bhoot pret aatma : इस दुनिया में बदले की आग सबसे भयानक होती है. इसी बदले की आग में कई बार मनुष्यों की आत्माएं सालों तक इसी संसार में भटकती रहती है. जब तक की कोई उन्हें मुक्ति ना दे दे.
ये कहानी एसी ही एक भटकती आत्मा की है. जो बदले की आग में 10 सालों से जल रही है. बदले की आग में इसने ना जाने कितने इंसानों को अपना शिकार बनाया है। अब यह प्रेत आत्मा किसकी है? और यह अपना बदला किस तरह से पूरा करेगी. जानने के लिए कहानी को पूरा जरुर पढे
तडपती रूह का बदला bhoot pret aatma
मै हूँ संदीप बहुत सालों पहले हमारी कंपनी ने मुझे क्लाइंट के साथ डील करने के लिया मनाली भेजा था. वो सर्दियों का मौसम था, पूरा दिन वर्क लोड की वजह से सफर रात को करना पड़ा और दुसरे दिन सुबह मुझे कंपनी के ओर से मनाली के क्लाइंट को प्रेजेंटेशन भी देना था. मनाली जाते वक्त रात को बिच रास्ते में मेरी कार बंद पडगई. पर किस्मत से एक गेराज वहाँ से कुछ ही दूर था.
बड़ी मुश्किल से में गाड़ी को धक्का लगते हुए वंहा तक ले गया. मैकनिक ने बताया कि गाड़ी सुबह तक ठीक हो सकती है. फिर दिमाग पर जादा जोर न देते हुए में नजदीक के गाँव की और होटल ढूंडने निकला. गाँव की ओर चलते-चलते पीछेसे एक मासूम और कोमल आवाज आयी. अरे ओ साहब जी आप रेस्ट हाउस की तलाश कर रहे हो क्या? में पीछे मुडा और देखा तो वह एक 13 या 14 साल की मासूम बच्ची थी.
- एक सच्ची pret aatma ka badla
- जब रातक को एक भटकती आत्मा ने विवेक पर किय हमला?
मैंने कहा हाँ क्या तुम जानती हो. उसने कहा हाँ आइये आपको वहा ले चलती हूँ. मैं और मेरे पिताजी ही उस विश्राम गृह (Rest House) की देखरेख करते है. फिर वह लड़की और में बात करते हुए रेस्ट हाउस की और निकले बच्ची ने अपना नाम प्रीति बताया. मैंने उससे पूछा तुम्हे डर नहीं लगता. इतनी रात को तुम बाहर घूम रही हो.
वो बोली अब मुझे अजनबी इंसानों से डरने की कोई जरूरत नहीं. पिछले 10 सालों से यही काम कर रही हूँ. मुझे उसकी बाते कुछ अजीब लग रही थी. पर फिर मैंने सोचा कि एक 13 साल की बच्ची की बातों पर ध्यान देने का कोई मतलब नहीं. बच्ची है कुछ भी बोल सकती है.
आधा घंटा पैदल चलने के बाद हम रेस्ट हाउस पहुँचे वह गाँव से काफी दूर था. वहाँ पहुँचने के बाद प्रीती ने मुझे बताया कि उसके पिताजी काम से बाहर गए है और श्याम तक आने वाले थे. पर मौसम अचानक खराब होने से शहर में ही फस गए है. जो सुबह तक लौट आयंगे. bhoot pret aatma
मैंने कहा तुम्हारे पिताजी को डर नहीं लगता कि एक छोटी बच्ची को अकेले छोडके जाते है. वो बोली यंही तो गलती थी पिताजी की. उसने फिरसे अजीब और डरावनी आवाज में बात करना शुरु किया था. फिर मैं कमरे में चला गया. थोड़ी देर बाद “प्रीती” खाना लेकर आयी. मेरे खाना खाने के बाद वह रूम में मेरे पास आकार बैठी.
