दरवाजे खटखटाए  मगर किसीने भी दरवाजा नहीं खोला. मैं थोड़ी देर केलिये गाँव के बिच वाले चौराहे पर जाकर बैठ गया. वहाँपर  एक बहुत बड़ा पीपल का पेड़ था. उसी पेड़ पर से अचानक एक चमगादड़ आकर मेरे सीर पर चिपकगया.

जिस वजह से मै बेतहाशा चिल्लाने लगा. मै मेरी जिंदगी में पहली बार इतना डर गया था. फिर मैंने कैसे तो उन चमगादड़ो से अपनी जान छुडाई. और दूर जाकर खड़ा होगया.  पूरी रात बाहर ठण्ड और भूतो के साथ ना गुजारनी पड़े. इसलिय मैं गाँव की गलियों में रहने का ठिकाना ढूंडने लगा. जब मैं गाँव की पाठशाला के नजदीक से गुजर रहा था. तब मुझे पिछेसे किसीने बड़ी सक्त आवाज में बुलाया.

वह आवाज सुनकर में जगह पर रुक गया. क्योंकि अब तक भूत प्रते आत्मा इन सभी बातो ने दिमाग में घर करना शुरू करदिया था. और ऊपर से इस अजीब गाँव में अकेला. मैंने धीरेसे पीछे मुडके देखा. तो वहापर एक महिला खड़ी थी. उन्होंने पूछा कि तुम कौन हो. और इस वक्त गाँव में क्या कर रहे हो. क्या तुम्हे पता नहीं? की यहाँ रात होते ही गाँव में भूत प्रेत घूमते है.

मैंने उन्हें गाँव में आनेका मेरा प्रयोजन बताया. उन्होंने खुदके परिचय में बताया. कि उनका नाम दुर्गा देवी है. और वह गाँव की पाठशाला कि हेडमास्टर है. मैंने दुर्गा देवी से कहा कि आप अगर मुझे कोई रहने की जगह बताएगी. तो बड़ी कृपा होगी. वह बोली मै भी पाहिले इसी गाँव में रहती थी. पर अभी मैं गाँव के पीछे वाले हिसे में रहती हु. अगर तुम कहो हो तो. मैं तुम्हे मेरे घर की चाबी दे सकती हु. जो चौराहे के नजदीक हे. मैंने तुरंत ही हाँ में जवाब दिया. और  उन्होंने मुझे घर की चाबी दे दी.

लेखक का भूतहा घर में प्रवेश

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उन्होंने कहा की  किराया वो बादमे आकार जमा कर लेंगी. घर की चाबी मिलने के बाद मै फटाफट से चौराहे के पास पंहुचा.  वहा सिर्फ़ एक मकान पर ताला था. एसलिय मुझे मकन ढूंडने में दिकत नहीं हुई. प्रिन्सिपल मोहोदय का घर काफी बड़ा था. और वहा पर लकड़ी का बड़ासा मजबूत बेड भी था. मेरा स्टोरी राइटिंग के काम के लिए  एक बहुतही बढ़िया जगह मिलगई थी.

इस बात के लिए मैंने मेरे इष्ट देव हनुमानजी को धन्यवाद कहा. और अपने साथ लाया हुआ रात का भोजन बड़े चाव से खतम किया. फिर लैपटॉप खोलकर कहानी लिखने बैठ गया. सबसे पहले मैंने मेरे दोस्त के दिये हुए. आर्टिकल पढने से शुरुवात की. मैंने पहला आर्टिकल ओपन किया. उसमे मुझे कुछ अजीब सी बाते पता चली.

की इस गाँव में ये भूतहा  घटनाए २० सालो से हो रही है. और यहाँ के लोगों का कहना है. कि गाँव में दिन में इंसान और रात में प्रेत घूमते है. और वह भी इंसान की तरह बातचीत और व्यवहार करते है. आगे एक कहानी एसी भी लिखी थी. की गाँव में एक घर है जिसपर २०  सालो से ताला लगा है. और वही प्रेतों का मुख्य अड्डा है.

