ये कहानी है Bali Aur Ravan Ka Yudh की जब त्रिलोक विजेता रावण ने वानरराज बालि को युद्ध के लिए ललकारा था. परंतु अपने त्रिलोक विजय के घमंड में चूर रावन.वानरराज बलि ने इसतरह धुल चटाई की अंत में रावन को उसे मुक्त करने के लिय क्षमा याचना करनी पड़ी थी.
Bali Aur Ravan Ka Yudh रावण को बगल में दबाकर बालि ने क्यों पूरी की थी चार महासागरों की परिक्रमा ?
बालि एक वानर वशं योद्धा था. उसके पिता का नाम ऋषराज था. ऋषराज एक महा शक्तिशाली वानर थे. इसलिए बालि का बलवान होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी.
रामायण जैसे महाकाव्य में किष्किन्धाकाण्ड के ६७ अध्यायों में से अध्याय 5 से अध्याय 26 में बालि का विस्तार में वर्णन मौजूद है. बाली जन्म से ही बलवान था.
किष्किन्धाकाण्ड इंद्रदेव और बालि के संबंधों का भी उल्लेख मिलता है. इंद्रदेव को बालि का धर्म पिता बताया गया है. इंद्रदेव ने अपने धर्मपुत्र को उपहार स्वरूप एक दिव्य चमकीला सोनेका हार दिया था.
उसकी विशेषता यह थी की वह हार पहनकर जो भी व्यक्ति किसी से भी युद्ध करने. युद्धभमि उतरता. उस व्यक्ति की नजरो के सामने जो भी योद्धा खड़ा होता था.
उस योद्धा का आधा बाल क्षीण होकर हार पहने वाले को प्राप्त हो जाता था. इसलिए बालि उस हार को हमेशा पहने रहता.
इस प्रकार बालि एक अजय योद्धा था. बालि महापराक्रमी होने. पर भी उसे अपने राज्य के विस्तार की अभिलाषा नहीं थी. इसलिए वह किष्किन्धा नगरी में ही खुश था.
पर एक दिन बालि के प्रति नारदमुनी द्वारा चुटकी कटे जाने के बाद. राक्षस राज रावन ने बालि को युद्ध के लिए ललकार ने की भीषण गलती करदी.
और उस कर्म का फल रावन को तुरंत ही मिलगया. उस दिन बालि किष्किन्धा नगरी के अपने महल विशाल पूजाघर में संध्यावन्दनम् में लीन था.
उस वक्त किष्किन्धा के द्वार पर रावन अपने पुष्पक विमान में आ पहुंचा. और आते ही प्रेवश द्वार पर बालि के नाम की ललकार लगाई.
वह ललकार सुनकर बालि के सेनापति और मंत्रिगन वहां आ पहुंचे.और रावन से वार्तालाप करना चाहा. पर बल और त्रिलोक विजय के घमंड में चूर. रावण ने बालि के सेनामती, द्वारपाल मंत्रिगन सभी को परास्त करदिया.
उसवक्त बालि संध्यावन्दनम् में पूरीतरह व्यस्त था. रावन को बालि के मंत्रियोने आगाह किया था. वानरराज बालि के संध्यावन्दनम् मे विघ्न डालने की गलती न करे.
पर घमंडी रावन के किसी की एक न सुनी और बालि के पूजा घर में बिना अनुमति के प्रवेश करदिया.
Bali Aur Ravan Ka Yudh रावण को बगल में दबाकर बालि ने क्यों पूरी की थी चार महासागरों की परिक्रमा ?
और उसे युद्ध के लिए ललकारा. उसके समक्ष ईश्वर आराधन में लीन बालि की पूजा में विघ्न पड़नेसे. बालि के क्रोध को सीमा न रही.
उसने रावन को मल्ल युद्ध में धुल चटाई. और अंत में रावन को अपनी बगल (काख ) दबाकर. अपने नित्य कर्म नुसार धरती में चार महासागरों की परिक्रमा पूरी की.
और अंत में सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पण किया. इस पूरी परिक्रमा के दौरान बालि ने रावन को बगल में हो दबाकर रखा था.
रावन ने खुद को छुड़ाने के लिय बहुत प्रयास किय था. पर बलशाली बालि ने उसे बगल से हिलने तक नहीं दिया.
सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पण करने के बाद जब रावन ने उसे छोड़ने के लिय बड़ी क्षमा याचनाए की तब जाकर बालि का क्रोध शांत हुआ. और बाली ने रावन को बगल से मुक्त करदिया.
तो इसतरह बालि ने विश्व विजेता रावण को बुरी तरह हरा दिया.
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