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उसवक्त मै मेरे खयालो में खोया हुआ था. तभी प्रीति अचानक से मेरे पैर दबाने लगी. मैने उसके हाथ पकडे और पूछा ये तुम क्या कर रही हो. वह बोली पैर दबा रही हूँ और क्या. आप थके हुए है ना. वह मासूम निगांहो से मेरी तरफ देख रही थी. मैंने कहा देख छोटी, नाही तो मैं थका हुआ हूँ. और नाही तो मैं तुमसे कभी पैर दबाव सकता हूँ.
वो बोली क्या में इतनी बुरी लड़की हूँ. मैंने कहा नहीं रे पगलू तुम मेरी छोटी बहन जैसी है. और हमारे यहाँ छोटी बहनों से पैर नहीं दबवाते. मेरे ऐसा कहने के बाद वह थोड़ी देर मुझे देखती ही रह गई. उसके चेहरे पर मुस्कान थी. वह बोली क्या सचमे आप मुझे अपनी बहन मानते हो. मैंने कहा हाँ बिलकुल और तू मुझे ये साहब जी-साहब जी नहीं, भैया बोलना ठीक है. bhoot pret aatma
फिर मैंने उसे कहा की मुझे खाने के बाद कॉफ़ी पिने की आदत है, नहीं तो मेरा सिर दुखता है. मेरी कॉफ़ी वाली बात सुनकर उसके चहरे से हंसी गायब-सी हो गई. वह बोली उसको भी खाने के बाद कॉफ़ी पिने की आदत थी. मैने पूछा किसको? उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वह कॉफी लाने चली गई.
थोड़ी ही देर में वह कॉफ़ी लेकर हाजीर हुई. मैंने कॉफ़ी पिते हुए. प्रीति को फिर से पूछा. तुम कुछ बोल रही थी. उसको भी कॉफ़ी की आदत थी ऐसा ही कुछ. वह बोली जाने दो भैया आप दुखी हो जाओगे. मैने कहा अब बोल भी दे छोटी अगर हम अपना दुख किसी के साथ बाँटते है. तो हमे अच्छा महसूस होता है…… प्रेतवाधित कहानियां
वह बोली तो फिर सुनो. ये कहनी है एक मासूम लड़की की और भयानक दरिंदे की. ऐसा ही एक रेस्ट हाउस था. उसकी देखभल एक गरीब बाप बेटी करते थे. एक दिन लडकी के पिताजी श्याम को तूफान की वजह से शहर में फस गए थे. और रात को वापस नहीं आ सके. पर उसी रात रेस्ट हाउस में एक बड़ा सरकारी अफसर मेहमान बनकर आया हुआ था.
रात में खाने के बाद उस लडकी ने bhoot pret aatma उसे कॉफ़ी पिलाई थी. वह मेहमान उसके पिताजी की उम्र का था. उसने लडकी को कमरे में ही रुक ने के लिये कहा. उस लडकी को भी अकेले डर लग रहा था. इसीलिए वह भी वही रुक गई. फिर उस अफसर ने उसे पैर दबाने के लिय कहा. फिर उस हैवान ने उस मासूम-सी बच्ची के साथ वह किया जिससे उस लडकी की जिंदगी बर्बाद हो गई.
उस हादसे के बाद उस मासूम ने तालाब में कूदकर आत्महत्या कर ली. ये सब देखकर उसका बाप अधमार हो गया क्योंकि 2 महीने पहले ही उसने अपनी बीवी को खोया था और अब 13 साल की बेटी. ये हादसा सुनाते वक्त प्रीती काफी भावूक हो गई थी. वो बोली भैया अगर ऐसा मेरे साथ हुआ तो तुम क्या करोगे. क्या मेरा बदला लोगे?
मेने कहा तू यकींन नहीं करेगी प्रीती मेरे मन में भी ऐसा ही बुरा खयाल आ रहा है. मे कल सुबह तुम्हारे पिताजी से बात करूंगा और तुम दोनों को मुंबई ले जाऊंगा. मेरी काफ़ी अच्छी पहचान है वहापर. तुम्हारे पिताजी मुंबई में नोकरी करेंगे और तुम स्कूल में जाना. प्रीती बोली अभी ऐसा नहि हो सकता भैया आपको आने में देर हो गई है. यह कहते वक्त उसकी आवाज़ गहरी हो गई थी.