लेखक को सच्चे डर का एहसास हुआ  Hindi Horror Kahani

मै कहानी बस आगे पढ़ ही रहा था. कि घर दरवाजे पर जोर से कोई चीज आकार लगी. आवाज इस तरह आयी की मानो किसी ने बड़ी कुलहाड़ी दरवाजे पर मारी हो. मेरा तो खून ही जम गया. मै बड़ी हिम्मत कर के दरवाजे के पास गया. और धीरेसे दरवाजा खोला फिर जो नजारा मेरी आँखों ने देखा उसे देखकर मेरे पैर कांपने लगे. क्योंकि दरवाजे में सच मे एक बड़ी कुल्हाड़ी घुसी हुई थी.

और उस कुलहाड़ी पर खून भी लगा हुआ था. अब जाऊ तो जाऊ कहा. मदत लू तो किससे लू. कोई घर तो अपना दरवाजा खोलने वाला नहीं था. समज़दरी इसी में थी की मैं घर के अन्दर ही रहू. मैंने तुरंत ही दरवाजा बंद करलिया. और खिड़की के पास गया. और एक छोटे से सुराग में से बाहर देखने लगा. कि जिसने ये हरकत की है. क्या वह अभी भी बाहर है. लेकिन उसके बजाय सुराग में से मुझे एक दिल दहलाने वाले घटना दिख रही थी. (हिंदी हॉरर कहानी)

की २ आदमी मिलकर एक लड़की को बेरहमी से पिट रहे थे. और वह  लड़की दर्द से चिला रही थी. मदत की गुहार लगा रही थी. मगर कोई भी गाँव वाला दरवाजा नहीं खोल रहा था. तभी उसवक्त नजाने मुझेमें कहासे अचानक इतनी हिम्मत आ गई. की मैं दरवाजा खोलकर बड़ी स्फूर्ति से उस लड़की को बचने दौड़ा और जब मैं उसके नजदीक पंहुचा. तो वह तीनो लोग हवा में गायब हो गए.

अब सच में मेरी फट के हात में आगई थी. मैं उलटे पाँव घर की ओर भागा और जब में घर  के थोडा नजदीक पहुँचा. तो देखा की मेरे घर की खिड़की खुली है. तभी मुझे खिडकी मेंसे ही दिखा की वही लड़की पंखे से लटकर फांसी ले रही है. और थोड़ी देर पहले  उसे मारने वाले वह दोनों दरिन्दे अब उसी घर की छत पर पैर हिलाते हुए बठे थे. दोनों  मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे. और उसिवक्त  दरवाजे में से और २ प्रेत बाहर निकले. जिनका चेहरा भयानक था. वह बाहर आंगन में आकार खड़ेहोगये.

इस कहानी का इंट्रेस्टिंग भाग

इतना सबकुछ देखने के बाद में समज गया की यही वही आर्टिकल वाला बंद घर है. जो भूतो का अड्डा है. तभी उन दोनों में से एक प्रेत ने दरवाजे में घुसी हुई.  वह कुल्हाड़ी निकली और मेरी और झपटा. और उसका वह डरावना  रूप देखकर. मेरी  आवाज गले मे ही अटक गई मै. जान बचाने के लिये मै गाँव के बाहर की तरफ भागने लगा. और भागते-भागते अचानकसे मै किसी आदमी से टकराके में बेहोश हो गया. Hindi Horror Kahani

बादमे जब होश आया तब मैं एक पुराने हनुमान मंदिर में था. और एक पहलवान जैसे पुजारी मेरे पास बैठे थे. मेरे होश में आने के बाद पुजारी जीने मुझे नीम के पतों का काढ़ा पिने के को दिया. मैंने उनको मेरे आने का मकसद बताया. वह सुनकर वो हस पड़े और बोले बच्चे तुम नसीब वाले हो. जो आज यहाँ जिन्दा बैठे हो. वरना तुम भी कलसे उनकी टोली में नजर आते. तब मैंने उनसे पूछा कि ये सब क्या माजरा है.

कहानी का अंत 

वो सब कौन हे. जो गाँव में रातको भयानक तांडव करते है.  पुजारीजी ने कहा को वह दोनों आदमी जो लड़की को पीट रहे थे. वह उसके ससुर और पति थे. और ये सब तमाशा गाँव में हर रोज़ होता है. पर कोई दरवाजा नहीं खोलता. वह बेचारी लड़की ससुराल वालो का जुल्म ज्यादा दिन नहीं सहन कर पाई. और तब उसने घर के पंखे से लटके फांसी लेली थी. उसके बाद  उस लड़की की माँ ने बदले की आग में उन दोनों के कुल्हाड़ी से टूकड़े-टूकड़े कर दिए थे.

आखिर में पुजारी जी पूछा तुम्हे घरकी की चाबी पाठशाला कि मैडम दुर्गा देवी ने दी थी ना. मैं ने हाँ कहा तब वह बोले. की वही उस लड़की की माँ है.  बादमे उसने भी गाँव के बाहर वाले घर में जहर खाकर आत्माहत्या कर ली थी. यह सब हकीकत सुनने तक सुबह हो चुकी थी. फिर किसी तरह मै उस घर में घुसकर मेरा लैपटॉप ले आया. और एक सच्चे भूतहा अनुभव और बढ़िया कहानी के साथ पुजारीजी का धन्यवाद करके घर वापस लौट गया.

सच्ची आपबीती  भुतहा घटना

2. मुर्दों की हवेली (नई कहानी) Hindi Horror Kahani

कोर्ट में हवेली का केस जितने के बाद रवि श्याम को उसी हवेली में जा पहुँचा. जहाँ 2 ही दिन पहले ही उसने अपने छोटे भाई और उसकी प्रेमिका का किसी वहशी दरिंदे की तरह हत्या कर दी थी.

और उसी हवेली के एक कोने में उसने दोनों प्रेमियों को दफनादिया था. अब कोई हिस्सेदार न होने के कारण सारी जायदाद रवि ने अकेले ही निगल ली थी.

वह दुसरे दिन ही हवेली को बेचकर विदेश भागने वाला था. इसलिए वह उसका ज़रूरी सामान और कुछ बेश कीमती चीजे लेने हवेली आया था. वहां पर क़दम रखने के बाद  सबसे पहले रवि बिजली चालू करने तहखाने गया.

वहाँ घुप अँधेरा था. इसलिए मोबाइल टॉर्च चालू करके उसने बिजली का मेन स्विच ढूँढ लिया. और बिजली का कनेक्शन चालू करने लगा. तभी अचानक उसे अपने पीछे किसी की गहरी सांस लेने की आवाजें आने लगी. और वहाँ पर किसी और के भी मौजूदगी का एहसास होने लगा.

तभी बिजली ला कनेक्शन चालू हो गया. और उसने झट से-से पीछे मुड़कर देखा. तो वहा कोई नहीं था. पर तहखाने में उसे अचानक बहुत ज़्यादा ठंड महसूस होने लगी थी.

कहते है अगर किस बंद या सुनसान जगह पर अचानक बहुत ठंड महसूस होने लगे. तो समझ लेना की कोइ प्रेत आत्मा आपके आसपास मंडरा रही है.

रवि ने उस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. उसे तो बस सामान लेकर रात से पहले. हवेली से निकल ना था. तहखाने से बाहर आने के बाद. उसने अपने कमरे में जाकर. ज़रूरी सामान पैक कर लिया.

उसके बाद उसे अपनी पेंटिंग्स की याद आयी. उसने अपने हाथ से कतल किये  हुए. सभी लोगों की तस्वीरे बनाई थी. और उन्हें हवेली के एक गुप्त कमरे में सजाई थी.

वह उस गुप्त कमरे में दाखिल हुआ. और कौनसी तस्वीर अभी साथ में ले जाऊ ये सोचने लगा. वह तस्वीरे देख ही रहा था की. तभी अचानक दहशत से उसकी रगों में बहता लहू मानो जम-सा गया. रवि अब दरवाजे की ओर भागने लगा.

उसकी पीछे मुड़के दिखने भी की हिम्मत नहीं हो रही थी. क्योंकि उसकी बनाई हुई. सारी तस्वीरों की आंखे जो अभी तक सामने की तरफ़ देख रही थी. वह आंखे अब उसकी तरफ़ घूम गई थी.

और सबके चहरे पर थी एक शैतानी मुस्कान. रवि चीख रहाथा दरवाज़ा पिट रहा था. पर कोई फायदा नही. क्योंकि दरवाज़ा बाहर से बंद हो चूका था. साथही बिजली भी चली गई.