मैंने पूछा क्यों नहीं हो सकता? वह बोली बस है कोई कारण. मैंने कहा भगवान न करे तेरे साथ अगर ऐसा कुछ हुआ तो मुझे वादा कर की तू कभी गलत कदम नहीं उठाएगी. तू मेरे आने का इंतज़ार करेगी. तेरा भाई अभी जिन्दा है. में भी भावुक हो गया था. प्रीती की आखों भर आयी वह बोली तुमने मुझे शांत कर दिया भैया मुझे शांत कर दिया. मैंने उसके सर पर हाथ रखा. तो वह बच्ची मेरे सिने से लगकर रोने लगी.
मैंने कहा अरे पगली तू रो मत में सुबह तेरे पिताजी से बात करूँगा. फिर सब ठीक हो जायेगा. वो बोली सब ठीक हो गया है भैया सब ठीक हो गया है. मुझे उसकी बात समज नहीं आयी. मैंने कहा सब ठीक हो गया तो रो क्यों रही है. वह बोली ये ख़ुशी के आसू है. मैंने घडी पर नज़र डाली तो रात के 2 बज रहे थे. मेने उसे कहा चल अब रात बहुत हो गई है सोजा. bhoot pret aatma
वो रूम के बाहर जाने लगी मैंने उसे रोका और कहा कि तू यही सोजा बेड पे. नहीं तो बाहर अकेली डरती रहेगी रात भर. इससे में नाराज हो जाऊंगा. मेरे ऐसा कहते ही प्रीती मुझे मना नहीं कर पाई. में उसे बेड पर सुला कर ख़ुद आराम खुर्ची पर सो गया. कुछ देर में प्रीती ने बताए हुए हादसे के बारे में सोचता रहा. फिर याद आया उस हादसे वाली लड़की का नाम उसने बताया ही नहीं.
बाद में सोचा कि कल सुबह पूछ लूँगा. सुबह-सुबह मेरी नींद पंछीयों के चहकने के आवाज से खुली. और मेने जब बेड पर देखा तब प्रीती वहा नहीं थी. दरवाज़ा खुला था मुझे लगा शायद वह बाहर अपने पिताजे के आने का इंतजार कर रही होगी. में ताजी हवा लेने और प्रकृति को निहारने के लिय बालकनी में गया और देखा निचे कुछ गाँव के लोग इमारत के निचे खड़े है. और सभी मेरी तरफ़ आश्चर्य और डर की भावना से देख रहे है.
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मैंने उन सभी को हाथ जोडकर राम-राम किया. उनमे से सबसे बुज़ुर्ग आदमी ने मुझे इशारा कर के निचे बुलाया. जब में निचे पहुंचा तब उस बुज़ुर्ग ने पूछा, तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रहे हो ? मैंने कहा में संदीप हूँ. मेरी कार खराब होने की वजह से एक रात के लिय. इस रेस्ट हाउस में रुका हुआ हूँ. बुज़ुर्ग ने कहा क्या एक छोटी लडकी ने तुम्हें यहां पर लाई थी.
रूह का राज खुला
उस समय जब मेंने “हाँ” में जवाब दिया था.वह सुनते ही, सभी चेहरों के रंग उड गए. मैंने पूछा क्या हुआ सब डरे हुए क्यों लग रहे है. बुज़ुर्ग बोले तुम तूम्हारा सामान लेकर हमारे साथ चलो. बाकि बाते हम तुम्हे शिवमंदिर में समझा देंगे. उन सबके चहरे देखकर कुछ-कुछ बाते मेरे समज में आ रही था. और में जब सामान लेने रेस्ट हाउस में गया तब वहांका नजारा देखकर दंग रह गया. रात को जिस साफ सुतरे रेस्ट हाउस में आया था. haunted stories in hindi
वो अब पुराने खँडहर जैसा दिख रहा था. मैंने बिना डरे मेरा बैग और कपडे समेटे और उनके साथ शिवमंदिर गया. वहा पर गाँव के और भी लोग आये थे. मैंने रेस्ट हाउस में जो कुछ हुआ वह सब बताया. और फिर उनमे से एक बुज़ुर्ग उठा और मेरे पैर पडने लगा. मैंने कहा आप एसा क्यों कर हो.