अब रवि दरवाजे के पास कोने में बैठकर. रोते हुए अपनी मौत का इंतज़ार करने लगा. उसे अपने किये हुए सारे पाप. एक-एक करके याद आ रहे थे.

तभी उसे एहसास हुआ. की कमरे में वह अकेला नहीं है. क्योंकि उसे अपनी सांसो के साथ-साथ और कई लोगों के सांसो की भी आवाज़ सुनाई दे रही थी.

और कुछ ही देर में उस मनहूस मुर्दों की हवेली ने एक दर्दनाक चीख सुनी. उसके बाद  सुबह जब ब्रोकर एक पार्टी को हवेली दिखाने लाया.

तो उसे रवि की लाश हॉल में पड़ी मिली. उसकी आंखे खुली थी और चेहरा इतना डरा हुआ था. कि मानो उसे किसी ने दर्दनाक तरीके से मौत दी हो.

तो दोस्तों ये Hindi Horror Kahani आपको कैसी लगी कोमेंट करके जरुर बताये और मेरे ब्लॉग और भी डरावनी कहनिया जरुर पढ़े

3.चुड़ैल का इंतकाम Hindi Horror Kahani

यह कहानी है एक लड़की की जो अकाल मृतु के बाद एक खौफनाक चुड़ैल बनी. और जिसने अपने हत्यारों पर दर्दनाक कहर ढाया.जिससे उनकी रूह कांप गई.

कहानी :- त्रिशा एक सुंदर लड़की थी. वह तेजपुर गाँव में अपने माँ और बाबा के साथ रहती थी. त्रिशा माँ बाप की इकलौती औलाद थी.

इसीलिए उसके माता पिता उससे वहुत प्यार करते थे. हर खुबसूरत लडकी की तरह त्रिशा का भी एक अपना-सपना था. शादी करके परिवार बनाना और एक खुशहाल जिंदगी जीना.

त्रिशा के माता पिता ने उसकी शाद्दी पड़ोस के गाँव के मिथिलेश नामक एक अनाथ लड़के से तय कर करदी थी. त्रिशा ने भी अपने माता-पिता का मान रखते हुए.

उस शादी के लिए हाँ कर दी. कुछ ही दिनों में मिथिलेश और त्रिशा एक दुसरे के करीब आने लगे. लेकिन तेजपुर गाँव के सरपंच और उसके भाई बलवंत को यह बात पसंद नहीं आयी.

क्योंकि सरपंच चाहता था. की त्रिशा की शादी उसके भाई के साथ हो. किसी बाहर गाँववाले के साथ शादी के वह खिलाफ था. सरपंच ने बहुत बार त्रिशा के पिता से भी बात की थी.

पर वह इसबात से बिलकुल भी राजी नहीं थे. क्योंकि उन्हें अपनी बेटी की ख़ुशी ज्यादा प्यारी थी. त्रिशा और मिथिलेश की शादी में बस 1 महिना बाकि था. फिर उस कपटी सरपंच ने एक घिनोनी चाल चली. एकरात त्रिशा और मिथिलेश त्रिशा के मामा घर से एक जलसा करके लौट रहे थे.

सरपंच उनपर बहुत दिनों से नजर रखे हुए था. वह बस मौके की तलाश में था. और वह उसे उस रात मिल गया. घर आने के लिए त्रिशा और मिथिलेश ने जंगल वाला छोटा रास्ता लिया था.

वहां सरपंच, बलवंत और उसका मुनीम बिरजू तीनो. जंगल की घनी झाड़ियों में किसी भेडिये की तरह घात लगाकर बैठे थे. जब वह प्रेमी जोड़ा हाथो में हाथ लेकर.

एक दुसरे में गुम होकर पूरी दुनिया को भुलाकर. जंगल के बीचो बीच पहुंचा. तब सरपचं और उसके भाई ने पीछे से आकार . बड़े पत्थरों से दोनों के सिर पर इतनी नफरत वार किया.

की वह दोनों बिना चीखे ही बेहोश हो गए. बिरजू ने मिथिलेश को ठिकाने लगा दिया. और तब तक सरपचं और बलवंत ने त्रिशा के साथ वह करदिया. जिस अपराध से पुरे समाज को नफरत है.

अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के बाद. उन्होंने त्रिशा का गला घोट कर. उसे कुंए में फैंक दिया. अगले दिन त्रिशा के माँ बाबा और गाँव वाले मिथिलेश और त्रिशा को ढूंडने लगे.

तो उन्हें दोनों की लाशे मिली. पूरे गाँव में शोक माहौल था. त्रिशा के माँ बाप भी बेटी के जाने के बाद. कुछ दिनों में गांव छोड़कर चले गए. पर त्रिशा? कहते हे ना.

एक लड़की की पवित्र रूह का चुड़ैल बनने का कारण उसकी अधूरी इच्छा होती है. इसलिए त्रिशा को अभितक मुक्ति नहीं मिली थी.

नियति से कहो या बुरी किस्मत से एक श्याम सरपंच, बलवंत और बिरजू तीनो शहर के किसी शराब खाने से लौट रहे थे. और उन्होंने भी जंगल का वही छोटा रास्ता चुना.

उस वक़्त बलवंत नशे में नहीं था. इसलिए वह जीप चला रहा था. और वह ठीक उसी जगह जंगल के बीचो-बीच धक्के खाकर खराब हुई. जहाँ उन्हने त्रिशा और मिथिलेश को मारा था.

दिन ढलने में कुछ ही समय बाकि था. बलवंत ने जीप से उतरकर गाड़ी का बोनेट खोलके चेक किया. पता चला की जीप में पानी पूरी तरह खतम हो चूका था. और उनके पास तो पिने के लिए भी पानी नहीं था.

जब यह बात बलवंत ने उसके भाई सरपंच को बताई. तब उसने नशे की हालत में बलवंत को गलिया बकि. और उसे पास के कुंए से पानी लाने का आदेश दे दिया.

जीप के पीछे की सिट पर बिरजू भी नशे की हालत में सोया था. अब अकेले ही उसे जंगल के कुंए पर जाना था.बलवंत मरता क्या न करता. उसने गाड़ी में से पानी की बड़ीसी खाली बोतले ली.

और अकेले ही कुंए की तरफ चल दिया. जब वह कुंए के नजदीक पंहुचा. तब उसे वह सब याद आने लगा. कैसे उन्होंने त्रिशा की हत्या की थी. और उसी कुंए में उसकी लाश फैंकी थी.

बलवंत ने खुदको होश में लाया और कुंए के आस पास पानी निकालने की रस्सी ढूंढने लगा. पर उसे वह नहीं मिली. अब बलवंत पर कुंए में उतर ने की नौबत आ गई थी.

इसलिय वह मन ही मन डर भी रहा था. क्यंकि सूरज पूरी तरह ढलने में बस कुछ ही पल बाकी थे. इसलिए बलवंत भागते भागते जीप के पास गया.

और जीप में से लालटेन और एक छोटी टॉर्च ले ली. बलवंत को बिरजू कुछ कुछ होश में लग रहा था. इसलिए उसने उसेभी अपने साथ में ले लिया. फिर दोनों मिलकर कुएं के पास आ गए.

तब तक सूरज पूरी तरह ढल चूका था. और अँधेरे ने मौत की चादर से जंगल को ढक लिया था. बलवंत ने बिरजू को लालटेन जलाकर दी और कुंए के पास खड़ा किया.

कुंए को देखकर बिरजू भी डर गया था. उसे भी अपने किये हुए. पाप याद आने लगे थे. बलवंत टॉर्च लेकर कुंए की सीढियों से धीरे-धीरे निचे उतर ने लगा. जब वह कुंए के ठीक बीच में पहुँचा.

तब बलवंत को ऐसा महसूस होने लगा. की उसके साथ साथ ही पीछे से कोई निचे उतर रहा है. बलवंत ने टॉर्च की रौशनी में पलट कर देखा. पर वहां कोई नहीं था.

उसने एक बार बिरजू को आवाज दी और उसका जवाब आने के बाद बलवंत फिरसे निचे उतरने लगा. और जब वह आखरी और सबसे बड़ी सीढ़ी पर जाकर खड़ा हुआ.

तभी अचानक उसे बिरजू की दर्दनाक चीख सुनाई दी. चीख की कर्कश आवाज से कुएं के अन्दर खड़ा बलवंत सिहर उठा. और कुंए की दिवार से चिपक के खड़ा हो गया.