वो रोने लगे और बोले तुमने मेरी बेटी की भटकती रुह को मुक्ति दे दी. जो 10 सालों से बदले की आग में जल रही थी. मंदिर के पुजारी ने बताया. जो लड़की तुम्हे रात को रेस्ट हाउस ले गई थी. वो 10 साल पहले मर चुकी है. और ये उसी के पिताजी है. उसी रेस्ट हाउस में प्रीति की रूहने ना जाने कितनो की जाने ली. पर तुम अच्छे इंसान हो संदीप तुमने उसे विश्वास दिलाया कि इस दुनिया में अच्छे लोग भी होते है.
आत्मा को मुक्ति मिली
आज उसकी आत्मा को मुक्ति मिल गई है. यह सब सुनने के बाद मेंने सवाल किया. आपको कैसे पता चला के में रेस्ट हाउस में ठेहरा हूँ. रेस्ट हाउस तो गाँव से काफ़ी दूर है. उन्होंने मंदीर के तालाब की और इशारा करते हुए कहा. प्रीती ने उस तालाब में कूद के आत्महत्या कि थी. 10 सालों से तालब में कोई कमल का फूल नहीं खिला, हमे कलिया तो दिखती थी पर कभी फूल नहीं खिलाता था. और हर उस आदमी की लाश इसी तालाब में से सुबह हम निकालते थे.
जिसकी नियत उस 13 साल की लड़की पर खराब होती थी. और आज यह तालाब 10 सालो के बाद कमल के फूलों से भर गया है. इस तरह से सुबह की पहली आरती लेकर मेंने गाँव वालो को RAM-RAM कह दिया. और अपनी गाड़ी लेकर में मनाली चला गया. pret aatma ka badla
कब्रिस्तान के भूके प्रेत bhoot pret aatma
साल १९८१ अरविन्द को मुंबई में सुबह 10 बजे एक तार मिली. वह उसके चाचा के पीपल गाँव से थी. तार मे लिखा था. अरविन्द को उसके हिस्से की जमीन लेने के लिए.
उसके प्यारे शिवा चाचा ने गाँव में बुलया था. अरविन्द का बचपन उसके पिताजी की सरकारी नौकरी की वजह से भी मुंबई में ही गुजरा था. जब वह छोटा था उसके पिताजी कभी कभी छुट्टीयों में उसे गाँव ले जाते थे.
बचपन की वह मीठी-मीठी यादे. आज भी उसे सुकून देती थी. और अब माता, पिता तो इस दुनिया में नहीं थे. पर गाँव से शिवा चाचा कभी कभी उससे मिलने मुंबई आया करते थे.
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ठीक तीस साल बाद उसे गाँव जाने का अवसर मिला था. उस तार में उन्होंने ये भी लिखा था. बेटा अरविन्द तुम बहुत सालो से गाँव नहीं आये हो. अब में और तुम्हारी चाची दोनों खेत के घर में रहते है. bhoot pret aatma
और वहा तक आने का रास्ता अलग है. पीपल गाँव बस स्टॉप पर आने के बाद. सामने ही एक काले रंग का बोर्ड दिखेगा.उसपर लिखा है
पुराने कब्रिस्तान की तरफ उसके ठीक पीछे. एक कच्ची सडक दिखेगी. वही सडक जंगले के पुराने कब्रिस्तान से होकर. सीधा हमारे खेत के घर तक आती है.
पर ध्यान रखना अरविन्द दिन ढलने तक. तुम खेत के घर पर पहुंच जाना. और दिन के समय में भी जंगल से आते वक्त कोइ अगर पीछे से तुम्हारा नाम पुकारे तो किसी भी परिसिस्थी में
“पीछे मुड़ना मत”.
चाचा का खत पढने के बाद अरविन्द ने दुसरे दिन सुबह. पीपल गाँव जाने वली बस पकड़ ली. बस में समय बिताने के लिए.