उसे समझ में नहीं आ रहा था. की ऊपर जाऊं या नहीं? और तभी अचानक तेजी एक गोल आकार की चीज पानी में गिरी. टॉर्च की धीमी रौशनी में बलवंत गिरती चीज को सहिसे देख नहीं पाया.

आवाज से ही वह बेहद डर गया. और कुछ समय के लिय उसने आंखे मूंद ली. और जब उसकी आंख खुली तब सामने का भयानक नजारा देख. मौत की दहशत से उसकी रूह कांप गई.

क्योंकि पानी में गिरी गोल आकार की चीज बिरजू का कटा सिर था. और अब वह पानी पर तैर रहा था. कटे सिर की आंखे बलवंत पर ही टिकी थी. इसलिए बलवंत बिना पानी लिये ही कुएं से बाहर निकला.

कुंए के बाहर बिरजू के शरीर के टुकड़े थे. वह देखने के बाद. बलवंत ने वहां से सरपट दौड़ लगाई. तभी उसके रास्ते में अचानक त्रिशा सामने आयी. वही लाला खून से सनी सफ़ेद साड़ी. खुले बाल. सिर पर गहरा घाव जिससे अभी भी खून बह रहा था.

बलवंत त्रिशा को चुड़ैल के रूप में देख कांपते हुए. जमीन पर गिर पड़ा. मुझे माफ़ करदो मुझे करदो कहकर गीड गिडा ने लगा. मौका देखकर बलवंत चुड़ैल-चुड़ैल चिल्लाते हुए. जीप तक पंहुचा.

सरपंच भी जंगल में चीखने चिलने की आवाजे सुनकर उठ्गाया था. और जब बलवंत ने उसे त्रिशा के बारे में बताया. तो पल भर में उसका पूरा नशा उतर गया.

और दोनों पैदल ही गाँव की ओर भागने लगे. टॉर्च अब सरपंच के हाथ में थी. और वह आगे और बलवंत पीछे पीछे भाग रहे थे. अचानक सरपंच को लगा.

की वह सिर्फ अकेला ही भाग रहा है. इसलिए उसने पीछे मुड़कर देखा. तो बलवंत अब पीछे नहीं था. उसिवक्त पूरा जंगल बलवंत की मौत की चीख से गूंज उठा.

और सरपचं को एक आवाज सुनाई दी. “सरपचं तुझे इतनी आसन मौत नहीं मिलेगी” तेरे पाप के तराजू में पाप की गिनती बहुत ज्यादा है. तुझे एक बुरी मौत मिलेगी.

सरपंच अपनी जान मुट्ठी में लेकर. गाँव की ओर भाग रहा था. तभी त्रिशा उसके के सामने आकार खड़ी हुई. उसका वह भयानक रूप देखकर डर से सरपचं की घिग्घी बंध गई.

मौत को सामने देख सरपंच और तेजी से भगाने लगा. त्रिशा भी उसके पीछे पीछे आ रही थी. तभी सरपचं अचानक रुक गया. क्योंकि उसके सामने खून से सना भरी मिथिलेश की प्रेत आत्मा खड़ी थी.

सत्य घटित दहशत से भरी कहानियाँ

पीछे चुड़ैल और आगे मिथिलेश.अब सरपचं पर धिरे धिरे डर हावी होने लगा था . अति डर से उसकी मति भ्रमित हो चुकी थी. वह हस भी रहा था और बीच बीच में रो भी रहा था. माफ़ी भी मांग रहा था गाली भी दे रहा था.

अगली सबुह गाँव के लोगो को सरपंच कूड़े दान पर बैठा मिला. जो वहा से कूड़ा करकट उठाकर खा रहा था. डर से उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया था.

उसके अपने घरवाले भी. उसे घर में न रख सके. और कुछ ही दिनों में. कूड़े दान पर ही गाँव के भटकने वाले. पागल कुत्तो से खाना छीनते वक्त हुई झडप में.

कुत्तो के एक समूह ने उसे जिन्दा फाड़ दिया. और यह था सरपंच के बुरे कर्मो का अंत. त्रिशा के कहने अनुसार वह एक बहुत बुरी मौत मरा.

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