उसने अपने साथ एक भूत प्रेत की सत्य घटना की किताब भी ली थी. बस भरते भरते 20 मिनिट लग गए. अरविन्द बहुत दिनो बाद अपने गाँव जा रहा था.
इसलिए बहुत खुश था. पर जल्दी उसका मुस्कुराता चेहरा परेशान हो गया. क्योंकि उसकी बगल वाली सिट पर एक “पक्का बेवडा “आकार बैठा.
उससे शराब की बहुत तेज महक आरही थी. उसके हाथ में एक छोटी बैग थी. जो उसके निचे रखते ही. उसमेसे बोतलो की आवाज आयी.
उसमें उस बेवडे ने एक बोतल निकली और बोला “बस थोड़ी देर रुकना जानू अभी आता हूँ “और बस में से निचे उतर कर पानी बोतल भर के लाया. haunted stories in hindi
वह थोड़ी देर बस बोतल से बात ही करता रहा. उसे देखकर अरविन्द और दुसरे लोगो का मनोरंजन हो रहा था. उधर बस इतनी ज्यादा भार चुकी थी.
की बस में बस साँस लेने भर जगह बची थी. बगल वाला शरबी अपनी बोतल से बात करके थकने के बाद सो गया था. फिर अरविन्द ने साथ में लायी हुई.
किताब पढना शुरू किया. और पूरी दोपहर उसेही पढता रहा. किताब पढ़ते पढ़ते अचानक से ड्राईवर ने बस का ब्रेक लगाया. और उसीके धक्के से अरविन्द आगे की सिट से जाकर टकराया.
यह नजारा देखने के बाद उसके पीछे बैठी दो कॉलेज कन्याओं की हसी छुट गई. अरविन्द अपनी नाक को सहलाते हुए खड़ा हुआ.
तभी बस कंडक्टर ने घोषणा की बस में कुछ खराबी आ गई है. जिसको ठीक करनेक लिए 1 घंट से ज्यादा समय लग सकता है.
कंडक्टर की सुचना के बाद बहुत से लोग बस से उतर गए. अरविन्द के बगल वाला बेवडा खराटे ले रहा था.उसने सोचा चलो थोड़ी देर के लिए सहि. मुझे इसकी बदबु से छुटकारा मिलेगा.
और वह उठकर बाहर निकलने लगा. तभी उसका पैर बेवडे की बैग से टकराया, और उसमे से कांच टूटन की आवाज हुई.
अरविन्द फटाफट बस से बाहर निकल गया. क्योंकी कुछ देर पहले वह आदमी शराब की बोतल को अपनी दूसरी बीवी कह रहा था. और अभी pret aatma ka badla अभी अरविन्द ने उसकी बीवी को जखमी कर दिया था.
और वैसे भी बेवडो से कौन पंगा ले. इसलिए वह उसके जगने से पहले ही बस से उतर गया. निचे उतरके अरविन्द ने देखा.
कोइ कंडक्टर के साथ बात कर रहा था. कोई खाना खा रहा था. तो कोई कुछ और कर रहा था. इसप्रकार सब अपने में ही व्यस्त थे.
उसने भी सोचा चलो मै भी यही पास में घूम के आता हु. वह टहलते टहलते आस पास का इलाखा निहारने लगा. जब वह घनी झाड़ियो के पास गया.
तभी अचानक एक आवाज ने उसका ध्यान आकर्षित कर लिया. उसने थोडा आगे चलकर घनी झाड़ियों में से झांक के देखा. तो वहा एक बुढ़िया अपने झोपड़े के आंगन में झाड़ू लगा रही थी. bhoot pret aatma
और वही उसकी बगल में एक बड़ी कटोरी भरकर बेर (जूजूबे )रखे थे. अरविन्द को बेर खाने का बहुत मन हुआ. उसने झाड़ियो से बाहर आकर दुरसे ही पूछा. माताजी आप ये बेर बेचने वाली है क्या?.
उस बुढ़िया ने कोइ जवाब नहीं दिया. वह सिर्फ झाड़ू लगाए जा रही थी. तीन चार आवाज देने के बाद अरविन्द खुदही बुढ़िया के नजदीक जाने लगा.
तभी उसकी नजर उसके पैरों पर पड़ी. और उसके दिमाग में जैसे बिजली का झटका लगा. क्योंकि उसके पैर उलटे थे. डर के मारे अरविन्द चुड़ैल चुड़ैल जोर से चिल्लाते हुए.
बस की तरफ भागने लगा.पर वह बस तक पहुच नहीं पा रहा था.वह और जोर जोर से चिल्लाने लगा. उसी वक्त उसके गाल पर एक थपड पड़ा और उसकी नींद टूट गई.
क्योंकि वह एक सपना था. और अरविन्द अपनी सिट पर ही था. कंडक्टर ने गुस्से में पूछा क्या हुआ? भाई कौन चुद्दैल? कहा है चुड़ैल ? अरविन्द का वह बोखलाया हुआ चेहरा देखकर. सभी उसपर हंस रहे थे.
उसवक्त वह शरम से पानी पानी हो गया था. श्याम होते होते. शहर से निकलने वाली बस ट्राफिक और खराब रास्तो की वजह से बस 6 की जगह ७:30 बजे पीपल गाँव में पहुची.
और जिसका डर था वही हुआ. दिन ढल चूका था .इसलिए उसपर क़ब्रिस्तान का वो रास्ता अँधेरे में पार करने की नौबत आ चुकी थी.
उसने अपनी बैग मे से पुराणी सेल वाली टॉर्च निकली. और उसे चालू कर ली. कुछ ही मिनीटो में अरविन्द पुरने कब्रिस्तान में था.
जैसे जैसे वह कब्रिस्तान में एक एक कदम आगे बढ़ा रहा था. वैसे वैसे उसे अपने पिताजी द्वारा बताई गई ,गाँव की भूत प्रेत की कहनिया याद आने लगी थी.
उस जंगल के कब्रिस्तान में इतना सन्नाटा थी की उस उसवक्त अरविन्द खुद के पैरो की आवाज ठीक से सुन पा रहा था.
और डर की झलक पसीना बनके उसके माथे से गालो पर आ रहा थी. उसे वह शर्ट की कोहनी से बार बार साफ कर रहा था.
तभी अचानक अब तक आने वाले सिर्फ 2 पैरी के चलने की आवाज. अब 6 पैरो की आवाज में बदल गई थी.
अरविन्द पल भर के लिए रुका की एक दफा पीछे मुडके देखता हूँ .पर उसिव्क्त उसे चाचा के ख़त वाली बात याद आगई. “पीछे मुड़ना मत” इसलिए वह वैसे ही चलता रहा.
पर वह पैरो की आवाज अब धीरे धीरे धीरे धीरे नजदीक आरही थी. और अब उस जानलेवा सन्नाटे में जरा सी आहट से रुह कांप जाने लगी थी.
तभी एक जवान लड़की और उसके साथ एक छोटा 6 से 7 का बच्चा. पीछे से भागते हुई आगे आकर उसके सामने खड़े हो गये.
लड़की के हाथ में लालटेन थी वह उसने चेहरा दिखाने के लिय शायद ऊपर पकड़ राखी थी. वह बोली सुनिए आप पीपल गाँव जा रहे है क्या?
उस सुंदर लड़की और मासूम बच्चे को देखकर. अरविन्द ने सोचा ये दोनों तो भूत नहीं हो सकते. फिर भी उसने तस्सली के लिए चोर नजर से लड़की के पैरो को देख ही लिया.
और हाँ में जवाब देकर पूछा. तुम दोनों इस वक्त यहाँ क्या कर रहे हो?. वह बोली मै रास्ता भटक गई हूँ. और अब अँधेरा हो गया है. ठीक से कुछ समझ नहीं आरहा है.
क्या हम भी आपके साथ चल सकते है? अरविन्द ने कहा हाँ क्यों नहीं इस डरावने जंगल में मुझे भी किसी की संगत मिल जाएगी. bhoot pret aatma
तो डर थोडा कम होगा. फिर वह दोनों भी अरविन्द के पीछे पीछे चलने लगे. कुछ समय तीनो चलते रहे. फिर अरविन्द ने बात करने की शुरुवात की.
ये तुम्हारे छोटे भाई का नाम क्या है? और ये इतना चुप चुप क्यों है?. लड़की बोली इसका नाम बालू है. ये ठीक से बोल नहीं सकता.
पर कभी कभी एक दो शब्द बोल लेता है. जैसे मुझे भूक लगी है?. फिर अरविन्द ने लड़की से पूछा तुम्हारा नाम क्या है ?. उसने कहा मेरा नाम तारा है.
अब तक वह तीनो कब्रिस्तान के बीचो बीच पहुँच चुके थे. और अचानक से ही अरविन्द को बहुत ज्यादा तेज ठंड महसूस होने लगी थी. उसे दोहपर में पढ़ी उस सच्ची भूत प्रेत की कहानी याद आयी. जिसमे एक डरावनी आत्माओं से पीड़ित. आदमी के अनुभव कथन में लिखा था.
की रात के वक्त कहि पर भी अगर आपको अचानक से खून जमा ने वाली तेज ठंड महसुस होने लगे. तो समझ लेना. की आप प्रेत आत्माओं के बीच में खड़े है.
इस बात से उसके रोंगटे खड़े हो गए थे. ठंड इतनी बढ़ चुकी थी की उसके दांत किटकिटाने लगे. चलते चलते उसने सिर्फ एक बार पीछे मुडके देखा.
तो वह लड़की और छोटा बच्चा एकदम आराम से चल रहे थे. इस खून ज़माने वाली ठंड का उनपर कोई भी असर नही दिख रहा था.
पर वह अरविन्द की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे. मानो उनका ध्यान अरविन्द पर ही था. अरविन्द समझ गया की शायद वह अबतक किसी बुरी प्रेतात्मा के साथ साथ चल रहा. क्योंकि
अब वह चाहकर भी उनसे दूर नहीं भाग पा रहा था. उसके बदन से ताकत धीरे धीरे क्षीण हो रही थी. वह ठंड और डर से कांप रहा था.
उसि वक्त अरविन्द के कंधे पर पीछे से एक हाथ पड़ा और अरविन्द के बदन में एक सिहरन सि दौड़ गइ. फिर उसके कानो ने एक भारी आवाज सुनी.
“अरविन्द, मुझे भूक लगी है”.
उसको को याद था की अबतक उसने अपना नाम नहीं बताया था. पर इसवक्त ना चाहते हुए भी. अरविन्द ने पीछे मुडके देखा.
और सामने का दिल दहला देने वाला नजारा देखकर उसकी रूह कांप गई.
क्योंकि वह बच्चा एक खबीस और लड़की के चुड़ैल बन चुके थे.वह अरविदं की आँखों में देखकर जोर जोर से हस रहे थे.
डरे हुए अरविन्द ने अपने शरीर में बचे कुचे प्राण इकट्ठा किये.
और उस खबीस का हाथ कंधे से झटक के .वहा से सरपट दौड़ लगाई. और जंगल में कही गायब हो गया. उसने एक बार भी पीछे मुडके नहीं देखा.
पर अब क्या फायदा जंगल में तो सिर्फ उसकी रूह भाग रही थी.क्योंकि डर की वजह से अरविन्द की जान कब की जा चुकी थी. और उसका शरीर कब्रिस्तान के बीचो बीच पड़ा था.
और वह खबीस और चुड़ैल उसके शरीर के मांस और खून से अपनी भूक प्यास मिटा रहे थे.
तो दोस्तों आपको ये bhoot pret aatma stories कैसी लगी ये कमेंट करके जरुर बताये और मरे ब्लॉग की कुछ सच्ची और कुछ मरी लिखी हुई कहनियाँ निचे दी हुई लिंक पर क्लिक करके जुरूर पढ़े.
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- वैम्पायर डायरीज भाग 1
- वैम्पायर डायरीज भाग 2
- वैम्पायर डायरीज भाग 3
- वैम्पायर डायरीज भाग 4 (अंत)
- रहस्यमय तालाब भा 1
- रहस्यमय तालाब भा 2
भयानक कहानिया
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